भारत की सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना ने कॉम्बैट ड्रोन की तैनाती को तेज कर दिया है. कामीकेज और एफपीवी ड्रोन को प्राथमिकता दी जा रही है. ये ड्रोन दुश्मन पर तेज और घातक हमला कर सकते हैं. नोएडा की आईजी ड्रोन कंपनी ने चीन सीमा पर ऊंचाई वाले इलाके में एफपीवी ड्रोन के ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे किए हैं.
ऑपरेशन सिंदूर: ड्रोन की ताकत का सबूत
ऑपरेशन सिंदूर एक विशेष अभियान था, जहां भारतीय सेना ने ड्रोन का इस्तेमाल किया. यहां भारतीय कंपनियों के बने कामीकेज एफपीवी ड्रोन ने सटीक हमले किए. सरकार ने इनकी तारीफ की. इस सफलता से सेना ने सीखा कि ड्रोन आधुनिक युद्ध में कितने महत्वपूर्ण हैं.
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यूक्रेन से लेकर पश्चिम एशिया तक के संघर्षों में भी ऐसे सस्ते लेकिन शक्तिशाली ड्रोन ने युद्ध बदल दिया. भारत की लंबी सीमाओं और बढ़ते खतरे को देखते हुए, स्वदेशी ड्रोन बनाना जरूरी हो गया. अब सेना ने इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट प्रोग्राम के तहत और ड्रोन के ऑर्डर दिए हैं. ये ड्रोन सीमाओं पर तुरंत तैनात होंगे.
आईजी ड्रोन का स्ट्राइकर एफपीवी: भारत का अपना हथियार
नोएडा की आईजी ड्रोन कंपनी ने स्ट्राइकर एफपीवी ड्रोन बनाया है. यह पूरी तरह भारतीय डिजाइन का है. भारतीय सेना के साथ इसके ट्रायल हुए. सबसे हालिया ट्रायल लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर ऊंचाई वाले इलाके में किया गया. ट्रायल सफल रहे, इसलिए अब इसे आधिकारिक रूप से सेना में शामिल किया जाएगा. यह ड्रोन टैक्टिकल कंबैट, निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए बेस्ट है.
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इसके फीचर्स देखें…
- तैयारी का समय: 5 मिनट से कम में उड़ान के लिए तैयार.
- गति: 140 किलोमीटर प्रति घंटा.
- उड़ान समय: 30 मिनट.
- रेंज: 4 किलोमीटर.
- पेलोड: 1 किलोग्राम तक का सामान ले जा सकता है, जैसे बम या सेंसर.
- खासियत: पेलोड ड्रॉप करने का सिस्टम और टाइमर, जो सटीक हमले की गारंटी देता है.
यह ड्रोन जंगलों, पहाड़ों और ऊंचाई वाले इलाकों में काम करता है. यह युद्ध के मैदान में बहुमुखी भूमिका निभाएगा.
उत्तर प्रदेश के साथ एमओयू: नई फैक्ट्री का सपना
आईजी ड्रोन ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ एक समझौता साइन किया है. इसका मकसद डिफेंस कॉरिडोर में एडवांस्ड ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैक्ट्री बनाना है. यूपी सरकार सभी अप्रूवल, परमिशन और राज्य-केंद्र की स्कीम्स का सपोर्ट देगी. इससे उत्तर प्रदेश एयरोस्पेस और डिफेंस का बड़ा केंद्र बनेगा. भारत अब विदेशी ड्रोन पर निर्भर नहीं रहेगा.
आत्मनिर्भरता का संकल्प
आईजी ड्रोन के फाउंडर और सीईओ बोधिसत्व संघप्रिया ने कहा कि यह एमओयू सिर्फ समझौता नहीं, बल्कि भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता का वादा है. हमारी नई फैक्ट्री इनोवेशन, मैन्युफैक्चरिंग और नौकरियों का हब बनेगी. स्ट्राइकर एफपीवी ड्रोन इसका बेस्ट उदाहरण है – भारत में बना, भारत के लिए बना, दुनिया के लिए तैयार.
इंडो-चाइना बॉर्डर पर ट्रायल की सफलता दिखाती है कि भारत को अब बाहर नहीं देखना पड़ेगा. हम आसमान में संप्रभुता बना रहे हैं, पूरी तरह भारतीय इनोवेशन से.
मेजर जनरल आर.सी.पाधी, आईजी ड्रोन के सीनियर वीपी – आरएंडडी ने कहा कि दुनिया भर में स्वदेशी एफपीवी ड्रोन की मांग बढ़ रही है. भारत को यह मौका लेना चाहिए. हमारी नई फैक्ट्री राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतें पूरी करेगी और अंतरराष्ट्रीय मौके भी तलाशेगी. यह ड्रोन सिर्फ मशीन नहीं, बल्कि सेना के लिए ताकत बढ़ाने वाला हथियार है.
भविष्य की योजना: लाखों ड्रोन का उत्पादन
आईजी ड्रोन अब अपने आर्मर्ड एफपीवी स्ट्राइकर ड्रोन को बड़े पैमाने पर बनाएगी. लक्ष्य है सालाना 1 लाख यूनिट का उत्पादन. यह ड्रोन तेज तैनाती, सटीक निशाना और कठिन हालातों के लिए डिजाइन किया गया है. पूरी तरह भारत में डिजाइन, डेवलप और टेस्ट किया गया.
ग्लोबल ड्रोन मार्केट 2030 तक 55 बिलियन डॉलर से ज्यादा का हो जाएगा, जिसमें आधी मांग सैन्य होगी. भारत की सीमाओं और खतरे को देखते हुए, स्वदेशी उत्पादन जरूरी है.
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