‘स्त्री’ से शुरू हुए हॉरर यूनिवर्स की नई फिल्म ‘थामा’ दिवाली पर रिलीज के लिए तैयार है. आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी स्टारर इस फिल्म के ट्रेलर को काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला था. इसके गाने भी ठीकठाक पॉपुलर हो रहे हैं. मगर ट्रेलर, गानों या बाकी प्रमोशल मैटेरियल से फिल्म की कहानी का आईडिया लगा पाना बड़ा मुश्किल है.
‘थामा’ का ट्रेलर देखकर और फिल्म अनाउंस होने के बाद आई खबरों से लग रहा था कि इसकी कहानी कहानी वैम्पायर्स पर बेस्ड है. हॉरर यूनिवर्स में अभी तक एक चुड़ैल (स्त्री), प्रेत (मुंज्या) और मानव शरीर में छुपे भेड़िये (भेड़िया) की एंट्री हो चुकी है. ऐसे में अब एक वैम्पायर किरदार की एंट्री भी बनती थी. मगर ‘थामा’ की कहानी असल में हॉलीवुड फिल्मों में नजर आने वाले वैम्पायर्स की नहीं है. इसकी कहानी एक भारतीय मिथक पर बेस्ड है, जो वैम्पायर से कहीं ज्यादा पुराना है. इतना पुराना कि इसकी कहानी 11वीं सदी से शुरू होती है.
किस डरावने मिथक पर बेस्ड है ‘थामा’ की कहानी?
2024 में जब ‘थामा’ अनाउंस हुई थी तो इसका टेम्परेरी टाइटल ‘वैम्पायर्स ऑफ विजयनगर’ था. इसी वजह से ये लगा कि इसकी कहानी वैम्पायर पर आधारित है. मगर हॉरर यूनिवर्स के राइटर नीरेन भट्ट ने दैनिक भास्कर को बताया है कि ये कहानी वेस्टर्न किरदार वैम्पायर पर नहीं, बल्कि भारतीय लोककथाओं में पाए जाने वाले बेताल पर बेस्ड है.
उन्होंने कहा, ‘हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स बनाते समय हमें भारतीय पहचान वाली लोककथा की तलाश थी और बेताल का कॉन्सेप्ट इसमें फिट बैठता था. इसी से हमने ‘थामा’ गढ़ा, जिसका अर्थ है ‘बेतालों का राजा.’ फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी यही किरदार निभा रहे हैं. नीरेन ने इस किरदार के नाम का एक और अर्थ बताया— ‘जिसकी आयु थम गई, वही थामा.’
क्या है बेताल, मिथकों में कहां है इसका जिक्र?
हिंदू मिथकों में बेताल सुपरनेचुरल स्पिरिट्स हैं, जो मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच में फंसे हैं. बेताल होते तो बहुत ज्ञानी हैं और इन्हें भूत-भविष्य की पूरी जानकारी होती है. मगर इनका स्वभाव बहुत उत्पाती होता है. ये अपने इलाके की रक्षा करते हैं और जिस मानव शरीर में घुसते हैं उसे बहुत शक्तिशाली बना देते हैं. मगर ये उस व्यक्ति के दिमाग से खेलते हैं, उसे पागल बना सकते हैं.
कश्मीर के एक लेखक सोमदेव भट्ट ने, 11वीं सदी में भारतीय लोककथाओं का एक कलेक्शन लिखा था- कथासरितसागर. संस्कृत में लिखे इस ग्रंथ में ‘वेतालपंचविंशति’ (बेताल की 25 कहानियां) भी है. इसमें एक मुख्य कहानी के अंदर, चौबीस कहानियां हैं. इसी को हिंदी में ‘बेताल पच्चीसी’ कहा जाता है.
अंग्रेजी साहित्य में वैम्पायर का किरदार 18वीं-19वीं सदी से मिलता है. यानी बेताल का किरदार, वैम्पायर्स से लगभग 700-800 साल पुराना है. बेताल और वैम्पायर में एक समानता ये है कि दोनों ही पेड़ से लटके शैतानी मिथकीय किरदार हैं. दोनों पर ही उम्र का कोई असर नहीं होता और दोनों के पास सुपरनेचुरल शक्तियां हैं.
मुख्य कहानी में एक तांत्रिक की साधना को पूरा करने के लिए पेड़ पर लटके एक मुर्दे की जरूरत है. राजा विक्रमादित्य उस तांत्रिक की मदद करते हैं. लेकिन वो एक साधारण मुर्दा नहीं है, उस शरीर में बेताल है. बेताल की शर्त है कि वो राजा के साथ कहानियां सुनाता हुआ चलेगा. हर कहानी के अंत में एक पहेली होगी. लेकिन अगर चलते हुए राजा बोला, तो वो वापस पेड़ पर जाकर लटक जाएगा. और अगर राजा, जवाब मालूम होते हुए भी चुप रहा तो उसका सिर फट जाएगा.
लोककथाओं में मिलने वाले मिथकों के नैरेटिव और किरदार, जीवन मूल्यों को लेकर गढ़े हुए होते हैं. ये सवाल असल में राजा के ज्ञान और कैरेक्टर का टेस्ट जैसी हैं. बेताल के सवालों के जवाब और अपने एक्शन से विक्रमादित्य एक महान राजा साबित होता है.
बेताल की कहानी पर बेस्ड हैं ये टीवी शोज और फिल्में
1951 में धीरूभाई देसाई की हिंदी फिल्म ‘जय महाकाली’ में, बेताल पच्चीसी पर बेस्ड विक्रम-बेताल की कहानी पहली बार पर्दे पर आई थी. इसका रीमेक, 1986 में शांतिलाल सोनी ने ‘विक्रम बेताल’ नाम से बनाया.
मगर उससे पहले 1985 में दूरदर्शन के टीवी सीरियल ‘विक्रम और बेताल’ से ये कहानी घर-घर पहुंची. इस शो की पॉपुलैरिटी ऐसी थी कि आज भी विक्रम-बेताल का जिक्र सुनकर दिमाग में पहली इमेज, इस सीरियल के कलाकारों अरुण गोविल और सज्जन कुमार की ही उभरती है. इस शो के मेकर्स सागर फिल्म्स ने 2009 में इसे, कलर्स टीवी के शो ‘कहानियां विक्रम बेताल की’ में रीमेक किया.
विक्रम और बेताल के किरदारों के आधार पर ही तमिल फिल्म ‘विक्रम वेधा’ (2017) की कहानी लिखी गई थी. इस तमिल फिल्म का रीमेक हिंदी में भी, इसी नाम से 2022 में बना. ‘विक्रम वेधा’ (हिंदी) में ऋतिक रोशन और सैफ अली खान ने लीड रोल निभाया था.
‘थामा’ में होगी सिर्फ बेताल की कहानी
नीरेन भट्ट ने ‘थामा’ के बारे में एक दिलचस्प चीज ये भी बताई कि उनकी कहानी में एक सोशल मैसेज है, जिसका खुलासा फिल्म में ही होगा. मगर उनकी कहानी का वजन इस बात पर टिका है कि बेताल का किरदार लोककथाओं या मिथकों में किस ह्युमन वैल्यू के लिए गढ़ा गया.
इस ह्युमन वैल्यू को आज के सोशल माहौल में एडाप्ट करने की कोशिश ही उन्होंने इस कहानी में की है. यानी उनका फोकस बेताल पर ही रहेगा बेताल पच्चीसी पर नहीं. ‘थामा’ का ट्रेलर बेतालों की एक दुनिया से शुरू होता है, जहां नवाजुद्दीन सिद्दीकी का किरदार इंट्रोड्यूस होता है. नैरेशन कहता है कि बेतालों को मनुष्यों की रक्षा के लिए बनाया गया है, लेकिन नवाजुद्दीन का किरदार बागी हो जाता है. वो बेतालों का राजा ‘थामा’ बनना चाहता है. बेतालों की सेना बनाकर दुनिया पर राज करना चाहता है.
रश्मिका मंदाना के किरदार का शायद ये मकसद है कि उसे थामा की टक्कर लेने के लिए एक नया बेताल वारियर तैयार करना है. या फिर शायद नवाजुद्दीन का बेताल किरदार ‘थामा’ बन पे उससे पहले ही रश्मिका उसे रोक देना चाहती हैं. और इसलिए उन्हें ताजे-ताजे बेताल बने आयुष्मान खुराना की जरूरत है. यहां देखें ‘थामा’ का ट्रेलर:
‘थामा’ 21 अक्टूबर को थिएटर्स में रिलीज होगी. ये देखना दिलचस्प होगा कि बेताल के मिथक का एडाप्टेशन, बड़े पर्दे पर दर्शकों को कितना एंगेज कर पाता है.
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