दो दशकों में पहली बार, अमेरिका का पासपोर्ट दुनिया के सबसे शक्तिशाली 10 पासपोर्ट्स में जगह नहीं बना पाया है. कभी अमेरिकी पासपोर्ट को सबसे ट्रेवल फ्रेंडली माना जाता था, लेकिन अब अमेरिकी नागरिकों को पहले से ज्यादा वीजा और ट्रैवल प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. ये वैश्विक यात्रा में बड़े बदलाव का संकेत है. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के अनुसार, अमेरिकी पासपोर्ट अब मलेशिया के साथ 12वें स्थान पर है. पिछले साल ये जहां सातवें नंबर पर था, वहीं दस साल पहले यह लिस्ट में टॉप पर हुआ करता था. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सिर्फ रैंकिंग में गिरावट नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि वैश्विक यात्रा और वैश्विक समीकरण बदल रहा है. ये तो हुई अमेरिका की बात, लेकिन सवाल ये है कि इस इंडेक्स में भारत की रैंक क्या है और शीर्ष पर कौन सा देश है? चलिए जानते हैं.
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स क्या है?
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स ये दिखाता है कि किसी देश का पासपोर्ट होल्डर बिना वीजा कितने देशों में जा सकता है.
सिंगापुर: सिंगापुर के लोग 193 देशों में वीजा-फ्री ट्रैवल कर सकते हैं. ये लिस्ट में टॉप पर हैं.
दक्षिण कोरिया: 190 देशों में बिना वीजा के ट्रैवल कर सकते हैं. दक्षिण कोरिया दूसरे नंबर पर है.
जापान: लिस्ट में तीसरा नंबर जापान का है. जापान के लोग 189 देशों में वीजा-फ्री ट्रैवल कर सकते हैं.
अमेरिका का हाल: अमेरिकी नागरिक 180 देशों में वीजा-फ्री ट्रैवल कर सकते हैं. लेकिन अमेरिका केवल 46 देशों के लोगों को बिना वीजा एंट्री की परमिशन देता है. हेनले एंड पार्टनर्स के चेयरमैन क्रिश्चियन एच. कैलिन कहते हैं, ‘जो देश खुलेपन को अपनाते हैं, वे आगे बढ़ रहे हैं. जो देश पुराने विशेषाधिकारों पर निर्भर हैं, वे पीछे रह रहे हैं.’
क्यों कम हुई अमेरिकी पासपोर्ट की ताकत?
पिछले दस साल में अमेरिकी पासपोर्ट की ताकत घटने की वजह मुख्य तौर पर स्ट्रिक्ट ट्रैवल और इमिग्रेशन पॉलिसी हैं.
अमेरिका ने अनऑथराइज्ड इमिग्रेशन रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें टूरिज्म पर बैन, विदेशी कर्मचारियों पर लिमिटेशंस लगाना और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए कड़े नियम लगाना शामिल है. सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दूसरे देशों ने भी नियम बदल दिए हैं. ब्राजील ने अमेरिकी, कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के लिए वीजा-फ्री एंट्री बंद कर दी है. चीन और वियतनाम ने अमेरिका को नई वीजा-फ्री पॉलिसी से बाहर रखा है.
कुछ देश जैसे अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड अपने नागरिकों को ट्रैवल में ज्यादा स्वतंत्रता देते हैं, लेकिन दूसरों के लिए वीजा सीमित करते हैं, जिससे उनके पासपोर्ट की रैंकिंग थोड़ी कम हो रही है.
दोहरी नागरिकता की ओर बढ़ रहे हैं अमेरिकी
पासपोर्ट की ताकत घटने की वजह से अब कई अमेरिकी दोहरी नागरिकता लेने में रुचि दिखा रहे हैं. टेम्पल यूनिवर्सिटी के लॉ प्रोफेसर पीटर जे. स्पाइरो कहते हैं, ‘ज्यादा अमेरिकी अब डुअल सिटीजनशिप हासिल करेंगे.
क्या है भारत के पासपोर्ट की रैकिंग?
2025 के हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारत 85वें स्थान पर आ गया है. अब भारतीय पासपोर्टहोल्डर्स सिर्फ 57 देशों में ही बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं. पिछले साल भारत 80वें स्थान पर था और तब भारतीय नागरिक 62 देशों में वीजा-फ्री ट्रैवल कर सकते थे. इस गिरावट का मतलब है कि भारतीय नागरिकों को अब यात्रा में ज्यादा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. यह बदलाव सिर्फ वीजा नियमों में बदलाव नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि देशों के बीच अच्छे राजनयिक रिश्ते और समझौते कितने जरूरी हैं, ताकि ट्रैवल करना आसान हो सके.
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