कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ने हाल ही में PF Account से निकासी को आसान बनाने समेत कई बड़े बदलावों (EPFO Rule Change) का ऐलान किया है. लेकिन, इनमें शामिल कुछ चेंज को लेकर विपक्ष अब सरकार पर निशाना साध रहा है. इनमें खासतौर पर पीएफ खाते में 25% मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता और प्रीमेच्योर फाइनल सेटलमेंट की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने किए जाने का मुद्दा विरोध की वजह बन रहा है. हालांकि, सरकार की ओर से विपक्ष के आरोपों के बीच तस्वीर भी साफ की गई है.
ईपीएफओ ने किए कई बड़े बदलाव
सबसे पहले बात करते हैं कि EPFO ने हाल ही में किन-किन बदलावों का ऐलान किया है. तो बता दें कि संगठन ने PF खाते से जमा पैसों की निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाते हुए जहां डॉक्युमेंटेशन के झंझट को खत्म करने का फैसला किया है, तो वहीं मेंबर्स को खाते में मिनिमम बैलेंस छोड़कर 75% रकम की निकासी करने की मंजूरी दी है. प्रमुख बदलावों को पांच पॉइंट में समझते हैं…
- प्री-मेच्योर फाइनल सेटलमेंट (यानी नौकरी जाने या छोड़ने पर सेटलमेंट) की टाइमलाइन को मौजूद दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने किया है, जबकि पेंशन के मामले में ये दो महीने से 36 महीने की गई है.
- CBT की 238वीं बैठक में सदस्यों के लिए अब खाते में 25% मिनिमम बैलेंस को छोड़कर पूरी राशि को आसानी से निकालने की मंजूरी मिली है. इससे पहले यह सिर्फ बेरोजगारी या रिटायरमेंट की स्थिति लागू थी.
- EPFO ने पीएफ निकासी को आसान बनाने के लिए डॉक्युमेंटेशन और कारण बताने के झंझट से मुक्ति दे दी है. अब पैसा निकालने के लिए कारण बताने की जरूरत नहीं होगी.
- अब एजुकेशन के लिए 10 बार पीएफ निकासी, शादी के लिए जरूरत पर 5 बार रकम निकाल सकेंगे. इससे पहले ये लिमिट 3 आंशिक निकासी तक सीमित थी.
- आंशिक निकासी के लिए अलग-अलग मामलों में सर्विस टेन्योर की लिमिट को एक कर दिया गया है और इसकी नई लिमिट 12 महीने तय की गई है.
सरकार का दावा, विपक्ष का आरोप
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने लॉन्गटर्म रिटायरमेंट सेविंग्स में सुधार को उद्देश्य बताते हुए PF Withdraw Rule के नियमों में व्यापक बदलाव को मंजूरी दी है. लेकिन इस कदम ने राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू कर दिया है. विपक्षी दलों ने सरकार के इन सुधारों को कठोर और वेतनभोगी कर्मचारियों को दंडित करने वाला करार दिया है. वहीं दूसरी ओर केंद्रीय श्रम मंत्रालय का कहना है कि संशोधित नया इंफ्रास्ट्रक्चर लाखों कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाने का काम करता है.
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कुल पीएफ फंड में से 25 फीसदी हिस्सा लॉक रहने से फायदा ही होगा. उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन सुनिश्चित करेगा कि सदस्य ईपीएफओ द्वारा दिए जाने वाले 8.25% के जोरदार सालाना ब्याज का लाभ लेना जारी रख सकेंगे. जो कंपाउंडिंग के साथ रिटायरमेंट फंड के तौर पर तैयार हो जाएगा.
The new EPFO rules introduced by the Modi Govt are SHOCKING AND RIDICULOUS. It is open THEFT of salaried people’s own money.
Here’s what the new rules say:
👉 Earlier, on losing your job, you could withdraw your EPF balance after 2 months of employment. That minimum period has…
— Saket Gokhale MP (@SaketGokhale) October 15, 2025
साकेत गोखले बोले- ‘25% पैसा लॉक होने से परेशानी’
इस मिनिमम बैलेंस रूल को मुद्दा बनाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने तर्क दिया कि नया नियम प्रभावी रूप से एक कर्मचारी की मेहनत की कमाई का एक-चौथाई हिस्सा सेवानिवृत्ति तक के लिए लॉक कर देता है. उन्होंने अपनी एक्स पोस्ट पर लिखा, ‘कल्पना कीजिए कि आपकी नौकरी चली जाए, लेकिन फिर भी आपको बिल और EMI चुकानी पड़े, तो अब सरकार आपको पूरे एक साल तक अपना पैसा निकालने नहीं देगी.’ उन्होंने लिखा ऐसी स्थिति में भी अप सिर्फ 75% ही निकाल पाएंगे, जबकि आप बेरोजगार रहें.
सेटलमेंट टेन्योर बढ़ाने पर साधा निशाना
साकेत गोखले ने EPFO के नियमों में बदलाव से एक और मुद्दा उठाया. उन्होंने समय से पहले पूरी निकासी के लिए 2 महीने के बजाय 12 महीने, जबकि EPS-95 योजना के तहत पेंशन निकासी के लिए टाइमलाइन 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने करने की आलोचना की. गोखले ने अपनी पोस्ट में कहा कि यह फैसला कर्मचारियों की अपनी बचत तक पहुंच को अनुचित रूप से सीमित करेगा. पहले, नौकरी छूटने पर आप 2 महीने बाद अपना ईपीएफ बैलेंस निकाल सकते थे, अब एक साल इंतजार करना होगा. उन्होंने कहा कि अपना पैसा निकालने के लिए अब आपको पूरे एक साल तक बेरोजगार रहना होगा.
विपक्ष के वार पर सरकार का ये रुख
जहां तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने सरकार के फैसलों की आलोचना की है, तो वहीं सीबीटी अधिकारियों के अनुसार, इस निर्णय का उद्देश्य लॉन्गटर्म सेविंग की रक्षा करना और समय से पहले निकासी को हतोत्साहित करना है, जिससे रिटायरमेंट फंड खत्म हो जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्सपर्ट्स भी ये मानते हैं कि ईपीएफओ सदस्य अब अपनी वास्तविक जरूरतों के लिए अपनी पूरी पात्र निधि का उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही रिटायरमेंट के लिए एक सुरक्षित हिस्सा भी सुरक्षित रख सकते हैं.
—- समाप्त —-