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तेजस्वी यादव को राघोपुर में बीजेपी और जन सुराज से कितनी बड़ी चुनौती है – tejashwi yadav raghopur assembly seat challenge from bjp satish yadav bihar election opnm1


तेजस्वी यादव ने बिहार की राघोपुर विधानसभा सीट से ही फिर से नामांकन दाखिल किया है. और, दो-दो सीटों से चुनाव लड़ने पर भी अपना स्टैंड साफ किया है. असल में, प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर वो राघोपुर से चुनाव लड़े तो तेजस्वी यादव को दो सीटों से चुनाव लड़ना पड़ेगा, और उनका राहुल गांधी जैसा हाल हो जाएगा. 

बहरहाल अब तो प्रशांत किशोर ने ही मैदान छोड़ दिया है, और जन सुराज पार्टी से कारोबारी चंचल सिंह को टिकट दिया गया है – बीजेपी ने तेजस्वी यादव के खिलाफ अपने पुराने उम्मीदवार सतीश यादव पर ही फिर भरोसा जताया है, इस उम्मीद में कि हो सकता है सतीश यादव के पक्ष में 2010 जैसा नतीजा फिर आ जाए. 

राघोपुर से 2015 पहली बार चुनाव जीतकर तेजस्वी यादव बिहार सरकार में डिप्टी सीएम बने थे. डिप्टी सीएम वो बने तो दूसरी बार भी, लेकिन 2020 का चुनाव जीतने के बाद भी लंबा इंतजार करना पड़ा था. वैसे 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव महागठबंधन के घोषित मुख्यमंत्री पद का चेहरा था, लेकिन इस बार ऐसी कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की गई है. राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं के रोड़ा अटकाने के चलते तेजस्वी यादव खुद ही खुद को अगला मुख्यमंत्री बताते रहे हैं. 

मानो तो 243, नहीं तो सिर्फ राघोपुर

नामांकन करने राघोपुर पहुंचे तेजस्वी यादव के साथ उनके पिता लालू यादव, मां राबड़ी देवी, बड़ी बहन मीसा भारती, सबसे भरोसेमंद सहयोगी राज्यसभा सांसद संजय यादव और बहुत सारे आरजेडी विधायक और कार्यकर्ता भी साथ थे. राघोपुर विधानसभा सीट से तीसरी बार नामांकन दाखिल करने के बाद तेजस्वी यादव ने मुख्य तौर पर दो बातें कही, एक तो दो सीटों पर लड़ने के उठते सवाल पर सफाई थी. 

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, हमें विश्वास है, राघोपुर की जनता एक बार फिर हम पर भरोसा करेगी… हम सिर्फ सरकार नहीं बनाना चाहते, हम बिहार बनाना चाहते हैं. 

कैसा बिहार? तेजस्वी यादव ने अपनी तरफ से ये भी साफ करने की कोशिश की. बोले, अब बिहार भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त राज्य बनना चाहता है. तेजस्वी यादव पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार का पितामह बता चुके हैं, और प्रशांत किशोर बिहार सरकार के मंत्री और बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं.

देखा जाए तो प्रशांत किशोर के बिहार में बदलाव लाने की मुहिम के बीच ऐसे बयान जरूरी बनते जा रहे हैं. अब तो बीजेपी और बाकी दलों के नेता और प्रवक्ता भी बिहार के लोगों को भरोसा दिलाने लगे हैं कि सत्ता में आए तो छठ पर घर लौटे लोगों को वापस काम पर लौटना नहीं पड़ेगा. पहली बार ये बात जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने कही थी. 

और फिर तेजस्वी यादव ने वो बात भी बताई, जिसे लेकर लोगों के मन में शक तो बना हुआ होगा ही. तेजस्वी यादव ने कहा, कई लोग अफवाह फैला रहे थे कि हम दो जगहों से चुनाव लड़ेंगे… तेजस्वी 243 सीटों से चुनाव लड़ रहा है, लेकिन जब एक सीट की बात आती है, तो हम पहले से ही राघोपुर से चुनाव लड़ते रहे हैं, और केवल राघोपुर से ही चुनाव लड़ रहे हैं.

कैसा होगा राघोपुर का मुकाबला

अब वैसा तो नहीं ही होगा, जैसा प्रशांत किशोर के मैदान में उतरने से होता. प्रशांत किशोर ने तो तेज प्रताप यादव की ही तरह राघोपुर पहुंचकर हवा बनाई, और फिर चुपके से खिसक लिए. प्रशांत किशोर ने चंचल सिंह को तेजस्वी यादव के खिलाफ जन सुराज पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. 

राजपूत समुदाय से आने वाले चंचल सिंह जन सुराज से पहले नीतीश कुमार की जेडीयू के व्यापारिक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव रह चुके हैं. पेशे से व्यवसायी चंचल सिंह का होटल और रियल एस्टेट के क्षेत्र में कारोबार है. युवा नेता के रूप में चंचल सिंह ने राजनीतिक पारी की शुरुआत जेडीयू से ही की थी, और पहला सबक नीतीश कुमार के निर्देशन में भी सीखा था. कहते हैं, जेडीयू की कई बड़ी रैलियों के वो संयोजक भी रहे हैं, और संभव है प्रशांत किशोर के उन पर भरोसा होने की भी ये बड़ी वजह हो. 

चंचल सिंह और बीजेपी उम्मीदवार सतीश यादव में कॉमन बात ये है कि दोनों ने नीतीश कुमार के संरक्षण में ही राजनीति सीखी है. लेकिन, एक फर्क भी है सतीश यादव ने राजनीतिक पारी की शुरुआत आरजेडी से की थी, न कि चंचल सिंह की तरह जेडीयू से. 2005 में सतीश यादव जेडीयू में शामिल हो गए थे, और 2015 बीजेपी में. 

सतीश यादव के बारे में अब धारणा तो यही बन चुकी है कि वो दो बार तेजस्वी यादव से हार चुके हैं, लेकिन उनके नाम एक बड़ी उपलब्धि ये भी जुड़ी है कि 2010 में वो तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी को भी हरा चुके हैं. तब वो जेडीयू के टिकट पर विधायक बने थे. 

हाजीपुर लोकसभा और वैशाली जिले में आने वाली राघोपुर विधानसभा सीट में यादव वोटर सबसे ज्यादा जरूर हैं, लेकिन राजपूत और दलित वोटर भी खासी तादाद में हैं. 2020 में चिराग पासवान ने राघोपुर सीट पर राकेश रोशन को लड़ाया था, और वो करीब 25 हजार वोट भी पाए थे. चिराग पासवान वैसे तो उन सीटों पर ही चुनाव लड़े थे जहां जेडीयू को डैमेज करना मकसद था, लेकिन राघोपुर में वो बहाने से तेजस्वी यादव के मददगार ही बने थे. 

राघोपुर में दलित वोटर करीब 18 फीसदी हैं, और करीब इतने ही राजपूत वोटर भी हैं. दलितों में 6 फीसदी चिराग के पासवान वोटर हैं. लेकिन, इस बार वो अपना वोटर बीजेपी के सतीश यादव को देने के लिए कहेंगे. चिराग पासवान हाजीपुर से ही सांसद हैं. 

राघोपुर में सबसे ज्यादा करीब 31 फीसदी यादव वोटर हैं, जिनकी बदौलत ये सीट लालू परिवार की गढ़ मानी जाने लगी है, और जिसमें एक बार सतीश यादव सेंध भी लगा चुके हैं. यहां ब्राह्मण करीब 3 फीसदी और करीब इतनी ही मुस्लिम आबादी भी है. 

बीजेपी उम्मीदवार सतीश यादव और आरजेडी कैंडिडेट तेजस्वी यादव दोनों के लिए इस बार हैट्रिक का मौका है. एक के लिए हार का, दूसरे के लिए जीत का. और, ये ऐसा मौका होता है जब कुछ भी हो सकता है, लेकिन ये सब देश, काल और परिस्थिति सब पर निर्भर करता है.

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