अहमदाबाद के खाली स्टैंड्स अपने आप ही एक सवाल खड़ा कर देते हैं. यह नजारा किसी के लिए चौंकाने वाला नहीं था, क्योंकि वेस्टइंडीज पिछले कई वर्षों से निराशाजनक प्रदर्शन कर रही है. पिछले दो दशकों में भारत के खिलाफ उनका रिकॉर्ड पूरी तरह एकतरफा रहा है. 2013 के बाद से वेस्टइंडीज ने भारत में खेले गए छह टेस्ट मैचों में सभी गंवाए- चार पारी से और एक 10 विकेट से. इन छह मैचों में से पांच मुकाबले तीन दिन के भीतर ही खत्म हो गए.
दिल्ली टेस्ट में भारत ने पहली पारी में उदारतापूर्वक घोषणा की और फॉलोऑन देने का निर्णय कुछ हद तक जोखिम भरा था, फिर भी वेस्टइंडीज भारतीय टीम की ताकत के सामने कहीं नहीं ठहर सकी.
रोमांचक मुकाबलों की याद: इंग्लैंड दौरा
टेस्ट क्रिकेट के शौकीनों, खासकर भारत में, के लिए यह सीरीज पिछली इंग्लैंड दौरे की तुलना में काफी फीकी रही. इंग्लैंड में खेले गए पांच टेस्ट मैचों की रोमांचक सीरीज बराबरी पर समाप्त हुई थी. लॉर्ड्स और ‘द ओवल’ में आखिरी क्षणों तक दर्शकों की सांसें थमी रहीं, जबकि मैनचेस्टर में दोनों टीमों ने जीत के लिए कड़ा संघर्ष किया.
लीड्स के हेडिंग्ले मैदान में इंग्लैंड ने 371 रनों के चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को शानदार अंदाज में पूरा किया. यहां तक कि सीरीज का एकमात्र एकतरफा मुकाबला (एजबेस्टन में मेजबानों की 336 रनों से हार) भी उबाऊ नहीं था. उस मैच में हैरी ब्रूक और जेमी स्मिथ की आक्रामक बल्लेबाजी ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया और साबित किया कि जब जज्बा और इरादा हो, तो एकतरफा स्कोरलाइन भी मुकाबले के रोमांच को कम नहीं कर सकती.
रोमांचक मुकाबले अब सिर्फ चुनिंदा टीमों तक
हालांकि, ऐसे रोमांचक मुकाबले अब सिर्फ चुनिंदा टीमों तक ही सिमटकर रह गए हैं. बाकी जगहों पर टेस्ट क्रिकेट अधिकतर एकतरफा परिणामों में बदलता जा रहा है. टेस्ट क्रिकेट को फिर से प्रासंगिक और रोमांचक बनाने के उद्देश्य से वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) की शुरुआत की गई थी. पिछले एक दशक में टी20 लीग्स के तेज उभार ने दर्शकों की रुचि को छोटी फॉर्मेट की ओर मोड़ दिया था, जिससे टेस्ट मैचों की लोकप्रियता में गिरावट आई.
डब्ल्यूटीसी ने टेस्ट क्रिकेट को पहले से कहीं अधिक नतीजा-उन्मुख और प्रतिस्पर्धी बना दिया है. इसका प्रमाण यह है कि अब तक खेले गए तीन संस्करणों में तीन अलग विजेता रहे हैं. यह पहल टेस्ट क्रिकेट को नई ऊर्जा देने में सफल रही है, हालांकि चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं.
शीर्ष टीमों ने प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए ‘होम एडवांटेज’ का इस्तेमाल अधिक आक्रामक तरीके से करना शुरू कर दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि मेजबान और मेहमान टीमों के बीच अंतर कम जरूर हुआ, लेकिन सीरीज़ का संतुलन पूरी तरह बहाल नहीं हुआ- खासकर 2024 में यह अंतर और भी स्पष्ट नजर आया.
टू-टियर सिस्टम: क्यों बढ़ रही है चर्चा?
इसी परिस्थितियों में टू-टियर सिस्टम की चर्चा जोर पकड़ रही है. इसके तहत 12 टेस्ट खेलने वाली टीमों को दो डिवीजन में बांटा जा सकता है- प्रत्येक में छह टीमें. हर चक्र के अंत में एक या दो टीमों का प्रमोशन और रेलिगेशन होगा. इसका उद्देश्य है कि निचली टीमों को ऊपर आने का मौका मिले और कमजोर शीर्ष टीमों को नीचे जाने की चुनौती मिले, जिससे प्रतिस्पर्धा जिंदा रहे.
यह कोई रहस्य नहीं कि टेस्ट क्रिकेट की असली धुरी इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत हैं. जब इनमें से दो टीमें आमने-सामने होती हैं, दर्शकों की रुचि अपने चरम पर पहुंच जाती है. 2024 के बॉक्सिंग डे टेस्ट में इसका शानदार उदाहरण देखने को मिला, जब मेलबर्न में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 5 दिन चले मुकाबले में कुल 3,73,691 दर्शक स्टेडियम में मौजूद रहे.
इसके विपरीत, इसी महीने अहमदाबाद में भारत बनाम वेस्टइंडीज टेस्ट में दर्शकों की संख्या बेहद कम रही. इंग्लैंड और भारत के बीच इस साल हुई टेस्ट सीरीज को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली टेस्ट सीरीज के रूप में दर्ज किया गया. मैदान में भी दर्शकों का उत्साह देखने लायक था- बर्मिंघम टेस्ट के टिकट मैच शुरू होने से पहले ही ‘सोल्ड आउट’ हो गए.
नासिर हुसैन की राय
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने स्काई स्पोर्ट्स पर माइकल आथर्टन, रवि शास्त्री और दिनेश कार्तिक के साथ बातचीत में कहा, ‘हम इंग्लैंड में बहुत भाग्यशाली हैं कि लगभग हर टेस्ट मैच ‘सोल्ड आउट’ होता है. हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यहां टेस्ट क्रिकेट को आकर्षक बनाए रखने के लिए किसी अतिरिक्त संदर्भ या WTC की ज़रूरत नहीं पड़ती.’
हालांकि कुछ देशों में टेस्ट क्रिकेट आज भी दर्शकों और प्रसारकों के लिए उतना ही आकर्षक है, लेकिन यह तस्वीर हर जगह उजली नहीं है.
2019 में WTC की शुरुआत के बाद से यह स्पष्ट हो गया कि शीर्ष टीमों और बाकी टीमों के बीच का अंतर गहरा है. अगर मौजूदा ICC टेस्ट रैंकिंग के आधार पर टू-टियर सिस्टम लागू किया जाए, तो ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड और श्रीलंका टॉप टियर में आएंगी. इन टीमों का रिकॉर्ड बाकी छह टीमों के खिलाफ एकतरफा रहा है, जिससे स्पष्ट होता है कि टेस्ट क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा का संतुलन बुरी तरह बिगड़ चुका है.
यही असमानता टू-टियर सिस्टम की आवश्यकता को और मजबूत करती है. इस व्यवस्था से खेल में गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा और दर्शकों की रुचि तीनों को नया जीवन मिल सकता है. यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो टेस्ट क्रिकेट को लंबे समय तक टिकाऊ और रोमांचक बनाए रखने में मदद मिल सकती है.
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