दिवाली और धनतेरस से पहले ही सोना-चांदी के भाव में तगड़ी उछाल देखी जा रही है. भारत में 1 किलो चांदी की कीमत अब 2 लाख रुपये के पार पहुंच चुकी है. यह चांदी का सबसे उच्च स्तर है. वहीं सोने की कीमत भी 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गई. सोने और चांदी के दाम में यह तेजी ग्लोबल अस्थिरता, भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति की बढ़ती कमी के कारण आई है.
Goodreturn और ब्लूमबर्ग के मुताबिक, हाजिर चांदी कुछ समय के लिए 53.54 डॉलर प्रति औंस से ऊपर चढ़ी, लेकिन फिर थोड़ी गिरावट आई, क्योंकि शुरुआती संकेत मिले कि भौतिक चांदी पर वैश्विक दबाव स्थिर हो सकता है.
चांदी बना रहा रिकॉर्ड
मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में चांदी 1,89,100 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुका है, जबकि चेन्नई और हैदराबाद में यह 2,06,100 रुपये प्रति किलो पर आ चुकी है. यह चांदी का अबतक का रिकॉर्ड स्तर है. चांदी के दाम में यह तेजी लंदन सर्राफा बाजार में कैश की कमी के कारण है, जिससे फिजिकल सिल्वर की मांग बढ़ गई है और स्थानीय बेंचमार्क कीमतें न्यूयॉर्क वायदा से भी अधिक हो गई हैं. साल 2025 में सोना और चांदी ने 58% से 80% तक की तेजी दिखाई है, जो शेयरों और बॉन्ड से कहीं ज्यादा है.
सिल्वर ETF ने दिया शानदार रिटर्न
सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) ने शानदार रिटर्न दिया है, जिससे चांदी की ‘2025 की सबसे समृद्ध धातु’ की प्रतिष्ठा और मजबूत हुई है. इस साल सिल्वर ETF ने निवेशकों का पैसा दोगुना से भी ज्यादा कर दिया है. गोल्ड ETF ने करीब 63% और सेंसेक्स व निफ्टी जैसे शेयर इंडेक्स ने 6-7% की मामूली बढ़त दर्ज की है. MCX पर, चांदी का दिसंबर वायदा आखिरी बार ₹1,62,700 प्रति किलोग्राम पर था, जबकि घटती इन्वेंट्री के बीच वैश्विक हाजिर कीमतें प्रीमियम पर कारोबार कर रही हैं.
अब आगे क्या?
फिजिकल सिल्वर का मार्केट बेहद तंग बना हुआ है और LBMA सर्टिफाइड चांदी की छड़ों की आपूर्ति में देरी के कारण ETF की कीमतें और भी ज्यादा मांग के दबाव को दिखा रही हैं. एक्सपर्ट इस तेजी को आपूर्ति और मांग के बीच संरचनात्मक असंतुलन को मानते हैं. ऐसी स्थिति के जल्द सुलझने की संभावना नहीं है.
एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि जब तक मूल धातुओं की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं होती, वैश्विक चांदी की आपूर्ति कम से कम 2028 तक सीमित रहेगी. सिल्वर इंस्टीट्यूट ने 2025 में लगातार पांचवीं वार्षिक वैश्विक कमी का अनुमान लगाया है, जिसमें 118 मिलियन औंस की कमी का अनुमान है. अगले साल कुल मांग में मामूली गिरावट की आशंका के बावजूद, सौर पैनलों, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और उन्नत बैटरी प्रौद्योगिकियों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण, 2025 में चांदी की औद्योगिक मांग में 3% की और वृद्धि होने का अनुमान है.
चांदी पर टारगेट बढ़ा
बैंक ऑफ अमेरिका ने लगातार कमी का हवाला देते हुए चांदी के लिए अपना टारगेट बढ़ाकर 65 डॉलर प्रति औंस कर दिया है, जिसका एवरेज प्राइस 56.25 डॉलर है. जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने आगाह किया है कि चांदी की तेजी की गति कीमतों को 50 डॉलर प्रति औंस से भी ऊपर ले जा सकती है, लेकिन शॉटटर्म सुधार लॉन्गटर्म एंट्री के लिए एक मौका बनेगा.
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने कहा कि यह तेजी इंडस्ट्री डिमांड पर बेस्ड है. हाल ही में $50 से ऊपर का ब्रेकआउट केवल एक तकनीकी घटना नहीं है, बल्कि नई मांग-आपूर्ति वास्तविकताओं को दर्शाने वाला एक संरचनात्मक वैल्यूवेशन है.
ब्रोकरेज फर्म का अनुमान है कि आने वाले महीनों में चांदी 50-55 डॉलर के आसपास स्थिर रहेगी, 2026 तक 75 डॉलर के संभावित शिखर और 2027 तक COMEX पर 77 डॉलर की ओर बढ़ेगा. इसका मतलब है कि 2026 के अंत तक घरेलू चांदी की कीमतें ₹2,40,000 और 2027 तक ₹2,46,000 तक पहुंच सकती हैं.
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