फ्रांसीसी सेना के प्रमुख जनरल पियर शिल ने कहा कि वे भारत के लंबी दूरी के रॉकेट्स, लॉयटरिंग म्यूनिशन्स और काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स में दिलचस्पी ले रहे हैं. वजह? भारत के इन हथियारों ने ऑपरेशन सिंदूर में कमाल कर दिखाया. सरल शब्दों में कहें तो, फ्रांस अपने पुराने तोपखाने को नया करने के लिए भारत की मदद चाहता है.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत के हथियारों की परीक्षा
ऑपरेशन सिंदूर भारत की एक खास सैन्य कार्रवाई थी, जिसमें भारतीय सेना ने दुश्मन इलाकों पर सटीक हमले किए. यहां पिनाका एमएलआरएस (मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम) जैसे लंबी दूरी के रॉकेट्स ने अपनी सटीकता साबित की. ये रॉकेट सस्ते हैं, सही निशाना लगाते हैं और लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं.
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साथ ही, लॉयटरिंग म्यूनिशन्स – जो हवा में घूमते रहकर सही समय पर हमला करते हैं – और काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स ने ड्रोन हमलों को रोका. फ्रांस ने इनकी परफॉर्मेंस देखी और प्रभावित हो गया. जनरल शिल ने कहा कि भारतीय सेना इन सिस्टम्स को बहुत सटीक इस्तेमाल करती है. आपकी इंडस्ट्री और ऑपरेशन के तरीके कमाल के हैं. ऑपरेशन सिंदूर में जो हमने देखा, वो बहुत महत्वपूर्ण है.
फ्रांस का प्लान: पिनाका रॉकेट्स खरीदने की इच्छा
जनरल पियर शिल दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की मीटिंग के लिए आए थे. यहां उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि मैं भारतीय सेना के इस्तेमाल होने वाले सिस्टम्स को देखने में दिलचस्पी ले रहा हूं. क्योंकि अभी मैं अपने लंबी दूरी के तोपखाने को नया कर रहा हूं. वे खासतौर पर पिनाका के लंबी दूरी वाले वर्जन पर नजर रखे हुए हैं.
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भारत ने पहले ही फ्रांस को इस सिस्टम का डेमो दिखा चुका है. फ्रांस को लगता है कि ये रॉकेट सटीक और किफायती हैं. अगर डील हो गई, तो फ्रांसीसी सेना के पास भारतीय तकनीक आ जाएगी.
नई जंग के नए क्षेत्र: सहयोग के मौके
जनरल शिल ने कहा कि भारत और फ्रांस हर नई जंग के क्षेत्र में साथ काम कर सकते हैं. लेकिन खास दिलचस्पी लंबी दूरी के सिस्टम्स और लॉयटरिंग म्यूनिशन्स में है. इसके अलावा, काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स भी महत्वपूर्ण हैं. वे बोले कि शायद इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसे क्षेत्र हैं जहां हमारी दोनों सेनाओं का सहयोग बहुत कारगर हो सकता है.
मतलब, ड्रोन को रोकने, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स से लड़ने और एआई से स्मार्ट फैसले लेने में दोनों देश मिलकर नई चीजें बना सकते हैं. जनरल शिल ने सोमवार को भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से भी मुलाकात की. दोनों ने भविष्य की प्लानिंग पर बात की.
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ट्रेनिंग एक्सरसाइज: शक्ति सीरीज को नया रूप
फ्रांस और भारत शक्ति सीरीज की जॉइंट ट्रेनिंग को और मजबूत बनाना चाहते हैं. जनरल शिल ने कहा कि दोनों देश सालाना ट्रेनिंग एक्सरसाइज को संस्थागत रूप देंगे. न सिर्फ संख्या बढ़ेगी, बल्कि जटिलता भी. इसमें ड्रोन ट्रेनिंग, काउंटर-ड्रोन ऑपरेशन्स और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर शामिल होंगे. इससे दोनों सेनाएं एक-दूसरे से सीखेंगी और जंग के मैदान में मजबूत होंगी.
क्यों महत्वपूर्ण है ये सहयोग?
दुनिया में जंगें बदल रही हैं. अब ड्रोन, एआई और सटीक हथियार ज्यादा मायने रखते हैं. भारत की हथियार इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है. फ्रांस जैसा एडवांस्ड देश भारत को पार्टनर मान रहा है. इससे भारत को एक्सपोर्ट बढ़ेगा, नौकरियां मिलेंगी और तकनीक शेयर होगी. फ्रांस को सस्ते और कारगर हथियार मिलेंगे.
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