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रूस-यूक्रेन संघर्ष को रोक सकते हैं तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सुझाया नाम – Russia Ukraine war Donald Trump Turkiye President Erdogan ntc


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को दोहराया कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि एर्दोगन की कूटनीतिक क्षमता इस युद्ध को खत्म करने में सहायक हो सकती है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जब ये पूछा गया कि क्या एर्दोगन रूस-यूक्रेन संघर्ष को रोकने में मदद कर सकते हैं. सोमवार को मिस्र से व्हाइट हाउस लौटते वक्त एयरफोर्स वन विमान में मीडिया से कहा, ‘एर्दोगन ऐसा कर सकते हैं. रूस उनका (एर्दोगन) सम्मान करता है.’

एर्दोगन ने पुतिन से की फोन पर बात

वहीं, पिछले हफ्ते तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बातचीत की थी. इस दौरान एर्दोगन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में एक निष्पक्ष और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए कूटनीतिक पहल को गति देना आवश्यक है.

एर्दोगन के ऑफिस ने एक बयान में बताया कि ये बातचीत क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए तुर्की की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

ट्रंप का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं. तुर्की (जो नाटो का सदस्य है और रूस के साथ भी अपने संबंध बनाए रखता है) ने पहले भी इस संघर्ष में मध्यस्थता की कोशिश की है. एर्दोगन ने बार-बार दोनों पक्षों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने की वकालत की है.

ट्रंप से मुलाकात करेंगे जेलेंस्की

बाद में ट्रंप ने पुष्टि की कि वह शुक्रवार को व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे. ट्रंप के इस बयान से पहले दिन में जेलेंस्की ने बताया कि एक यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल कई बैठकों के लिए अमेरिका के लिए रवाना हुआ है और वह शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे.

जेलेंस्की ने एक्स पर कहा, ‘मुझे शुक्रवार को वाशिंगटन आने और राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने का भी अवसर मिलेगा. मुझे विश्वास है कि हम उन कदमों की एक श्रृंखला पर चर्चा करेंगे, जिनका मैं प्रस्ताव करना चाहता हूं. मैं राष्ट्रपति ट्रंप के प्रति हमारी बातचीत और उनके समर्थन के लिए आभारी हूं.’

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस यात्रा का मुख्य फोकस एयर डिफेंस और लंबी दूरी की क्षमताओं पर है, जिसका उद्देश्य शांति के लिए रूस पर दबाव डालना है.

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