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क्या है रेयर अर्थ? जिस पर चीन के बैन से हिली दुनिया, अमेरिका ने दे दी 100% टैरिफ की धमकी – Rare Earths critical minerals China USA tariff electric vehicles clean energy ntcpmm


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर भारी टैक्स (टैरिफ) लगा दिए हैं. चीन भी इससे अछूता नहीं है. अब उस पर अगले महीने से 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी गई है. इसका कारण है. चीन ने हाल ही में दुर्लभ खनिज (Rare Earth Elements) पर कड़े नियंत्रण लगा दिए हैं. बता दें कि रेयर अर्थ अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और सोने जैसी ताकत बन चुके हैं.

दुनिया में रेयर अर्थ पर क्या हलचल है? 

अमेरिका ने चीन पर रेयर अर्थ की रोक को लेकर 100% टैरिफ की धमकी दी है. अफगानिस्तान ने भारत को अपने खनिज क्षेत्र में निवेश करने का न्योता दिया है. म्यांमार के गृहयुद्ध में कच‍िन इंड‍िप‍ेडेंस आर्मी ने पनवा शहर पर कब्जा कर लिया है जो रेयर अर्थ उत्पादन का बड़ा केंद्र है.  

वहीं जापान फ्रांस के रेयर अर्थ प्रोजेक्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा. ऑस्ट्रेलिया में पहला रेयर अर्थ प्रोसेसिंग प्लांट कालगॉर्ली में शुरू हुआ है. एस्टोनिया अब ऐसे मैग्नेट्स (चुंबक) बनाने जा रहा है जो 15 लाख इलेक्ट्रिक कारों के लिए पर्याप्त होंगे.

क्या है रेयर अर्थ, क्यों इतनी कीमती हैं ?

रेयर अर्थ वो खास खनिज हैं जो नई टेक्नोलॉजी की जान हैं चाहे वो स्मार्टफोन, लैपटॉप, क्लीन एनर्जी, या इलेक्ट्रिक व्हीकल्स हों. यहां तक कि मिसाइल, रडार सिस्टम, ड्रोन और जेट इंजन में भी इनका इस्तेमाल होता है. इन धातुओं में ऐसे चुंबकीय, चमकीले और इलेक्ट्रो-केमिकल गुण होते हैं जो किसी और मटीरियल से नहीं मिल सकते. इसलिए ये अनरिप्लेसेबल हैं यानी कोई विकल्प नहीं है. अब जब पूरी दुनिया AI और क्लीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही है तो रेयर अर्थ की सप्लाई और टिकाऊ उत्पादन वैश्विक रणनीतिक चिंता बन चुकी है. 

क्यों चीन के नए नियमों से परेशान है अमेरिका?

अमेरिकी रक्षा ताकत (US Military Power) इन खास खनिजों पर काफी निर्भर है. अमेर‍िका के F-35 फाइटर जेट, वर्जीनिया और कोलंबिया-क्लास पनडुब्बियां, टोमहॉक मिसाइलें, राडार सिस्टम, JDAM (स्मार्ट बॉम्ब) और प्रेडेटर ड्रोन इन्हीं से चलते हैं. लेकिन दिक्कत ये है कि जहां अमेरिका इनका उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वहीं चीन 5-6 गुना तेजी से आगे बढ़ रहा है.

एक दिसंबर से लागू होंगे चीन के नए नियम

इसके तहत चीन उन कंपनियों को रेयर अर्थ निर्यात करने की मंजूरी नहीं देगा, जिनका किसी विदेशी सेना से संबंध हो इसमें अमेरिका भी शामिल है. यानी अगर कोई कंपनी सैन्य उपयोग के लिए रेयर अर्थ मांगेगी तो उसका अनुरोध सीधे रिजेक्ट कर दिया जाएगा. इस पॉलिसी का सीधा मकसद विदेशी रक्षा सप्लाई चेन में चीनी रेयर अर्थ का इस्तेमाल रोकना है.

कौन हैं बड़े खिलाड़ी और क्या हैं अनुमान

बता दें कि रेयर अर्थ का उत्पादन दो हिस्सों में होता है, पहला  Mining (खनन) और दूसरा Refining (शुद्धिकरण). साल 2024 में चीन, ऑस्ट्रेलिया और म्यांमार ये तीन देश मिलकर दुनिया के 86% रेयर अर्थ निकालते हैं. IEA रिपोर्ट के अनुसार अनुमान है कि 2030 तक इसमें चीन की हिस्सेदारी 51% रहेगी. वहीं ऑस्ट्रेलिया 13% और म्यांमार 11% पर होगा. 

रिफाइन‍िंग में चीन का दबदबा 

चीन, मलेशिया और अमेरिका टॉप-3 हैं जिनका  दुनिया के 97% रिफाइन‍िंग पर कब्जा रखते हैं. 2030 तक अनुमान है कि चीन इसमें 76% भागीदार होगा. वहीं मलेशिया 9% और अमेरिका 7% पर होगा. 

Refining इतना मुश्किल क्यों है?

माइन‍िंग के मुकाबले रिफाइनिंग ज्यादा जटिल है क्योंकि इसमें रेडियोएक्टिव कचरा भी निकलता है. IEA की Global Critical Minerals Outlook 2025 रिपोर्ट  के मुताबिक रेयर अर्थ खनिजों में अक्सर यूरेनियम और थोरियम जैसे रेडियोएक्टिव तत्व भी मिलते हैं. दुनिया के बहुत कम देशों के पास इन्हें सुरक्षित ढंग से हैंडल या स्टोर करने की क्षमता है. सही स्टोरेज के बिना ये तत्व पर्यावरण में मिलकर नुकसान पहुंचा सकते हैं. रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के सिर्फ 17% रेयर अर्थ माइनर्स ही ग्लोबल इंडस्ट्री स्टैंडर्ड ऑन टेल‍िंग्स मैनेजमेंट का पालन करते हैं.

अमेरिका की नई चाल

चीन की बढ़ती पकड़ को काउंटर करने के लिए पेंटागन ने हाल ही में $1 बिलियन तक के क्र‍िटिकल मिनेरल्स खरीदने की तैयारी शुरू की है. यानि रेयर अर्थ की जंग अब सिर्फ खनिजों की नहीं रणनीति की लड़ाई बन चुकी है.

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