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गुजरात के 8 बड़े शहरों में 7 साल से नहीं हुआ ऑडिट, टैक्स के पैसों पर उठे सवाल, RTI से हुआ खुलासा – gujarat no audit in 8 major cities lclar


गुजरात में सुशासन के दावों के बीच बड़ा खुलासा हुआ है. राज्य के आठ बड़े नगर निगमों में पिछले कई सालों से ऑडिट नहीं हुआ है. अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत नगर निगमों का सात साल से ऑडिट नहीं किया गया. यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से सामने आई है.

राज्य के जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर हेमंत शाह ने बताया कि सरकारी ऑडिट हर साल अनिवार्य है और ऐसा न करना कानून का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि सुशासन का मतलब पारदर्शिता है, लेकिन गुजरात में जनता के टैक्स से इकट्ठा हुआ पैसा बिना हिसाब के खर्च हो रहा है. शाह के अनुसार, सरकार ने दो लाख करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब छिपाकर करीब दो करोड़ लोगों को ठगा है.

सात साल से नहीं हुआ आठ बड़े नगर निगमों में ऑडिट

अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत में लगभग डेढ़ करोड़ लोग रहते हैं. इन नगर निगमों का सालाना बजट 10 से 12 हजार करोड़ रुपये के बीच है. वहीं, राजकोट में छह साल से, जामनगर और भावनगर में पांच साल से और जूनागढ़ व गांधीनगर में चार साल से ऑडिट लंबित है.

सरकार पर दो लाख करोड़ रुपये के खर्च करने का आरोप

प्रोफेसर शाह ने बताया कि 2011 में तय हुआ था कि सभी आठ नगर निगमों का ऑडिट स्थानीय निधि लेखा महानिरीक्षक द्वारा सीएजी के मार्गदर्शन में किया जाएगा, लेकिन 14 वर्षों में सात सालों का ऑडिट अब तक नहीं हुआ. नगर निगमों की लापरवाही और समय पर लेखा न देने की वजह से पारदर्शिता खत्म हो गई है. सरकार की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल 2018-19 का ऑडिट चल रहा है और रिपोर्ट बाद में पेश की जाएगी.

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