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Liver cancer risk: शराब न पीने वालों में भी बढ़ रहा लिवर कैंसर का खतरा! ऐसे पता करें आप जोखिम में हैं या नहीं – liver cancer risk increasing in youth who do not drink alcohol tvism


Liver cancer risk increasing in youth: शराब पीने वालों को अक्सर ये बात सुनने जरूर मिलती है कि शराब पीने से लिवर खराब होता है और ये बात काफी हद तक सही भी है. वैसे तो फैटी लिवर के साथ-साथ लिवर कैंसर को अक्सर बुजुर्गों या अधिक शराब पीने वालों से जोड़ा जाता है लेकिन अब डॉक्टर्स ने चेतावनी दी है कि यह बीमारी युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है खास कर उन लोगों में भी जो लोग शराब नहीं पीते हैं. दरअसल, हाल ही में कैंसर एक्सपर्ट डॉ. संकेत मेहता ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, ‘शराब पीने वालों, क्या आप जानते हैं कि युवाओं में लिवर कैंसर बढ़ रहा है. यहां तक कि उनमें भी जो शराब नहीं पीते?’

डॉ. मेहता ने ग्लोबल और नेशनल डेटा शेयर करते हुए लिखा, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 1990 के बाद से लिवर कैंसर के मामले दोगुने हो गए हैं. हालांकि कई मामले वायरल हेपेटाइटिस से जुड़े हैं. लेकिन करीब 16% ऐसे हैं जिनका कारण अज्ञात हैं. अक्सर ये नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) होते हैं. सिर्फ भारत की बात की जाए तो में NAFLD 16-32 प्रतिशत वयस्को को प्रभावित करता है जो लगभग 12 करोड़ लोगों के बराबर है. ग्लोबल लेवल की बात की जाए तो 15-39 उम्र के लोगों में NAFLD 25% (1990) से बढ़कर 38% (2019) हो गया था.’ डॉ. मेहता ने सवाल उठाते हुए पूछा तो आखिरकार इस उछाल का कारण क्या है?
 

क्या है इसका कारण?

डॉ. मेहता के अनुसार, ‘इसका बड़ा कारण सुस्त लाइफस्टाइल, मेटाबोलिक फैक्टर्स, अधिक खाना, स्ट्रेस, डायबिटीज और मोटापा है. लेकिन इस जोखिम को कम करने के भी तरीके हैं. अगर आपको फैटी लिवर है तो नियमित रूप से लिवर की जांच करवाएं, सक्रिय रहें, संतुलित भोजन करें, वजन और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें, थकान, बेचैनी या हल्के पीलिया जैसे शुरुआती चेतावनी संकेतों पर नजर रखें.’

डॉ. मेहता की अंतिम चेतावनी स्पष्ट थी, ‘याद रखें लिवर कैंसर शराब न पीने वालों को भी प्रभावित कर सकता है और शुरुआती जांच से जान बच सकती है.’

नॉन फैटी लिवर रोग (NAFLD) लिवर कैंसर का इतना बड़ा जोखिम कारक क्यों है?

पीएसआरआई हॉस्पिटल में जनरल सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांटेशन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. भूषण भोले के मुताबिक, ‘नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) दुनिया भर में लिवर को डैमेज करने वाले प्रमुख कारणों में से एक बनकर उभरा है. नॉन फैटी लिवर रोग में लिवर में अतिरिक्त फैट जमा हो जाती है जो अक्सर मोटापे, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और सुस्त लाइफ स्टाइल के काऱण होता है. समय के साथ, यह फैट सूजन पैदा कर सकती है जिसे नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच) के रूप में जाना जाता है.’

‘लगातार लिवर की चोट और निशान सिरोसिस के खतरे को बढ़ाते हैं और सिरोसिस लिवर कैंसर के सबसे मजबूत संकेतों में से एक हैं. NAFLD को ‘साइलेंट डिजीज’ भी कहा जाता है क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते सिर्फ थकान, असहजता या हल्का पीलिया ही शुरुआती संकेत हो सकते हैं. खतरा यह है कि यह उन लोगों में भी होता है जिन्होंने कभी शराब का सेवन नहीं किया है. यही वजह है कि NAFLD युवाओं में लिवर कैंसर का एक प्रमुख कारण बन रहा है.’

NAFLD से कैसे बचें?

  • फैटी लिवर है तो नियमित लिवर टेस्ट कराएं.
  • हफ्ते में कम से कम 5 दिन, 30 मिनट एक्सरसाइज करें.
  • बैलेंस भोजन लें जिसमें सब्जियां, फल, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल करें.
  • चीनी वाली ड्रिंक, तला-भुना और प्रोसेस्ड फूड कम करें.
  • वजन, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रखें.
  • पर्याप्त नींद लें और हाइड्रेटेड रहें.

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