भारत में डॉक्टर या फिर इंजीनियर बनने के सपने बहुत से बच्चे और टीनएजर देखते हैं. क्या आप ऐसे किसी शख्स को जानते हैं कि पहले जो डेंटल डॉक्टर बने और उसके बाद इंजीनियर के सेक्टर में चले जाए. इतना ही नहीं उनको अमेरिका की Apple कंपनी ने नौकरी का ऑफर तक दे दिया हो. आज आपको एक ऐसे ही शख्स अंशुल गांधी की कहानी बताने जा रहे हैं.
अंशुल गांधी ने एक इंटरव्यू में बताया है कि कैसे वह एक डेंटल डॉक्टर से अपने करियर की शुरुआत करके आज ऐपल के लिए काम कर रहे हैं और आर्टिफिशियल इंटेजीलेंस (AI) डेवलप करने में लगे हैं. ये बातें उन्होंने बिजनेस इनसाइडर के इंटरव्यू के दौरान कहीं हैं. उनकी कहानी सिर्फ करियर बदलने तक की नहीं है, बल्कि एक जुनून और लगन की भी है.
अंशुल गांधी ने भारत के एक डेंटल कॉलेज से ग्रेजुएशन की और फिर एक डेंटिस्ट के रूप में अपने करियर को शुरू किया. अपने काम के दौरान जब वे रूट कैनाल और डेंचर डिजाइन करते थे, तो कुछ समय के अंदर ही उन्हें पता चला गया कि वह इस काम के लिए नहीं बने हैं. उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि उनको लगा था कि वो जिंदगीभर उस काम को नहीं कर सकते हैं.
टेक्नोलॉजी की तरफ जागा इंटरेस्ट
डेंटिस्ट का काम करते हुए उनका रुझान टेक्नोलॉजी को लेकर बढ़ने लगा. इसके बाद उन्होंने C++ और Java जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना शुरू किया. फिर उनको नया रास्ता मिला. हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि मेडिकल साइंस से मशीन लर्निंग की तरफ जाना कोई आसान काम नहीं था. उन्होंने रिस्क उठाया.
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डेंटल की डिग्री लेने के बाद क्लीनिक खोलने की जगह डेटा एनालिस्ट का काम किया. इसके बाद उन्होंने शुरुआती AI प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि उस दौरान कोई भी AI को लेकर बातचीत नहीं करता था.
2016 में अमेरिका गए और आगे की पढ़ाई की
अंशुल गांधी ने इसके बाद 2016 में अमेरिका के ह्यूस्टन (अमेरिका) में गए और वहां बायोमेडिकल इंफॉर्मेटिक्स में मास्टर्स किया. यह डिग्री हेल्थकेयर और टेक्नोलॉजी का एक बेजोड़ मेल था. जिसका उनका फायदा भी मिला.
2021 में डेल कंपनी में शामिल हुए
2018 तक वे डेटा साइंटिस्ट के रूप में काम करते रहे और 2021 में उन्होंने Dell में मशीन लर्निंग इंजीनियर के रूप में काम शुरू किया. उनका सपना कुछ बड़ा करने का था, जिसको लेकर वे लगातार प्रयास करते रहे.
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इसके बाद साल 2024 में उन्होंने फिर से नौकरी खोजनी शुरू की. अब चीजें बदल चुकी थी और टेक इंडस्ट्री जनरेटिव AI की तरफ बढ़ चुकी थी. इसके बाद वे LinkedIn पर गए और अपने कनेक्शन 200 से बढ़ाकर 500 से ज्यादा कर लिए. दरअसल, उन्होंने बताया कि उनसे एक रिक्रूटर ने कहा था कि कनेक्शन अगर 500 से कम लोग हैं तो प्रोफाइल कम ऑथेंटिक लगती हैं. इसके बाद उन्होंने अपने काम के सैम्पल को LinkedIn पर शेयर करना शुरू किया और उनको साल 2024 में Apple में मशीन लर्निंग इंजीनियर के रूप में जॉइन किया.
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