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Eyes tell your health: आंख का रंग बताता है आपकी सेहत, समय रहते पहचान लें ये वॉर्निंग्स – changed in eye color tells your health do not ignore warning tvisp


आंखें हमें दुनिया को देखने का जरिया देती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी आंखें कई बार आपकी सेहत का आईना भी हो सकती हैं. अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ऑप्थमेलॉजी के अनुसार, आंखों के रंग में बदलाव बहुत रेयर होता है. लेकिन कभी-कभी आपकी आंखों के सफेद हिस्से और पुतलियों का रंग बदलता हुआ दिख सकता है. ये रोशनी और किसी तरह की चमक जैसे कई कारणों की वजह से होता है.

हालांकि आपकी आंखों का रंग और उनमें होने वाले बदलाव कई बार शरीर में पनप रही बीमारियों का भी संकेत होते हैं जिन्हें समय रहते पहचानना जरूरी है.

आंखों का रंग बदलने के कारण

अमेरिका के मैरीलैंड में आई स्पेशलिस्ट उमर चौधरी ने अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ऑप्थमेलॉजी को बताया कि आंखों के रंग बदलने या अलग रंग दिखाई देने पीछे जीन्स, बीमारियां, दवाएं और ट्रॉमा जैसे कई कारण शामिल हैं.

आंखों के रंग में बदलाव आमतौर पर नुकसान ना पहुंचाने वाला होता है लेकिन यह कुछ मेडिकल प्रॉब्लम्स का भी संकेत हो सकता है. आंखों के रंग में बदलाव आइरिस या आंख के अन्य हिस्सों में भी हो सकते हैं. यहां हम आपको कुछ ऐसे ही संकेत बता रहे हैं.

1-आंखों का पीला पड़ना:

आपकी आंखों के रंग में चेंज पीलिया नाम कंडीशन का संकेत होता है. पीलिया में आपकी स्किन, आंखों और mucous membranes भी पीली नजर आती है. खून में बिलीरुबिन (bilirubin) नामक पीले रंग के पदार्थ का स्तर बढ़ने पर यह कंडीशन होती है. जब लिवर ठीक से काम नहीं करता है तो बिलीरुबिन शरीर में जमा होने लगता है जिससे व्यक्ति की त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला दिखने लगता है.

2-आइरिस फ्रेकल्स (Iris freckles)

आइरिस फ्रेकल्स आंख की सतह (आइरिस) पर होने वाले छोटे भूरे धब्बे हैं. ये मेलेनिन के जमा होने के कारण होते हैं. हालांकि आइरिस फ्रेकल्स धूप के संपर्क में आने से जुड़े हो सकते हैं इसलिए यूवी किरणों से सुरक्षा करना जरूरी है और अगर आपको अपनी आंखों में कोई बदलाव दिखे तो तुरंत आंखों के डॉक्टर से सलाह लें. ये सामान्य होते हैं और आमतौर पर स्किन पर होने वाली झाइयों की तरह आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

3-आइरिस नेवी (Iris Nevi)

आइरिस नेवी आंखों पर बड़ी झाइयां या गहरे रंग के उभार होते हैं जो तिल जैसे नजर आते हैं. ये मेलानोसाइट्स नामक पिग्मेंट सेल्स के कारण होते हैं. ये आमतौर पर धीमी गति से बढ़ते हैं लेकिन ये कैंसर का खतरा पैदा कर सकते हैं. नेवी आइरिस आइरिस फ्रेकल्स जितने सामान्य नहीं हैं और इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

4-लिस्च नॉड्यूल्स (Lisch nodules)

लिस्च नॉड्यूल्स छोटे भूरे रंग के उभार होते हैं जो आइरिस पर होते हैं. ये उभार आमतौर पर न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस नामक कंडीशन से जुड़े होते हैं. यह एक तंत्रिका तंत्र का डिसॉर्डर है जिसके कारण नर्वस सिस्टम की सेल्स पर छोटे ट्यूमर विकसित हो जाते हैं. इस कंडीशन का जेनेटिक कनेक्शन हो सकता है. लिस्च नोड्यूल्स की मौजूदगी न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस की जांच में मददगार होती है. ये आमतौर पर आपकी आंखों की रोशनी को प्रभावित नहीं करते हैं.

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