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नए लुक के साथ लौटा Renault ट्राइबर, जुड़ें कई स्मार्ट फीचर्स और डिजाइन – renault triber 2025 facelift modern design safety tstsd


रेनॉल्ट ट्राइबर हमेशा से एक स्मार्ट कार रही है. ट्राइबर भारत की सबसे स्पेस-एफिशिएंट सब-4-मीटर कार मानी जाती है. यह सात सीटों वाली मॉड्यूलर कार कुछ साधारण बदलावों से पांच, छह या सामान ले जाने वाली मिनी-एमपीवी में परिवर्तित हो सकती है. 2025 के लिए रेनॉल्ट ने ट्राइबर को एक नया फेसलिफ्ट दिया है जो इसे अधिक आधुनिक बनाता है.

इसकी कीमत 5.76 लाख से 7.91 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) के बीच है. यह तेज़ नहीं है, लेकिन सबसे समझदार एमपीवी जरूर है. यदि आप तेज़ ड्राइविंग की उम्मीद करते हैं तो यह कार आपके लिए नहीं है. ट्राइबर की खासियत इसका पारिवारिक उपयोग में आसानी और आराम है. यह ज्यादा मांग नहीं करता, केवल ईंधन और धैर्य चाहिए, और इसके बदले में लचीलापन और आराम देता है जो इस कीमत में कम ही कारें देती हैं.

नए फीचर्स और डिजाइन के साथ 
यह कार कंपनी के वैश्विक मॉडलों के अनुरूप दिखती है. इसके डिजाइन में ताजगी है. अधिक फीचर्स और बेहतर सुरक्षा शामिल हैं. हालांकि, इंजन में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे सवाल उठता है कि क्या यह प्रतिस्पर्धी एमपीवी सेगमेंट में टिक पाएगा. नई डिजाइन में तेज DRL, नीचे फॉग लैंप और सेंटर में नया 2D रेनॉल्ट लोगो शामिल हैं. साइड प्रोफाइल पहले जैसा है, लेकिन डुअल-टोन 15-इंच फ्लेक्स व्हील्स और नए रंग विकल्प जैसे एम्बर टेराकोटा और शैडो ग्रे इसे नया रूप देते हैं. टॉप-एंड ‘इमोशन’ वेरिएंट में 15-इंच के फ्लेक्स व्हील्स उपलब्ध हैं, जबकि ‘टेक्नो’ में ब्लैक आउट व्हील्स हैं.

फ्रेश लुक में आया काफी बदलाव
डोर हैंडल्स को इस बार ब्लैक ग्लॉस फिनिश मिला है और प्लास्टिक क्लैडिंग में भी कुछ बदलाव किए गए हैं. टॉप मॉडल में ब्लैक आउट रूफ भी है जो कार की उपस्थिति को बेहतर बनाता है. पीछे की तरफ, नए डिजाइन वाले LED टेललैम्प्स ग्लॉस-ब्लैक स्ट्रिप से जुड़े हैं और subtle ब्लैक आउट एक्सेंट्स हैं. ‘ट्राइबर’ लेटरिंग भी जोड़ा गया है, हालांकि पुराने डिजाइन को कुछ लोग अधिक साफ-सुथरा मानते हैं.

डैशबोर्ड का लेआउट और रंग योजना भी अपडेट की गई है. केबिन पहले से अधिक हवादार महसूस होता है, जिससे जगह का एहसास बढ़ता है. वेरिएंट्स के नाम भी बदल गए हैं और अब ट्राइबर चार वेरिएंट्स – ऑथेंटिक, इवोल्यूशन, टेक्नो और इमोशन में उपलब्ध है. AMT विकल्प केवल इमोशन वेरिएंट में मिलता है.

इंटीरियर भी है मजेदार
इंटीरियर में वायरलेस चार्जर जोड़ा गया है. डैशबोर्ड का डिज़ाइन किगर से प्रेरित है, जिसमें डुअल-टोन बेज और ब्लैक थीम है. आठ इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम ऊंचाई पर स्थित है और AC वेंट्स इसके नीचे हैं. स्टार्ट/स्टॉप बटन बीच में है, क्रूज कंट्रोल स्विच एक तरफ और चार्जिंग पोर्ट दूसरी तरफ है.

स्पेस ट्राइबर की सबसे बड़ी ताकत है कि तीसरी पंक्ति की सीटें पूरी तरह हटाई जा सकती हैं. इससे 621 लीटर का बूट स्पेस मिलता है. ड्राइवर के लिए आर्मरेस्ट जोड़ा गया है और स्टीयरिंग व्हील को नया डिजाइन मिला है. इसमें कंट्रोल्स और नया रेनो लोगो है. तीसरी पंक्ति के यात्रियों के लिए चार्जिंग पोर्ट्स और दूसरी व तीसरी पंक्ति के लिए डेडिकेटेड AC वेंट्स हैं.

फीचर लिस्ट में ऑटो हेडलैम्प्स, रेन-सेंसिंग वाइपर्स, 360-डिग्री कैमरा, सात इंच का डिजिटल ड्राइवर डिस्प्ले और वायरलेस Apple CarPlay व Android Auto शामिल हैं. सुरक्षा के लिहाज से, 2025 ट्राइबर में छह एयरबैग्स, ESP, ट्रैक्शन कंट्रोल, हिल स्टार्ट असिस्ट और टायर प्रेशर मॉनिटरिंग स्टैंडर्ड हैं. बॉडी शेल को भी मजबूत किया गया है.

ड्राइविंग अनुभव में नहीं हुआ है बदलाव
ड्राइविंग अनुभव में कोई बड़ा बदलाव नहीं है. यह वही 1.0-लीटर नैचुरली एस्पिरेटेड तीन सिलेंडर पेट्रोल इंजन इस्तेमाल करता है जो 72bhp और 96Nm टॉर्क देता है. गियरबॉक्स में पांच स्पीड मैनुअल या AMT विकल्प हैं. मैनुअल की दावा की गई माइलेज 19 किमी/लीटर है जबकि AMT 18.3 किमी/लीटर देता है. शहर में ड्राइविंग आसान है और इंजन की प्रतिक्रिया पहले तीन गियरों में ठीक-ठाक है.

हालांकि, यह इंजन हाईवे पर कमजोर पड़ता है. 100 किमी/घंटा की रफ्तार पर क्रूज करना आरामदायक है, लेकिन ओवरटेक के लिए डाउनशिफ्ट करना पड़ता है. 0 से 100 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ना धीमा और नीरस लगता है. रेनो को किगर के टर्बो-पेट्रोल इंजन को ट्राइबर में मैनुअल और CVT विकल्प के साथ पेश करना चाहिए था.

शहर के लिए है एकदम परफेक्ट
गियरशिफ्टिंग स्मूद नहीं है, खासकर आर्मरेस्ट नीचे होने पर. लेकिन राइड कम्फर्ट में ट्राइबर उत्कृष्ट है. रेनॉल्ट की सस्पेंशन ट्यूनिंग भारतीय सड़कों के लिए उपयुक्त है, जो गड्ढों और स्पीड ब्रेकर को अच्छी तरह अवशोषित करती है. शरीर में हल्का रोल होता है, लेकिन डैम्पिंग संतुलन प्रभावशाली है. स्टीयरिंग शहर में हल्की और आसान है, उच्च गति पर वजन बढ़ता है.

स्टीयरिंग व्हील कार के आकार के लिए थोड़ा छोटा लगता है और लॉक-टू-लॉक मूवमेंट में थोड़ी कमजोरी है. ट्राइबर तेज हैंडलिंग के लिए नहीं है, लेकिन नियंत्रण में अच्छा रहता है और मोड़ से निकलते समय स्थिर रहता है. 182 मिमी की ग्राउंड क्लीयरेंस भारतीय सड़कों के लिए पर्याप्त है और लोड होने पर सस्पेंशन ज्यादा नीचे नहीं झुकती.

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