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कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉ. जागृति जन सुराज से लड़ेंगी चुनाव… बोलीं- नीतीश कुमार ने काम किया, मगर मोरवा में नहीं – Jagriti Thakur karpuri thakur granddaughter jan suraaj party bihar elections lcla


बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद अब प्रदेश की राजनीति में नए चेहरे उतरने लगे हैं. इस बार जननायक कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉक्टर जागृति ठाकुर भी चुनावी मैदान में उतर रही हैं. वह प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के टिकट पर समस्तीपुर जिले की मोरवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. जागृति ठाकुर का कहना है कि उनका लक्ष्य शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दों पर बिहार में सकारात्मक बदलाव लाना है.

डॉ. जागृति ठाकुर ने कहा कि उनके दादा कर्पूरी ठाकुर बिहार के लिए जो सपना लेकर चले थे, वह आज भी अधूरा है. उन्होंने कहा कि मेरे दादा जी के शिष्य रहे कई नेता बिहार को बेहतर नहीं बना सके. मैं मोरवा की जनता के बीच जाकर उनके सपनों को पूरा करना चाहती हूं. मेरा मुद्दा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा.

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उन्होंने बताया कि वे पेशे से डेंटल सर्जन हैं और पटना के बुद्धा डेंटल कॉलेज से पढ़ाई की है. शादी के बाद वह हिमाचल प्रदेश में बस गईं, लेकिन अब उन्होंने बिहार लौटकर राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि मैं पिछले छह महीने से मोरवा क्षेत्र में हूं, जनता के बीच जा रही हूं और उनकी समस्याओं को समझ रही हूं. वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बेहद खराब है.

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जागृति ठाकुर ने बताया कि उनकी प्रशांत किशोर से मुलाकात दो साल पहले हुई थी, जब वे पदयात्रा कर रहे थे. उस दौरान उनके विजन ने उन्हें प्रभावित किया. मुझे लगा कि अगर कोई व्यक्ति इतनी क्षमता के साथ बिहार के लिए सोच सकता है, तो मुझे भी इसमें योगदान देना चाहिए. तभी मैंने तय कर लिया था कि मैं जन सुराज से जुड़ूंगी. 35 साल में किसी ने पलायन और शिक्षा पर गंभीरता से बात नहीं की. अब जब जन सुराज इन मुद्दों को उठा रही है, तो बाकी पार्टियां भी इन्हीं विषयों को लेकर बोलने लगी हैं.

हालांकि, जागृति ठाकुर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में कई अच्छे काम किए हैं, लेकिन मोरवा क्षेत्र में विकास उतना नहीं हुआ जितना होना चाहिए था. वहीं, अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर टिप्पणी से उन्होंने परहेज किया और साफ कहा कि यह पारिवारिक नहीं, राजनीतिक लड़ाई है. हमारे पारिवारिक संबंध जरूर हैं, लेकिन यह राजनीति की लड़ाई है. मैं किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करना चाहती. डॉ. जागृति ठाकुर का कहना है कि वह बिहार लौटकर सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि जननायक कर्पूरी ठाकुर की विरासत को आगे बढ़ाने और उनके अधूरे मिशन को पूरा करने आई हैं.

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