मेन्स्ट्रुअल साइकल जिसे आम भाषा में पीरियड्स कहते हैं, महिलाओं की बॉडी से जुड़ी एक नेचुरल प्रॉसेस है. पीरियड्स में हर महीने महिला के शरीर से खून और गर्भाशय की अंदरूनी परत वैजाइना के जरिए बाहर निकलती है. इस दौरान महिलाओं को कमर, पेल्विक एरिया, पेट और पैरों में क्रैम्प्स और तेज दर्द होता है. दर्द की वजह से कई बार महिलाओं के लिए अपने रोजमर्रा के काम करने भी मुश्किल हो जाते हैं.
लेकिन क्या आपने सोचा है कि महिला एथलीट्स पीरियड्स के दौरान कैसे क्रिकेट, टेनिस और बैडमिंटन जैसे गेम्स खेल लेती हैं. कुछ समय पहले लल्लनटॉप के शो ‘बैठकी’ में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार ऑलराउंडर स्नेह राणा शामिल हुईं. स्नेहा ने इस दौरान बताया कि महिला क्रिकेट प्लेयर्स कैसे पीरियड पेन को हराकर मैदान पर चौके-छक्के लगाती हैं.
पीरियड पेन को कैसे मैनेज करती हैं महिला खिलाड़ी
स्नेहा से जब सवाल किया गया कि महिला एथलीट्स को बहुत चैलेंज फेस करने पड़ते हैं. इनमें एक पीरियड्स भी हैं. जब आप मैच खेलने जाती हैं और उस समय पीरियड्स हो रहे हों तो आप कैसे मैनेज करती हैं. इस दौरान पीरियड क्रैम्स और मूड स्विंग्स होते हैं. साथ ही परफॉर्मेंस का प्रेशर भी होता है.
इस पर वो कहती हैं, ‘ये बहुत ही अच्छा टॉपिक है बात करने के लिए क्योंकि बहुत सारे लोगों को नहीं पता होता है इस चीज के बारे में और लोगों को अवेयरनेस नहीं है इतनी. लेकिन मैं पर्सनली बताऊं तो मुझे बहुत क्रैम्स आते हैं और जब हमारे मैच होते हैं तो हमें दवाईयां भी इस्तेमाल करनी पड़ जाती हैं.’
‘पीरियड्स में ज्यादा ज्यादा अच्छा परफॉर्म करती हूं’
वो आगे कहती हैं, ‘एक समय ऐसा भी आता है कि जब आपको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा होता है लेकिन अगर आप अपने देश को रिप्रेजेंट कर रहे हैं या फिर आप डोमेस्टिक लेवल पर भी खेल रहे हैं तो भी आपको रुकना नहीं है. हां दिक्कते आती हैं लेकिन बतौर स्पोर्ट्स पर्सन आप मेंटली इतने स्ट्रॉन्ग हो जाते हैं इसलिए आपको पता होता है कि ये चीज तो आनी ही है.’
‘दूसरा तरीका है कि हम पीरियड्स के दौरान हॉट पैड्स अपने साथ रखते हैं. हम उन्हें ऑफ फील्ड यूज करते हैं. लेकिन इसकी वजह से आपको रुकना नहीं चाहिए जो आप करना चाहते हैं. ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि पीरियड्स हैं तो खेलना नहीं है. मेरे साथ तो उल्टा है जब मुझे पीरियड्स होते हैं तो मैं बहुत अच्छा परफॉर्म करती हूं.’
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