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Self-Comparison Trap: दूसरों से करते हो अपनी तुलना? पड़ सकता है बुरा असर, जानिए बचने के उपाय – how to escape self comparison trap social media mental health tips amlbs


इंसान सामाजिक प्राणी माना जाता है, जिसे जीवन में सीखने, आगे बढ़ने और खुद को बेहतर बनाने के लिए दूसरों से जुड़ना पड़ता है. बचपन से ही लोगों को अपने टीचर्स और रोल मॉडल्स से गाइडेंस लेते देखा जा सकता है. स्कूल, खेल और रोजमर्रा की एक्टिविटीज में दूसरों के साथ इंटरेक्ट करते-करते कई बार तुलना करने की आदत पड़ जाती है.

स्कूल में मिले नंबरों से लेकर खेल में प्रदर्शन और सोशल पॉपुलैरिटी के लिए लोग अक्सर तुलना करने लगते हैं. अपनी क्षमताओं और खूबियों को अपने साथियों के मुकाबले आंकने लगते हैं. अपनी तरक्की, प्रदर्शन, रूप-रंग, रिश्तों और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की तुलना अपने साथियों, रोल मॉडल्स से करना लोगों की आदत बन सकती है.

आज के समय में सोशल मीडिया ने यह तुलना करने की समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है, हर बात पर बेवजह तुलना अक्सर लोगों को खुद से असंतुष्ट कर सकती है, और दूसरों की जिंदगी को बेहतर बता सकती है. खुद को दूसरों से बेवजह तुलना करने की आदत को ही सेल्फ कंपेरिजन ट्रैप कहते हैं. आज हम उन उपायों को जानने की कोशिश करेंगे जो जिनकी मदद से दूसरों से खुद की तुलना करने की समस्या से उबरा जा सकता है.

सेल्फ कंपेरिजन ट्रैप से बचने के टिप्स

अपनी आदत को समझना 
आप समझ सकते हैं कि खुद को दूसरों से बेवजह तुलना करना एक ऐसी आदत हो सकती है जो आपने अपने जीवन में सीखी हो. स्कूल के शुरुआती दिनों से ही लोग यह महसूस करने लगते हैं कि उनके अंक साथियों के बराबर, मिलते-जुलते या अलग हैं. जब किसी चीज को एक आदत के रूप में पहचान लिया जाता है और ईमानदारी से माना जाता है कि इसका आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर हो रहा है, तब उसे बदलने की बेहतर स्थिति बन सकती है. 

खुद से सवाल करना
क्या आप जानते हैं कि आप खुद की दूसरों से तुलना क्यों करते हैं. जब आप अपनी वजह को पहचान लेंगे, तो उसे संभालना आपके लिए आसान हो सकता है. शुरुआत के तौर पर, जब भी आप खुद की किसी से तुलना करें तो नोट कर सकते हैं और खुद से पूछ सकते हैं कि यह तुलना किस चीज को लेकर थी. आपको जानना चाहिए कि क्या आपकी तुलना लाइफस्टाइल, बॉडी इमेज, करियर या पढ़ाई, दिखावट आदि को लेकर थी? इससे समय के साथ आपको एक पैटर्न नजर आ सकता है और आप इसके पीछे की असली वजह तक पहुंच सकते हैं.

तुलना की पहचान करना
कई बार ऐसा हो सकता है कि आप असल में तो तुलना कर रहे हों और आपको इसका अहसास भी नहीं हो पा रहा हो. यह इसलिए हो सकता है क्योंकि आपकी आदत बन चुका है. इसलिए इसके लिए तुलना को पहचानना जरूरी हो सकता है. इसके लिए जब भी कोई विचार आए तो खुद को याद दिलाएं कहीं आप आदत के अनुसार तुलना तो नहीं कर रहे हैं.

अपनी खूबियों को जानना
तुलना को समझने के बाद उससे डील करना आसान हो सकता है. अब आप उन चीजों की लिस्ट बना सकते हैं जो आपको अपने बारे में पसंद हैं, आपकी ताकत या वो काम जिनमें आप अच्छे हैं. अगर आपको यह लिस्ट बनाना मुश्किल लगे  तो आप सोच सकते हैं कि कोई भरोसेमंद दोस्त या परिवार का सदस्य आपके बारे में क्या अच्छा कह सकता है. अपनी खूबियों को समझने से आप खुद से जुड़ सकते हैं और तुलना की आदत से बाहर निकलने में मदद पा सकते हैं.

सोशल मीडिया का समझदारी से इस्तेमाल करना 
अगर आपको महसूस हो रहा है कि सोशल मीडिया आपके अंदर तुलना की भावना को और बढ़ा रहा है  तो सबसे पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित करना शुरू कर देना चाहिए. अगर फिर भी इससे काम नहीं बनता है तो कुछ समय तक सोशल मीडिया से दूरी बनाना आपकी मदद कर सकता है.

ये सभी तरीके बेवजह दूसरों से स्वयं की तुलना करने की आदत से बाहर निकलने में मददगार बताए जाते हैं. आप इन तरीकों को अपनाकर खुद को समझ सकते हैं और इनकी मदद से Self Comparison Trap की समस्या से बचाव कर सकते हैं.

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