वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की भूमिका ने एक बार फिर ध्यान खींचा है. रुबियो ने 2024 में एक पत्र पर सह-हस्ताक्षर किए थे, जिसमें नॉर्वेजियन नोबेल समिति से राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन के खिलाफ लोकतंत्र की लड़ाई में मचाडो के ‘साहसी और निस्वार्थ नेतृत्व’ को मान्यता देने की गुजारिश की थी.
पत्र पर तत्कालीन सीनेटर रुबियो के साथ-साथ अन्य रिपब्लिकन सांसदों माइक वाल्ट्ज, रिक स्कॉट, मारियो डाज-बलार्ट, मारिया एल्विरा सलाजार, नील डन, बायरन डोनाल्ड्स और कार्लोस जिमेनेज ने हस्ताक्षर किए थे. इसमें मचाडो की इस बात के लिए तारीफ की गई थी कि उन्होंने ‘वेनेजुएला के लोगों के पहले से कमजोर हो रहे उत्साह को फिर से जगाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया.’
सांसदों ने लिखा, “वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक शासन बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता में वे अडिग रही हैं.” उन्होंने “अत्याचारियों के प्रति उनके शांतिपूर्ण प्रतिरोध” और लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए वैश्विक समर्थन जुटाने के उनकी कोशिशों का हवाला दिया. 26 अगस्त, 2024 को लिखे गए इस पत्र में उन्हें ‘उम्मीद और लचीलेपन की रौशनी’ बताया गया है. यह उन्हीं सिद्धांतों का प्रतीक हैं, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार सम्मानित करना चाहता है.
शुक्रवार को नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने मचाडो को 2025 का शांति पुरस्कार दिया और उन्हें ‘स्वतंत्रता की एक निडर डिफेंडर’ बताया, जो सत्तावादी नेतृत्व का विरोध करती हैं. इस सम्मान पर वॉशिंगटन में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हुईं, व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अनदेखी करने के लिए समिति की आलोचना की, जिन्होंने इस पुरस्कार के लिए सार्वजनिक रूप से पैरवी की थी और इस हफ्ते की शुरुआत में गाजा युद्धविराम और बंधक समझौते में अपनी भूमिका का बखान किया था.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “राष्ट्रपति ट्रंप शांति समझौते करना, युद्ध खत्म करना और जिंदगी बचाना जारी रखेंगे. नोबेल समिति ने साबित कर दिया है कि वे शांति से ऊपर राजनीति को महत्व देते हैं.”
ट्रम्प लंबे वक्त से कई संघर्षों को खत्म करने का क्रेडिट लेते रहे हैं और हाल ही में उन्होंने कहा कि उन्हें “अनदेखा” किए जाने की उम्मीद है.
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