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‘डिजिटल अरेस्ट’, हवाला और क्रिप्टोकरेंसी… सूरत में 100 करोड़ के साइबर सिंडिकेट का पर्दाफाश – enforcement directorate arrested four men 100 crore cyber fraud opnm2


गुजरात में साइबर अपराध की दुनिया से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इन पर आरोप है कि उन्होंने देशभर में कई लोगों को फंसाकर 100 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की है. आरोपियों की पहचान मकबूल अब्दुल रहमान ‘डॉक्टर’, उसके बेटे काशिफ मकबूल, महेश मफतलाल देसाई और ओम राजेंद्र पांड्या के रूप में हुई है.

ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई जांच एजेंसी के सूरत उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत किया है. डॉक्टर अपने बेटे और अन्य लोगों के साथ एक संगठित गिरोह बनाकर साइबर ठगी रैकेट चलाता था. ये लोग कभी खुद को ईडी और सीबीआई के अधिकारी बताते थे, तो कभी सुप्रीम कोर्ट के नाम पर फर्जी नोटिस भेजते थे. भोले-भाले लोगों को डराकर पैसे ऐंठ लेते.

आरोपियों ने ठगी से हुई कमाई को छिपाने के लिए अपने कर्मचारियों, सहयोगियों और कुछ भाड़े के लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाए. इन खातों में ठगी के पैसे जमा किए. इसकी कुल रकम 100 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है. ईडी की जांच में सामने आया कि इस गिरोह ने ठगी से जुटाई रकम को वैध दिखाने के लिए जटिल वित्तीय रास्ते अपनाए. जांच एजेंसियों को धोखा देने की कोशिश की गई. 

आरोपियों ने पहले मोबाइल सिम कार्ड खरीदकर बैंक खातों को ऑपरेट किया और फिर पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया. इसके बाद रकम हवाला ऑपरेटरों के जरिए कैश में कन्वर्ट कर ली गई. इस तरह ट्रांजेक्शन के निशान मिटाने की कोशिश की गई. ये नेटवर्क ‘डिजिटल अरेस्ट’, विदेशी मुद्रा निवेश और कानूनी नोटिस के नाम पर आम लोगों को फंसाने में माहिर था. डर का अवैध धंधा कर रहा था.

ये लोग फोन कॉल, फर्जी वेबसाइट और ईमेल के जरिए शिकार चुनते थे, फिर उन्हें सरकारी एजेंसी की कार्रवाई का डर दिखाकर पैसे वसूलते थे. यह मामला सूरत पुलिस के विशेष अभियान समूह द्वारा अक्टूबर 2024 में दर्ज एक प्राथमिकी से जुड़ा है. उसी केस को आधार बनाकर ईडी ने मनी ट्रेल की गहन जांच शुरू की थी. इसके बाद जांच के दौरान इस साइबर सिंडिकेट के चार आरोपियों को पकड़ लिया गया.

जांच एजेंसी अब गिरोह के अन्य सदस्यों, हवाला चैनल और क्रिप्टो एक्सचेंज से जुड़े लिंक की जांच कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, ईडी को शक है कि इस नेटवर्क के तार देश के बाहर तक फैले हो सकते हैं. गुजरात में हुई इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि अब साइबर ठगी महज फोन कॉल या लिंक भेजने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपराध टेक्नोलॉजी और वित्तीय जाल का संगठित रूप ले चुका है.

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