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PAK में हिंदू लड़की से दुष्कर्म… अगवा किया, धर्मांतरण कराया, फिर रेप करके बूढ़े मुस्लिम से करा दिया निकाह – Pakistani Hindu minor girl kidnapped Raped face conversion and forced to marriage aged muslim man ntc


पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक 15 वर्षीय हिंदू लड़की का अपहरण करके उसके साथ बलात्कार किया गया, फिर जबरन धर्म परिवर्तन करके एक बूढ़े मुस्लिम व्यक्ति से शादी करा दी गई. पीड़िता ने मीरपुरखास जिले की सत्र अदालत में अपने परिवार के पास वापस जाने की भावुक अपील की है. अदालत ने अंतिम फैसला आने तक लड़की को सुरक्षित स्थान पर रखने का निर्देश दिया है.

लड़की की मां निर्मल मेघवार ने मीडिया को बताया कि उनकी बेटी का पिछले महीने घर के बाहर से अपहरण हुआ था. परिवार को उसकी उम्र साबित करने के लिए अदालत में दस्तावेज पेश करने पड़े, जिस दौरान उन्हें धमकियों और हिंसा का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘पिछली सुनवाई के दौरान अपहरणकर्ताओं ने अदालत के बाहर हम पर हमला किया, लेकिन आज मेरी बेटी ने हिम्मत दिखाकर जज के सामने सच बोला.’

एक महीने में जबरन धर्म परिवर्तन का चौथा मामला

सिंध में हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता शिवा कच्छी ने बताया कि यह पिछले एक महीने में इस क्षेत्र से सामने आए अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन का चौथा मामला है. उन्होंने कहा, ‘हम चारों मामलों पर काम कर रहे हैं, लेकिन इस मामले में लड़की को आखिरकार सच बोलने का मौका मिला, क्योंकि पिछली सुनवाई में उसके परिवार पर शार जनजाति के सदस्यों ने हमला किया था, जो इस अपहरण के पीछे हैं. हमने परिवार की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप किया.’

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हिंदू लड़कियों पर पाकिस्तान में लगातार अत्याचार

कच्छी ने कहा कि सिंध में विशेष रूप से गरीब परिवारों की नाबालिग हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन और शादी कराना एक गंभीर और लगातार बनी हुई समस्या है, जिसे अक्सर प्रभावशाली लोगों का समर्थन प्राप्त होता है. उन्होंने बताया, ‘सबूत पेश करने के बाद, अदालत ने निकाह कराने वाले काजी और दो गवाहों की गिरफ्तारी का आदेश दिया है. मुख्य आरोपी अब भी फरार है.’ 

औरत फाउंडेशन जैसे मानवाधिकार संगठनों और ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान का अनुमान है कि सिंध प्रांत में हर साल लगभग 1,000 अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों, खासकर हिंदू और ईसाई लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है. इनमें से कई मामले सामने नहीं आते, क्योंकि पीड़ित परिवार ज्यादातर हाशिए पर रहने वाले दलित समुदाय से होते हैं.

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