Karwa Chauth 2025: आज देशभर में करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है. हर साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को सुहागनें सोलह श्रृंगार करती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. इस त्योहार की उत्तर भारत में बड़ी मान्यता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक गांव ऐसा भी है, जहां करवा चौथ पर न तो विवाहित स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. और न ही पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. सालों पुरानी एक दर्दनाक घटना को इसकी वजह माना जाता है.
ये कहानी है मथुरा जिले के नौहझील क्षेत्र स्थित रामनगला गांव की. सैकड़ों साल पहले रामनगला गांव का एक ब्राह्मण युवक अपनी नवविवाहित पत्नी को यमुना पार स्थित ससुराल से विदा करवा के सुरीर के रास्ते लौट रहा था. युवक अपनी बुग्गी पर सवार था, जिसे एक भैंसा खींच रहा था. रास्ते में सुरीर के कुछ लोगों ने उस भैंसे को अपना बताकर विवाद शुरू कर दिया. दुर्भाग्यवश झगड़े में रामनगला के उस युवक की हत्या हो गई.
अपनी आंखों के सामने पति की मौत देखकर नवविवाहिता बुरी तरह टूट गई. तब इस क्षेत्र के लोगों को श्राप देते हुए महिला ने कहा कि जैसे मैं अपने पति के शव के साथ सती हो रही हूं, उसी तरह आपके यहां भी कोई महिला सज-धजकर नहीं रह पाएगी. कोई औरत सोलह श्रृंगार नहीं कर सकेगी.
सुहागनों में सती के श्राप का खौफ
इसे सती का श्राप कहें या फिर पति की मौत से बिलखती पत्नी के कोप का कहर. इस घटना के बाद कस्बे पर काल बनकर टूटे कहर ने जवान युवकों को निगलना शुरू कर दिया. तमाम औरतें विधवाएं हो गईं. इलाके पर मानो मुसीबत टूट पड़ी हो. तब बुजुर्गों ने इसे सती के कोप का असर माना और वहां उसका एक मंदिर स्थापित कर क्षमा याचना की.
क्या कहते हैं इलाके के लोग?
यहां एक बुजुर्ग महिला सुनहरी देवी ने बताया कि सती माता की पूजा-अर्चना से अस्वाभाविक मौतों का सिलसिला तो थम गया, लेकिन अब यहां सुहाग की सलामती के लिए सुहागनें करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं. और न ही हमारे यहां करवा चौथ पर बेटियों को कोई उपहार देने का चलन है.
ऐसी मान्यताएं हैं कि उस घटना के बाद से ही इस इलाके के सैकड़ों परिवारों में कोई विवाहिता न तो सज-धजकर श्रृंगार करती है और न ही करवा चौथ पर पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखती है. सैकड़ों साल से चली आ रही इस परंपरा का पीढ़ी दर पीढ़ी निर्वहन होता चला आ रहा है. इस श्राप से मुक्ति की पहल करने को कोई विवाहिता तैयार नहीं होती है. यहां हर विवाहित स्त्री में सती के श्राप का भय नजर आता है.
एक स्थानीय बुजुर्ग महिला ने बताया कि सती मैय्या के श्राप के कारण इस कस्बे में कहीं कोई महिला करवा चौथ का व्रत नहीं रखती है. जो भी महिला यहां करवा चौथ का व्रत रखती है, उनके पति का आकस्मिक निधन हो जाता है.
इस इलाके की एक और बुजुर्ग महिला भगवती ने बताया कि पति की मृत्यु के बाद से ही सती मैय्या यहां प्रकट हो गई थीं. अब यहां कोई महिला करवा चौथ नहीं मनाता है. अब जिस दिन सती मैय्या की मर्जी होगी, उसी दिन यहां सुहागनें करवा चौथ मनाएंगी. महिला ने यह भी बताया कि रामनगला के लोग अब इस कस्बे का पानी तक नहीं पीते हैं.
एक अन्य स्थानीय निवासी गंगाधर सिंह ने भी 200-250 साल पहले हुई इस दर्दनाक घटना को दोहराया. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में सती का श्राप है कि यहां कोई महिला न तो सोलह श्रृंगार करेगी और न ही करवा चौथ का व्रत मनाएगी. कुछ घरों में लोगों ने अब अहोई अष्टमी का व्रत रखना शुरू कर दिया है. पहले यहां वो भी नहीं रखा जाता था.
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