अमेरिकी युद्ध विभाग ने 30 सितंबर 2025 को एक सामान्य अनुबंध सूची जारी की. इसमें कई देशों, जिनमें पाकिस्तान के लिए विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) कॉन्ट्रैक्ट में संशोधन का जिक्र था. ये संशोधन पुराने कॉन्ट्रैक्ट में रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स के लिए था. लेकिन मीडिया में गलत खबरें फैलीं कि पाकिस्तान को नई एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें (AMRAAM) मिल रही हैं. अमेरिकी प्रशासन ने साफ कहा है कि ये खबरें झूठी हैं.
कॉन्ट्रैक्ट क्या था? रखरखाव का ही मामला
अमेरिकी युद्ध विभाग ने एक पुराने FMS कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव की घोषणा की. ये बदलाव कई देशों के लिए था – जैसे ब्रिटेन, पोलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान. कॉन्ट्रैक्ट का फोकस रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स पर था, यानी पुरानी मिसाइलों को चलाने और ठीक करने के लिए सामान. कुल मूल्य $2.51 बिलियन का अनुबंध है, जिसमें $41.6 मिलियन का अतिरिक्त संशोधन. काम मई 2030 तक पूरा होगा.
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ये AMRAAM मिसाइलों के C8 और D3 वेरिएंट के लिए था, लेकिन सिर्फ रखरखाव. अमेरिका ने जोर देकर कहा कि इसमें पाकिस्तान को नई मिसाइलें देने का कोई हिस्सा नहीं है. ये सिर्फ मौजूदा क्षमताओं को बनाए रखने के लिए है, अपग्रेड नहीं.
मीडिया की गलत खबरें क्यों फैलीं?
पिछले हफ्तों में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि पाकिस्तान को नई AMRAAM मिसाइलें मिल रही हैं, जो उसके F-16 जेट्स को अपग्रेड करेंगी. ये खबरें मई 2025 के भारत-पाकिस्तान टकराव के बाद आईं, जब अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते सुधरे थे. लेकिन युद्ध विभाग की सूची को गलत समझा गया.
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प्रशासन ने कहा कि ये फर्जी रिपोर्ट्स हैं. कॉन्ट्रैक्ट में नई डिलीवरी या अपग्रेड का कोई प्रावधान नहीं. AMRAAM मिसाइलें अमेरिकी F-16 जेट्स पर लगती हैं. पाकिस्तान के पास पहले से C5 वेरिएंट हैं, जो 2010 में मिली थीं. नई C8 वेरिएंट एक्सपोर्ट मॉडल है, लेकिन ये अनुबंध सिर्फ स्पेयर्स के लिए है.
पाकिस्तान की मौजूदा क्षमता पर असर?
अमेरिका ने साफ किया कि ये संशोधन पाकिस्तान की वर्तमान ताकत को बढ़ाने या बदलने का नहीं है. पाकिस्तानी एयर फोर्स के F-16 बेड़े में कोई नया अपग्रेड नहीं होगा. ये सिर्फ पुरानी मिसाइलों को चलाने के लिए पार्ट्स हैं. इससे पाकिस्तान की हवाई ताकत में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा.
भारत के लिए क्या मतलब?
ये स्पष्टीकरण भारत के लिए राहत की बात है. पहले रिपोर्ट्स से चिंता हुई थी कि पाकिस्तान को नई मिसाइलें मिलने से सीमा पर खतरा बढ़ेगा. 2019 की बालाकोट घटना में AMRAAM से भारतीय MiG-21 गिराया गया था. अब ये साफ है कि कोई नया खतरा नहीं. लेकिन भारत अपनी एयर डिफेंस (जैसे S-400) को मजबूत करता रहेगा.
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