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पीस प्राइज को लेकर ट्रंप की उम्मीदें धराशायी, नोबेल कमेटी ने गाजा संघर्ष विराम से पहले ही फाइनल किया फैसला – Donald trump nobel peace prize eight wars claim denied ntc


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार जीतने की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है. नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने पुष्टि की है कि गाजा संघर्ष विराम समझौते से पहले ही उसने अपना फैसला अंतिम रूप दे दिया था. ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने गाजा में शांति स्थापित करने में मदद की है.

इजरायली नेताओं के समर्थन और वैश्विक संघर्षों को सुलझाने के अपने बार-बार के दावों के बावजूद, खबरों के अनुसार नोबेल कमेटी ने चयन प्रक्रिया पहले ही बंद कर दी थी. एएफपी (AFP) के मुताबिक, एक विशेषज्ञ ने दावा किया कि ट्रंप के पुरस्कार जीतने की संभावना प्रभावी रूप से “शून्य” है, जो उनके लिए एक झटका है.

शांति पुरस्कार के प्रति ट्रंप का प्रेम लंबे समय से जगजाहिर है. 2020 में, उन्होंने इसे “दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार” कहा था, लेकिन जब वे इसे नहीं जीत पाए, तो उन्होंने कहा था कि इसमें धांधली होती है.

आठ युद्ध खत्म करने का ट्रंप का दावा

2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से कुछ घंटे पहले, व्हाइट हाउस में फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब के साथ एक बैठक में ट्रंप ने खुद को अनौपचारिक रूप से पुरस्कार के दावेदार के रूप में प्रस्तुत किया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि इतिहास में किसी ने वह हासिल नहीं किया है जो उन्होंने किया है-केवल नौ महीनों की अवधि में “आठ युद्ध” खत्म करवाए हैं.

ट्रंप ने कहा, “मैं यह जानता हूं कि इतिहास में किसी ने नौ महीनों की अवधि में आठ युद्ध नहीं सुलझाए हैं. और मैंने आठ युद्ध रोक दिए हैं, इसलिए ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है. उन्हें (नोबेल कमेटी को) वह करना होगा जो वे करते हैं. वे जो कुछ भी करते हैं, ठीक है. मैंने इसके लिए नहीं किया. मैंने यह इसलिए किया क्योंकि मैंने कई जिंदगियां बचाईं हैं.”

यूक्रेन युद्ध का भी निकलेगा समाधान- ट्रंप

उन्होंने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हर सप्ताह 7,000 सैनिक मारे जा रहे हैं. उन्होंने वादा किया कि वह “इस समस्या का भी समाधान निकाल लेंगे.” ट्रंप के अनुसार, दुनिया को वैश्विक संघर्षों की एक श्रृंखला को अकेले समाप्त करने के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए.

ट्रंप जिन युद्धों को खत्म करने का दावा कर रहे हैं उन्होंने इजरायल और ईरान, भारत और पाकिस्तान (जिसे भारत लगातार खारिज करता रहा है), कांगो और रवांडा, कंबोडिया और थाईलैंड, आर्मेनिया और अजरबैजान, मिस्र और इथियोपिया के बीच नील नदी पर बांध को लेकर विवाद, तथा सर्बिया और कोसोवो शामिल हैं.

आपको बता दें कि पिछले वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार निहोन हिडांक्यो को दिया गया था, जो एक जापानी संगठन है जो परमाणु हथियार मुक्त विश्व की वकालत करता है.

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