लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर एक नया मामला सामने आया है. उनकी वीवीआईपी सिक्योरिटी संभालने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर ‘येलोबुक प्रोटोकॉल’ तोड़ने की शिकायत की है. इससे सुरक्षा को लेकर जोखिम बढ़ जाता है. ऐसे में जानते हैं कि ये ‘येलोबुक’ क्या होती है.
भारत के राष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री को छोड़कर बाकी किसी भी राजनीतिक हस्तियों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था एक निर्धारित मानक और दिशानिर्देश के आधार तय होती है.
येलोबुक के दिशानिर्देशों से तय होती है वीवीआईपी सुरक्षा
गृह मंत्रालय की ओर से बड़ी हस्तियों की सुरक्षा को लेकर बनाए गए गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल का विवरण एक पुस्तिका में दिया रहता है. इसी दिशानिर्देश पुस्तिका को ‘येलोबुक’ कहा जाता है. इस येलोबुक में सुरक्षा व्यवस्था के अलग-अलग स्तर को लेकर अलग-अलग प्रोटोकॉल दिए गए होते हैं, जिन्हें सुरक्षा पाने वाले लोगों को फॉलो करना होता है.
इस येलोबुक प्रोटोकॉल के तहत वीवीआईपी को अपनी सारी गतिविधियों के बारे में सिक्योरिटी पर्सनल को जानकारी देनी होती है. ताकि, उसी अनुसार जोखिम को देखते हुए उनकी सुरक्षा व्यवस्था तय की जा सके.
येलोबुक से ही तय होती है अलग-अलग सुरक्षा कैटेगरी
‘येलो बुक’ में दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार अलग-अलग व्यक्तियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था आतंकवादियों, उग्रवादी, कट्टरपंथी संगठनों और संगठित आपराधिक गिरोहों से उत्पन्न होने वाले खतरे की आशंका का सावधानीपूर्वक आकलन करने के बाद अलग-अलग स्तर पर की जाती है.
क्योंकि खतरे की गंभीरता अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होती है, जो गतिविधियों की प्रकृति, स्थिति और आतंकवादियों के संभावित लाभ आदि जैसे कारकों पर निर्भर करती है. यही वजह है कि खतरे की गंभीरता के आधार पर उन्हें Z+, Z, Y और X जैसे सुरक्षा कवर प्रदान किए जाते हैं.
सुरक्षा के लिए जरूरी होता है येलोबुक प्रोटोकॉल फॉलो करना
येलोबुक में ही किसी के लिए सुरक्षा की व्यवस्था और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए सारे प्रोटोकॉल का विवरण होता है. इन प्रोटोकॉल्स का सुरक्षा बल और सुरक्षा पाने वाले व्यक्ति दोनों को अनुसरण करना होता है.
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