हरियाणा पुलिस के सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में अब एक्शन लेना शुरू हो गया है. चंडीगढ़ पुलिस ने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर समेत 13 अधिकारियों और पूर्व अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. ये वही नाम हैं, जिन्हें वाई. पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में जिम्मेदार ठहराया था. यह एफआईआर चंडीगढ़ के सेक्टर-11 थाने में दर्ज की गई है. चंडीगढ़ के आईजी पुष्पेंद्र कुमार ने पुष्टि की है कि सभी नामजद अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और जांच जारी है.
वाई. पूरन कुमार ने किस पर क्या आरोप लगाए
हरियाणा कैडर के 2001-बैच के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में जिन 13 अधिकारियों के नाम लिखे, उनमें 9 आईपीएस और 2 आईएएस अधिकारी प्रमुख हैं. उन्होंने साफ-साफ लिखा मुझे लगातार जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और साजिशों के जरिए तोड़ा गया. जब न्याय की उम्मीद खत्म हो गई, तब मैंने ये कदम उठाया.
फाइनल नोट में दर्ज वे सभी नाम और आरोपों की लिस्ट :
– शत्रुजीत कपूर (आईपीएस, डीजीपी हरियाणा) : आरोप है कि उन्होंने अपने वेतन एरियर 1 जनवरी 2015 से प्रभावी रूप से प्राप्त कर लिए लेकिन जब पूरन कुमार ने सामान आधार पर मांगे तो उन्हें सार्वजनिक रूप से तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज और अतिरिक्त मुख्य सचिव होम टीवीएसएन प्रसाद के सामने बेइज्जत किया गया. विरोध करके एरियर रुकवा दिए. झूठी शिकायतें करने, आधिकारिक आवास और सरकारी वाहन के लिए अतिरिक्त शर्तें थोपने का भी आरोप लगा है.
– संजय कुमार (एडीजीपी, 1997 बैच) : आरोप है कि सार्वजनिक रूप से अपमानित और कई झूठे आरोप उन्होंने लगाए हैं.
– पंकज नैन (आईजीपी, 2007 बैच) : आरोप है कि वह मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और झूठे आरोप लगाकर APR Report खराब करने की साजिश रचे थे. पूरन ने लिखा है कि साजिश करके मेरे खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज करवाई और उन्हें प्रसारित भी किया.
– कला रामचंद्रन (आईपीएस, 1994 बैच) : आरोप है कि झूठी शिकायतों के आधार पर परेशान करने की साजिश रची.
– संदीप खिरवार (आईपीएस, 1995 बैच) : आरोप है कि गुरुग्राम में संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद से ट्रांसफर के बाद मेरे खिलाफ झूठे मामलों के साजिश रची. इस मामले में संदीप खिरवार मुख्य साजिशकर्ता बताए गए हैं.
– सिबाश कविराज (आईपीएस, 1999 बैच) : आरोप है कि गुरुग्राम में पोस्टिंग के दौरान झूठी शिकायतों में शिकायतकर्ता रहे हैं.
– मनोज यादव (पूर्व डीजीपी, आईपीएस 1998 बैच) : आरोप है कि अंबाला में एक पुलिस थाने में मंदिर जाने के बाद जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न शुरू किया.
– पी.के. अग्रवाल (पूर्व डीजीपी, आईपीएस 1988 बैच) : पूरन ने लिखा है कि यह मेरे बैचमेट थे लेकिन लगातार मेरे खिलाफ भेदभाव पूर्ण जाति आधारित मानसिक उत्पीड़न करने वालों में शामिल रहे.
– टी.वी.एस.एन. प्रसाद (आईएएस, 1988 बैच) : आरोप है कि भेदभावपूर्ण जाति आधारित मानसिक उत्पीड़न करने वालों में शामिल रहे.
– राजीव अरोड़ा (आईएएस,पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार) : आरोप है कि पिता के अंतिम समय के दर्शनों के लिए अवकाश की अनुमति नहीं दी. जिसकी वजह से पिता की मृत्यु से पहले उनसे अंतिम बार नहीं मिल पाए. यही जीवन का सबसे बड़ा दर्द.
– अमिताभ ढिल्लों (एडीजीपी) : आरोप है कि आरटीआई जानकारी मांगने पर दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही की. वेतन से की गई बचत को सरकारी रिकॉर्ड में संदिग्ध नकद प्रविष्टि करार कर दिया.
पत्नी भी आईं खुलकर सामने
वाई. पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार, जो स्वयं हरियाणा कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, ने भी पति की मौत के अगले ही दिन सेक्टर-11 थाने में औपचारिक शिकायत दी. उन्होंने लिखा कि मेरे पति को लगातार मानसिक और जातिगत प्रताड़ना दी गई. कई बार उन्होंने कहा कि डीजीपी और रोहतक के एसपी उन्हें अपमानित करते हैं, झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं. अमनीत कुमार ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को भी पत्र भेजकर त्वरित कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि पोस्टमॉर्टम तब तक न किया जाए जब तक केस दर्ज न हो जाए. यही कारण था कि शव को सेक्टर-16 अस्पताल के शवगृह में दो दिन तक सुरक्षित रखा गया.
परिवार की चार प्रमुख मांगें
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में अमनीत पी. कुमार ने चार सटीक और गंभीर मांगें रखीं.सुसाइड नोट में नामित सभी 13 अधिकारियों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए. आरोपियों को तुरंत निलंबित और गिरफ्तार किया जाए ताकि जांच प्रभावित न हो. परिवार, खासकर उनकी दो बेटियों को स्थायी सुरक्षा कवर दिया जाए. परिवार की गरिमा और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए, क्योंकि वे अब भी भय और दबाव में हैं. इन मांगों के आधार पर ही चंडीगढ़ पुलिस ने देर रात मामला दर्ज किया और विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
मौत से पहले बनाई वसीयत और भेजा आखिरी संदेश
घटना 7 अक्टूबर की दोपहर की बताई जा रही है. वाई. पूरन कुमार ने अपने सेक्टर-6 स्थित सरकारी आवास के साउंडप्रूफ बेसमेंट में सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारी. पुलिस के मुताबिक, उन्होंने 6 अक्टूबर को अपनी वसीयत तैयार की थी जिसमें अपनी समस्त संपत्ति पत्नी के नाम कर दी. उसी दिन उन्होंने सुसाइड नोट लिखा और ईमेल के जरिए पत्नी को भेजा. जब उन्होंने फोन नहीं उठाया तो जापान में सरकारी दौरे पर गईं अमनीत ने उन्हें 15 बार कॉल किया. कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने बड़ी बेटी अमुल्या से कहा कि वह घर जाकर देखें. अमुल्या जब पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था. खिड़की तोड़कर देखा तो पिता खून से लथपथ पड़े थे, पास में सर्विस रिवॉल्वर और नोट रखा था.
अफसरों की चुप्पी और पुलिस की कार्रवाई
एफआईआर दर्ज होने के बाद हरियाणा पुलिस और प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है. हालांकि अब तक नामजद किसी अधिकारी की ओर से औपचारिक बयान नहीं आया है. सूत्रों के मुताबिक, कुछ अधिकारियों ने अपने स्तर पर कानूनी सलाहकारों से राय ली है. चंडीगढ़ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं. सुसाइड नोट में जिनके नाम हैं, उन्हें नोटिस भेजे जाएंगे. इस बीच, हरियाणा पुलिस मुख्यालय ने इस मामले पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है.
एक काबिल अफसर की दर्दनाक कहानी
वाई. पूरन कुमार हरियाणा पुलिस के उन अफसरों में गिने जाते थे जिनकी छवि साफ, सख्त और मेहनती अफसर के रूप में रही. उन्होंने राज्य के कई जिलों में महत्वपूर्ण पदों पर सेवा दी थी. सहकर्मी बताते हैं कि वे कभी समझौता नहीं करते थे, इसी वजह से कई बार वरिष्ठों से मतभेद हुए.
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