0

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर नहीं दिखेगा चौथ का चांद! जानें कैसे पूरा होगा अखंड सौभाग्य का व्रत – Karwa Chauth 2025 Moonrise Time shubh muhurt puja vidhi kitne baje niklega chand tvisu


Karwa Chauth 2025 Moonrise Time: अखंड सुहाग का पर्व और सुख-समृद्धि का उत्सव करवा चौथ शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को चंद्रोदय के समय पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं. हालांकि ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल करवा चौथ पर चतुर्थी का चांद दिखाई नहीं देगा. और करवा चौथ पर ऐसा दुर्लभ संयोग करीब 9 साल बाद बनने जा रहा है.

चतुर्थी पर क्यों नहीं दिखेगा चांद? (Karwa Chauth 2025 Moonrise Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी 9 अक्टूबर की रात 10.54 प्रारंभ हो जाएगी और 10 अक्टूबर की शाम 07.38 बजे इसका समापन होगा. उदिया तिथि के कारण करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा. हालांकि इस बार चंद्रोदय से पहले ही करवा चौथ की तिथि समाप्त हो जाएगी. दरअसल, 10 अक्टूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 14 मिनट पर बताया जा रहा है. यानी करवा चौथ पर चांद चतुर्थी की बजाए पंचमी तिथि पर दिखाई देगा. पंचमी तिथि लगने के बाद ही चंद्रोदय होगा और सुहागनें अर्घ्य देकर अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी.

इस साल 14 घंटे रहेगा करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth 2025 Vrat Time)
शास्त्रों में करवा चौथ को सौभाग्य वृ्द्धि का त्योहार बताया गया है. इस दिन सुहागनें घंटों तक भूखी-प्यासी रहकर अपने सुहाग की रक्षा, दीर्घायु और सुख-संपन्नता के लिए उपवास करती हैं. इस बार भी इस उपवास की अवधि कई घंटों तक रहने वाली है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार करवा चौथ के व्रत की कुल अवधि करीब साढ़े 14 घंटे की रहने वाली है. यह व्रत सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. रात करीब सवा 8 बजे चांद का दीदार होते ही सुहागनें व्रत खोल सकेंगी.

चांद देखकर व्रत खोलने की परंपरा (Karwa Chauth 2025 Vrat Vidhi)
शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ पर रात को चांद देखकर व्रत खोलने की परंपरा है. इस दिन सुबह सरगी खाने के बाद ईश्वर को याद करें और व्रत का संकल्प लें. यह व्रत निर्जला ही रखा जाता है. यानी व्रती महिलाएं पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं कर सकती हैं. दोपहर के समय पूजा-पाठ करने के बाद करवा चौथ की कथा सुनें. इसके बाद शाम के वक्त भगवान शिव, माता पार्वती और गणपति के समक्ष दीप जलाएं. इसके बाद मिट्टी का करवा पूजन करें. फिर चौथ माता की पूजा करें. उन्हें हलवा पूरी, फल, मिठाई, चावल, रोली आदि अर्पित करें.

फिर रात को चंद्रोदय होने के बाद एक लोटे में जल लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दें. उन्हें प्रणाम करें और अपने पति की दीर्घायु के लिए कामना करें. इसके बाद एक छन्नी में दीपक रखें. उससे पहले चंद्रमा के दर्शन करें और फिर अपने पति का चेहरा देखें. इसके बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करें और उपवास खोल लें.

—- समाप्त —-