नेपाल में Gen-Z युवाओं के आंदोलन को एक महीने पूरा हो गया है. लेकिन इसके बावजूद भी कुछ युवा प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में आज पुलिस ने कुछ युवाओं को गिरफ्तार कर लिया. ये युवा तत्कालीन प्रधानमंत्री पी शर्मा ओली और तत्कालीन गृहमंत्री रमेश लेखक की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे.
आज सुबह से ही माइतीघर मंडला में प्रदर्शन कर रहे एक दर्जन युवाओं को पुलिस ने हिरासत में लिया. ये युवा 8 और 9 सितंबर को काठमांडू सहित देशभर में हुए प्रदर्शन में गोली लगने से मारे गए युवाओं की मौत के लिए जिम्मेदार तत्कालीन सरकार के शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे.
ओली की चुनौती
वहीं दूसरी ओर, Gen-Z विद्रोह के कारण सत्ता से बाहर किए गए पूर्व प्रधानमंत्री पी शर्मा ओली आज खुलेआम अपने समर्थकों के साथ शहर में घूमते नजर आए. उन्होंने कहा कि यदि सरकार और पुलिस प्रशासन में हिम्मत है, तो उन्हें गिरफ्तार करके दिखाए.
राजनीतिक तनाव बढ़ा
इस घटनाक्रम के बाद काठमांडू में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. Gen-Z युवा लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वह पी शर्मा ओली और रमेश लेखक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे.
नेपाल में क्यों भड़का था प्रदर्शन
दरअसल सितंबर में Gen-Z विद्रोह की शुरुआत हुई थी, जब नेपाल के युवा और नागरिक सत्ताधारी दल की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने लगे. प्रदर्शनकारियों ने कई मांगें रखीं.
इस प्रदर्शन की शुरुआत सरकार द्वारा फेसबुक, एक्स (Twitter) और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध से हुई. सरकार का दावा था कि इन कंपनियों ने स्थानीय नियामकों के साथ पंजीकरण नहीं कराया, लेकिन आम जनता ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया. इसके बाद राजधानी काठमांडू से लेकर कई शहरों तक युवा सड़कों पर उतर आए.
प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए. सुरक्षाबलों ने आंसू गैस, रबर बुलेट और गोलियों तक का इस्तेमाल किया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी युवाओं की जान चली गई और 1,000 से ज्यादा घायल हुए. इस भारी दबाव के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि, अब भी युवा नेताओं की मांग है कि केपी ओली को गिरफ्तार किया जाए.
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