चिली का अटाकामा रेगिस्तान दुनिया का सबसे सूखा इलाका है. यहां पानी की भारी कमी है. तापमान दिन-रात में बदलता रहता है. धूप इतनी तेज कि UV किरणें सब कुछ जला दें. मिट्टी में नमक भरा पड़ा है. लेकिन एक छोटा सा गुलाबी फूल, सिस्टैंथे लॉन्गिस्कापा (स्थानीय नाम ‘पाता दे ग्वानाको’) यहां आसानी से जीवित रहता है.
ये फूल दुर्लभ बारिश में खिलता है. चिली के एंड्रेस बेलो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इसका जीनोम (आनुवंशिक कोड) पढ़ रहे हैं. उनका मकसद ऐसे मजबूत जीन ढूंढना है, जो गेहूं या चावल जैसी फसलों में डालकर उन्हें सूखा सहने लायक बनाया जा सके. ये खोज जलवायु परिवर्तन के दौर में खेती के लिए बड़ी उम्मीद है.
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अटाकामा रेगिस्तान: धरती का सबसे कठिन घर
अटाकामा चिली का एक विशाल रेगिस्तान है. ये इतना सूखा है कि सालों तक बारिश न हो. यहां पानी की कमी, नमकीन मिट्टी, तेज धूप और तापमान का खेल सबको मार डालता है. लेकिन कभी-कभी दुर्लभ बारिश होती है, तो पूरा रेगिस्तान फूलों से रंगीन हो जाता है – इसे ‘फ्लावरिंग डेजर्ट’ कहते हैं.
जुलाई 2024 में कोपियापो के पास ऐसी ही एक सर्दियों की ब्लूमिंग देखी गई थी. चिली पूरे देश में पानी की समस्या से जूझ रहा है. वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के अनुसार, ये दुनिया के पानी-कमी वाले देशों में से एक है. 2050 तक चिली के बीच के उपजाऊ इलाके में भयानक सूखा आ सकता है, जहां वाइन, फल और पशुपालन की खेती होती है. जलवायु परिवर्तन सूखे को और बुरा बना रहा है, जो खेती के लिए बड़ी मुसीबत है.
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सिस्टैंथे लॉन्गिस्कापा फूल: छोटा सा लेकिन सुपरहीरो
ये फूल छोटा और गुलाबी रंग का है. स्थानीय लोग इसे ‘पाता दे ग्वानाको’ कहते हैं. ये अटाकामा का मूल निवासी है. खासियत ये है कि ये सूखे, तेज UV किरणों, नमकीन मिट्टी और तापमान बदलाव में भी जीवित रहता है. कैसे? इसका रहस्य फोटोसिंथेसिस (सूरज की रोशनी से भोजन बनाने की प्रक्रिया) में छिपा है.
सामान्य पौधे C3 तरीके से फोटोसिंथेसिस करते हैं. लेकिन ये फूल सूखा या तेज धूप में CAM (क्रैसुलेशियन एसिड मेटाबॉलिज्म) पर स्विच कर जाता है. CAM में ये रात में CO2 सोखता है. दिन में इस्तेमाल करता है, जिससे पानी कम लगता है. हालात ठीक होने पर फिर C3 पर लौट जाता है. इससे ये पर्याप्त भोजन बनाता है. जीवित रहता है.
एंड्रेस बेलो यूनिवर्सिटी का प्रोजेक्ट: जीन का राज खोलना
चिली के एंड्रेस बेलो यूनिवर्सिटी के प्लांट बायोटेक्नोलॉजी सेंटर की टीम इस फूल पर रिसर्च कर रही है. डायरेक्टर एरियल ओरेलाना लीड कर रहे हैं. वे फूल का पूरा जीनोम सीक्वेंस कर रहे हैं – यानी आनुवंशिक कोड पढ़ रहे हैं. जीनों का अध्ययन करना कि कैसे ये फोटोसिंथेसिस के स्विच को कंट्रोल करते हैं.
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मकसद: फूल के सूखा-सहन करने वाले गुण ढूंढना और उन्हें दूसरी फसलों में ट्रांसफर करना. एरियल ओरेलाना कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन से सूखा खेती के लिए बड़ी समस्या बन रहा है. हमें ऐसे पौधे चाहिए जो सूखा सह सकें. ये फूल की लचीलापन जीनों के बदलाव को समझने का शानदार मॉडल है.
चिली की नेशनल फॉरेस्ट्री कॉर्पोरेशन (कॉनाफ) के अटाकामा क्षेत्र के बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन हेड सेजर पिजारो गैसिटुआ कहते हैं कि ये फूल कठिन हालात में कैसे पर्याप्त भोजन बनाता है और फोटोसिंथेसिस करता है? इसके रहस्यों को समझने के लिए ज्यादा जॉइंट रिसर्च जरूरी है. रिसर्च अभी जारी है. शुरुआती नतीजे आनुवंशिक सुराग दे रहे हैं, लेकिन पूरा काम समय लेगा.
फसलों में जीन ट्रांसफर: खेती की नई ताकत
फूल के जीनों को मुख्य फसलों जैसे गेहूं, चावल या मक्का में डालना. इससे फसलें सूखे में CAM मोड चालू कर पानी बचाएंगी. चिली जैसे पानी-कमी वाले देशों में ये क्रांति ला सकता है. वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से सूखा बढ़ रहा है, जो खाद्य उत्पादन को खतरे में डाल रहा. मजबूत फसलें पानी बचाएंगी, निर्यात (जैसे चिली का वाइन-फल) सुरक्षित रखेंगी.
बड़ा असर: जलवायु परिवर्तन से लड़ाई
ये रिसर्च जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेगी. सूखा खाद्य सुरक्षा को चुनौती दे रहा है. चिली के सेंट्रल वैली में 2050 तक एक्सट्रीम सूखा आ सकता है. फूल के जीन से बनी फसलें पानी की कमी झेलेंगी, किसानों का सहारा बनेंगी. ये दिखाता है कि रेगिस्तान के छोटे फूल से वैश्विक खेती बदली जा सकती है.
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