कानपुर के मेस्टन रोड पर बुधवार की शाम 7:20 बजे हुए स्कूटी विस्फोट की गूंज और दहशत अब भी लोगों के दिलों में डर पैसा कर रहा है. इस हादसे में आठ लोग घायल हुए थे, जिनमें चार की हालत गंभीर बताई जा रही है. इन्हें तत्काल अस्पताल लाया गया और बाद में लखनऊ रेफर कर दिया गया लेकिन प्रशासन की रिपोर्ट से कहीं ज्यादा भयावह यह घटना उन चश्मदीदों की आंखों और दिल में दर्ज है, जो मौके पर मौजूद थे.
जहान्वी सोनकर ने बताया कैसा था वहां का मंजर
20 साल की जहान्वी सोनकर और उनकी बहन नेहा सोनकर उस समय हादसे वाली दुकान के बगल वाली दुकान में कपड़े खरीद रही थीं. अचानक हुए विस्फोट ने दोनों को बुरी तरह घायल कर दिया. जहान्वी की मां अंजू सोनकर आज भी उस पल को याद कर सिहर उठती हैं. उनका कहना है, ‘भगवान का शुक्र है कि मेरी बेटियां जिंदा हैं, वरना यह हादसा उनकी जान ले सकता था.’
हाथ-पैर जले, आंखों के आगे छाया अंधेरा
जहान्वी खुद इस हादसे को याद करते हुए बताती हैं, विस्फोट इतना तेज था कि कुछ पल के लिए सुनाई देना बंद हो गया था, चारों तरफ धुआं और अंधेरा छा गया था. हमारे हाथ-पैर जल गए, कान के नीचे चोट और जलन के निशान हैं, बाल भी झुलस गए. हम इतने घबराए हुए थे कि लगभग चार हजार रुपए के खरीदे हुए कपड़े वहीं दुकान पर छोड़कर भाग निकले.’
नेहा सोनकर को भी गंभीर चोटें आईं, हालांकि हादसे के तुरंत बाद उनके पति ससुराल से उन्हें लेने आ गए और वह वहीं चली गईं. जहान्वी इस समय ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं और अपनी मां के साथ घर पर हैं लेकिन उनके शरीर और मन पर हादसे के निशान अब भी साफ झलकते हैं.
पीड़ितों ने सरकार से की कार्रवाई की मांग
जहान्वी की मां अंजू ने प्रशासन से अपील की है कि ‘सरकार और पुलिस को यह पता लगाना चाहिए कि आखिर यह विस्फोट किसने और क्यों किया, क्योंकि अगर थोड़ी सी देर और होती तो मेरी बेटी की जान भी जा सकती थी.’ स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन चाहे सिर्फ आठ घायलों की सूची जारी करे, लेकिन हकीकत यह है कि कई अन्य लोग भी विस्फोट की चपेट में आए और अब भी दहशत में जी रहे हैं. फिलहाल, पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है.
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