भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने कहा कि भारत 2040 तक विकसित अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी देशों के साथ खड़ा होगा। प्रक्षेपण यान क्षमताओं में समानता हासिल करने की योजना पर काम चल रहा है।राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 में इसरो प्रमुख ने कहा, 2040 तक, भारत प्रक्षेपण क्षमता, उपग्रह क्षमता, वैज्ञानिक मिशन और जमीनी उपकरणों के मामले में किसी भी अन्य विकसित अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी देश के बराबर होगा।
उन्होंने दूरदर्शिता और दिशा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को श्रेय दिया। नारायणन ने स्वतंत्रता के बाद से भारत के तकनीकी परिवर्तन का वर्णन किया। उन्होंने कहा, 1947 में, 35 करोड़ की आबादी के लिए हमारे पास सिर्फ लगभग 84,000 टेलीफोन लाइनें थीं। मैं कन्याकुमारी जिले के एक गांव से आता हूं, और मुझे आज भी याद है कि 1990 के दशक में भी, 5 किलोमीटर के दायरे में टेलीफोन कनेक्टिविटी नहीं थी। उन्होंने 1993 में रूस में अपने 10 महीने के प्रवास के दौरान अपने माता-पिता से संपर्क न कर पाने का एक निजी किस्सा भी साझा किया। नारायणन ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारत की संचार क्रांति को उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम ने गति दी है। 1975 में पहला उपग्रह आर्यभट्ट प्रक्षेपित करने और उसी वर्ष उधार लिए गए अमेरिकी उपग्रह सिग्नल के माध्यम से जनसंचार का प्रदर्शन करने से लेकर, भारत ने नाटकीय रूप से प्रगति की है। उन्होंने कहा, आज 85 प्रतिशत घरों में स्मार्टफोन हैं। लगभग सभी जिलों में, लगभग 99.6 फीसदी 5जी कवरेज है।
इसरो 18 संचार उपग्रहों का संचालन कर रहा
इसरो की उपलब्धियों के बारे में नारायणन ने कहा, भारत अब 354 ट्रांसपोंडर और 73 जीबीपीएस उच्च-थ्रूपुट क्षमता वाले 18 संचार उपग्रहों का संचालन कर रहा है। अकेले जीसैट-11 उपग्रह का वजन 6,000 किलोग्राम है और यह उच्च दक्षता के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने समर्पित स्पॉट बीम के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लक्षित प्रयासों का भी उल्लेख किया। नारायणन ने कहा कि इसरो का योगदान राष्ट्रीय हित से कहीं आगे जाता है। हम वैश्विक समुदाय के विकास में दृढ़ विश्वास रखते हैं। पिछले वर्ष ही, हमने दो मिशनों के माध्यम से 72 उपग्रह प्रक्षेपित किए। इस महीने, हम एक और संचार उपग्रह प्रक्षेपित करेंगे।