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France: President Macron To Name New Prime Minister In 48 Hours; Three Potential Candidates In Spotlight – Amar Ujala Hindi News Live


फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने बुधवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अगले 48 घंटे में उनके स्थान पर नए प्रधानमंत्री की घोषणा करेंगे। लेकोर्नू ने यह नहीं बताया कि उन्हें कौन बदल सकता है, लेकिन उन्होंने खुद को फिर से पद संभालने के लिए अनुकूल नहीं बताया और कहा मेरा मिशन पूरा हो गया है। हालांकि, फ्रांस टेलीविजन के साथ उनके इंटरव्यू ने राजनीतिक संकट को हल करने के मैक्रों के इरादों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए।

‘अगले 48 घंटे में नया प्रधानमंत्री नियुक्त हो सकता है’

बता दें कि लेकोर्नू ने अपनी कैबिनेट गठन करने के 14 घंटे बाद सोमवार को अचानक इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मैक्रों ने उनसे 2026 के लिए बजट को लेकर सांसदों का समर्थन जुटाने के प्रयास जारी रखने को कहा। दो दिन तक राजनीतिक दलों के साथ बातचीत के बाद भी, मैक्रों के अगले कदमों को लेकर स्पष्टता नहीं मिली। लेकोर्नू ने कहा कि उनका प्रयास सफल रहा और उन्होंने प्रगति की, हालांकि चुनौती अभी भी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि एक रास्ता अब भी संभव है। स्थिति कठिन है। लेकिन मुझे लगता है कि राष्ट्रपति अगले 48 घंटे में नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं।

मैक्रों के पास हैं ये तीन विकल्प

पहला विकल्प यह है कि वह कोई नया प्रधानमंत्री चुनें। लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि वह किसे चुनें। उनकी अपनी पार्टी से किसी को लाना मुश्किल है और मैक्रों वामपंथी नेताओं को चुनने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि वामपंथी नेता मैक्रों की पेंशन सुधार नीतियों को कमजोर करना चाहते हैं। अगर राष्ट्रपति मैक्रों वामपंथी नेता को प्रधानमंत्री बनाते हैं, तो इससे फ्रांस के दक्षिणपंथी गुट नाराज हो सकते हैं, जो कानून व्यवस्था, प्रवास नीति और सख्त आर्थिक नीतियों की मांग करते हैं।

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दूसरा विकल्प यह है कि मैक्रों संसद भंग कर दें और नए आम चुनाव कराएं। लेकिन वह खुद कह चुके हैं कि वह ऐसा नहीं करना चाहते। फिर भी अगर ऐसा होता है और दक्षिणपंथी पार्टी ‘नेशनल रैली’ (आरएन) को बहुमत मिल जाता है, तो वह सरकार बना सकती है।

तीसरा और आखिरी विकल्प यह है कि मैक्रों खुद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दें। लेकिन वह कई बार कह चुके हैं कि वह ऐसा नहीं करेंगे। फिर भी अगर वह इस्तीफा देते हैं, तो अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह साफ नहीं है, लेकिन मौजूदा सर्वेक्षणों में नेशनल रैली के जीतने की संभावना जताई जा रही है।

बजट को लेकर दबाव ने संकट और बढ़ाया

अगर हालात सामान्य होते, तो मैक्रों की अल्पमत सरकार शायद किसी तरह काम चला लेती। लेकिन दो बड़े कारणों ने हालात को और कठिन बना दिए। पहला कारण है फ्रांस का बजट संकट। यूरोपीय देशों में फ्रांस का बजट घाटा सबसे बड़ा है और देश पर दबाव है कि वह खर्च को कम करे। मैक्रों ने अपने कई प्रधानमंत्रियों को सख्त बजट पारित कराने की जिम्मेदारी दी।

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मिशेल बार्नियर पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 2025 के बजट में कटौती का प्रस्ताव दिया, लेकिन संसद ने इसे नकार दिया और दिसंबर में उन्हें पद से हटा दिया गया। उनके बाद फ्रांस्वा बायरू प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 2025 का बजट तो पारित करा लिया, लेकिन 2026 के लिए उनके प्रस्तावों की वजह से उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा। उनके बाद मैक्रों ने सेबस्टियन लेकॉर्नू को प्रधानमंत्री बनाया, जो उनके करीबी माने जाते हैं। लेकिन विपक्षी दलों ने उनकी कैबिनेट को पूरी तरह से खारिज कर दिया और वह एक महीने से भी कम समय में पद छोड़ने को मजबूर हो गए।