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पकड़ा गया IBPS परीक्षा का मास्टरमाइंड, 5 लाख रुपये की बदले सीट दिलवाने का वादा, AI की मदद से करता था धांधली – IBPS exam Assistant Manager mastermind solver gang high tech methods to commit fraud pvpw


लखनऊ पुलिस ने आईबीपीएस क्लर्क एग्जाम में सेंध लगाने वाले सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गैंग के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जबकि एक आरोपी पहले ही जेल भेजा जा चुका है. पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि गिरोह का सरगना आनंद कुमार यूपी ग्रामीण बैंक खबूपुरा, संभल में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर तैनात है और पिछले पांच साल से यह गिरोह चला रहा था. आनंद अपने दलाल रोहित के जरिए अभ्यर्थियों से संपर्क करता था. जैसे ही कोई उम्मीदवार आवेदन फार्म भरता, आनंद उस तक पहुंच जाता और पैसे लेकर परीक्षा पास कराने की गारंटी देता था.

AI की मदद से करता था धंधली

पुलिस के मुताबिक यह गैंग हाईटेक तरीके से फर्जीवाड़ा करता था. आरोपी अभ्यर्थी और सॉल्वर की तस्वीरों को फेस मिक्सिंग एप जैसे MIXX, GRINDR, REMINI AI, CHAT GPT और FOTOR की मदद से एडिट करते थे. एआई तकनीक से दोनों के चेहरे 70 फीसदी तक एक जैसे बना दिए जाते थे. फिर यही एडिट की गई फोटो आवेदन फार्म और एडमिट कार्ड में लगाई जाती थी. परीक्षा केंद्र पर फोटो मिलान के दौरान यह इतनी समान दिखती थी कि पहचान मुश्किल हो जाती थी और इस तरह सॉल्वर असली अभ्यर्थी की जगह परीक्षा दे देता था.

पास करने के 5 लाख से ज्यादा रुपये लेता था

डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि एक उम्मीदवार को पास कराने की डील करीब 5 लाख 20 हजार रुपये में तय होती थी. इसमें से दो लाख रुपये सरगना आनंद के पास जाते थे. प्रारंभिक परीक्षा में बैठने वाले सॉल्वर को 20 हजार रुपये और मेन एग्जाम में बैठने वाले सॉल्वर को एक लाख रुपये तक दिए जाते थे. बाकी रकम गैंग के अन्य सदस्यों में बांटी जाती थी.

ऐसे तैयार हुआ पूरा सॉल्वर गैंग

आरोपी आनंद को बैंकिंग सेक्टर की पूरी जानकारी थी और उसने खुद भी कई एग्जाम दिए थे. इसी अनुभव का फायदा उठाकर उसने गैंग तैयार किया. बैंक में नौकरी होने के कारण वह कई अभ्यर्थियों और तैयारी करने वाले छात्रों के संपर्क में रहता था. इन्हीं के जरिए उसने सॉल्वर और दलालों का नेटवर्क बनाया. गैंग में बैंक कर्मियों और स्केल-1 ऑफिसर्स को भी शामिल किया गया था. सभी को बैंकिंग परीक्षाओं और आईबीपीएस पैटर्न की पूरी जानकारी थी. गिरोह के हर सदस्य को काम के हिसाब से जिम्मेदारी दी गई थी, किसे फार्म भरना है, कौन एडिटिंग करेगा, कौन परीक्षा देगा और कौन इंटरव्यू तक साथ रहेगा.

डीसीपी ने आगे बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में दलाल रोहित कुमार (पटना), योगेंद्र कुमार (गया, बिहार), शिव कुमार (जहानाबाद, बिहार) शामिल हैं. वहीं योगेंद्र कुमार और आकाश दीप समेत 10 आरोपी अभी फरार हैं. उनकी तलाश में पुलिस की चार टीमें बिहार और उत्तर प्रदेश में दबिश दे रही हैं. बिहार पुलिस से भी संपर्क किया गया है. पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि गैंग ने अब तक कितने अभ्यर्थियों को सॉल्विंग के जरिए बैंक की नौकरी दिलवाई है.

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