कच्चे तेल को लेकर रूस ने बड़ी चाल चल दी है, जिससे रूसी तेल की खरीदारी और बढ़ सकती है. साथ ही डोनाल्ड ट्रंप की रूसी तेल को लेकर दबाव की नीति फेल हो सकती है. दरअसल, रूस ने कच्चे तेल पर भारत के लिए बड़ा डिस्काउंट दिया है. नवंबर में यूराल क्रूड लोडिंग पर डेटेड ब्रेंट की तुलना में 2 से 2.50 डॉलर प्रति बैरल की छूट मिल रही है, जो इसके काफी आकर्षक बना रही है. यह छूट जुलाई-अगस्त के मुकाबले ज्यादा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने ये छूट अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापार वार्ता में देरी के बीच दी है. ऐसे में भारतीय रिफाइनरी कंपनियां रूसी तेल की खरीदारी बढ़ा सकती हैं. हालांकि इस महीने की शुरुआत में जहाजों के आवाजाही से पता चल रहा है कि रूस से तेल का आयात बढ़ रहा है.
रूस से इतना बढ़ सकता है तेल का आयात
Kpler Ltd. के अनुसार अक्टूबर में रूस से कच्चे तेल का आयात लगभग 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो सकता है, यह पिछले महीने की तुलना में लगभग 6% अधिक है, लेकिन पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है. रूस के इस छूट के बाद भी अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय रिफाइनर अमेरिका के साथ बातचीत को देखते हुए रियायती रूसी कच्चे तेल की खरीद को बढ़ाएंगी.
रूसी तेल को लेकर भारत पर 50% टैरिफ
अमेरिका ने अगस्त में भारतीय वस्तुओं के अमेरिकी आयात पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया था, ताकि भारत पर Russia Oil की मांग को कम करने का दबाव बनाया जा सके. हालांकि उसने एक अन्य प्रमुख खरीदार चीन के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया था. जवाब में भारत ने स्पष्ट किया कि ये सौदा बेहतर प्राइस को लेकर है और आगे भी खरीदारी जारी रहेगी. साथ ही भारत ने यह भी क्लियर किया था कि वह अमेरिका के साथ बातचीत के दौरान ज्यादा अमेरिकी एनर्जी खरीदना चाहता है.
मिडिल ईस्ट के साथ तेल के लिए बात
रूसी तेल पर छूट और अमेरिका से व्यापार समझौते में देरी के कारण भारत के सरकारी तेल रिफाइनरियों ने 2026 के लिए मिडिल ईस्ट और अफ्रीका की नेशनल तेल कंपनियों के साथ लॉन्गटर्म पर बातचीत शुरू कर दी है. ब्लूमबर्ग के सूत्रों के अनुसार, रिफाइनर उन आपूर्तिकर्ताओं से अधिक मात्रा में उत्पादन की उम्मीद करेंगे जो मात्रा के मामले में लचीलापन प्रदान कर सकें.
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