विपक्षी दलों के बीच गठबंधन की चर्चा गरमाई हुई है जहां इंडिया ब्लॉक आगामी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सीट-बंटवारा फॉर्मूला अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा है. पटना में इंडिया गठबंधन की दूसरी बैठक सोमवार को तेजस्वी यादव के आवास पर देर रात 4 बजे तक चली. रात के खाने के दौरान सीट बंटवारे को लेकर लंबी बहस और टकराव की स्थिति देखी गई लेकिन सुबह तक भी कोई नतीजा नहीं निकला और किसी फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पाई. गठबंधन की तीसरी बैठक मंगलवार को शाम 7 बजे होने वाली है.
इस राजनीतिक खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सही संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है, साथ ही अपने सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जूझ रहा है जिसमें कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (मुकेश सहनी की पार्टी, VIP), CPI(ML) और अन्य छोटे साझेदार शामिल हैं.
आरजेडी खुद अपनी सीटों की संख्या 130 से नीचे नहीं लाना चाहती और चाहती है कि दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस इसमें उसकी मदद करे. वीआईपी अपनी उम्मीदों के साथ ज्यादा सीटों की मांग कर रही है और CPI(ML) का भी यही रुख है.
ऐसे में तेजस्वी यादव के सामने बड़ी चुनौती है- सही समय पर डील करना और छोटे सहयोगियों को नाराज किए बिना सभी को साथ रखना. बैठक में नेता खुलकर बातचीत कर रहे थे और विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों के साथ सीटों के आधार पर उन्होंने चर्चा की. अगली राउंड की बैठक जल्द होगी लेकिन सीट-बंटवारे का कोई फॉर्मूला निकल आना अभी भी दूर की कौड़ी लगती है.
मुस्लिम-बहुल सीटों का विवाद
मुस्लिम-बहुल सीटों पर कौन चुनाव लड़ेगा, इसे लेकर भी इंडिया ब्लॉक में टकराव है. एक वरिष्ठ नेता ने चेताया कि अगर मुस्लिम समुदाय को उनकी जनसंख्या के अनुपात में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया, तो समुदाय नाराज हो सकता है. उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हमें मुस्लिम वोटों को हल्के में नहीं लेना चाहिए.
AIMIM प्रमुख ओवैसी मुस्लिम युवा मतदाताओं में काफी लोकप्रिय हैं. सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति मजबूत है और वे वही आवाज उठाते हैं जो युवा वोटर सुनना चाहते हैं. अगर हम सतर्क नहीं रहे, तो उनकी पार्टी हमारे वोट शेयर को काट सकती है.’
इसलिए तेजस्वी को जाति और समुदाय के समीकरण में सही संतुलन बनाए रखना होगा.
वीआईपी ने पहले 60 सीटों पर दावा किया था लेकिन अब भी 40 से कम सीट स्वीकार करने को तैयार नहीं है. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के एक नेता ने मुकेश सहनी से सवाल किया है कि वो जो इतनी सीटें मांग रहे हैं, उनके पास उतने उपयुक्त उम्मीदवार हैं भी या नहीं.
कुछ नेताओं ने संकेत दिया कि सहनी विकल्प खुले रख सकते हैं, हालांकि उन्होंने इंडिया ब्लॉक के प्रति वफादारी की शपथ ली. रिपोर्ट्स के अनुसार, सहनी ने कहा, ‘भले ही मुझे एक भी सीट न मिले, मैं फिर भी आप सभी के साथ रहूंगा.’ हालांकि सूत्रों ने बताया कि उन्होंने NDA नेताओं के साथ अनौपचारिक संपर्क बनाए रखा है.
सूत्र बताते हैं कि सहनी अपनी बढ़ती पहचान का फायदा उठा रहे हैं, उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ वोटर अधिकार यात्रा और 2024 लोकसभा अभियान के दौरान मंच शेयर किया था जिसमें हेलीकॉप्टर दौरे भी शामिल थे. बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया, ‘वो मानते हैं कि उन्होंने अपने आधार को संगठित किया और इंडिया ब्लॉक को आगे ले जाने में योगदान किया इसलिए उनकी सीटें आनुपातिक रूप से अधिक होनी चाहिए.’
कांग्रेस की महत्वाकांक्षा
कांग्रेस को गठबंधन सहयोगियों ने आईना दिखा दिया है. उनका कहना था कि वोटर अधिकार यात्रा लोगों को दिखी तो जरूर, लेकिन इसका जमीन पर बहुत सीमित असर पड़ा. एक अन्य विपक्षी नेता ने कहा कि कांग्रेस की क्षेत्रीय उपस्थिति इतनी नहीं है कि उनकी अधिक सीटों की मांग को जायज ठहराया जा सके.
कांग्रेस 60–65 सीटों की उम्मीद कर रही है, छोटे साझेदारों जैसे वीआईपी के लिए सीटें छोड़ने के बाद. हालांकि, तेजस्वी यादव ने साफ किया है अगर आरजेडी दूसरों के लिए जगह बना रही है, तो कांग्रेस को भी समझौता करना होगा.
कांग्रेस को 50–55 सीटें ऑफर की गई हैं. लालू यादव ने पहले तो कांग्रेस के लिए 40 सीटों का ही प्रस्ताव दिया था लेकिन बाद में इसमें संशोधन कर इसे बढ़ाया गया.
CPI(ML) का स्ट्राइक रेट पर जोर
पिछले विधानसभा चुनाव में प्रभावशाली स्ट्राइक रेट हासिल करने के बाद, CPI(ML) तेजस्वी यादव के साथ खड़ी है. पार्टी का मानना है कि दोनों की संयुक्त ताकत उनके गढ़ों में वोट हासिल करने में मदद कर सकती है.
2015 में, पार्टी ने लेफ्ट गठबंधन के साथ रहते हुए केवल तीन सीटें जीती थी. हालांकि, 2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के हिस्से के रूप में 19 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए, CPI(ML) ने 12 सीटें जीतीं और बिहार विधानसभा में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने पिछले प्रदर्शन का हवाला देते हुए 35 सीटों की मांग की है. बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ इंडिया ब्लॉक नेता ने कहा, ‘कांग्रेस और आरजेडी का मानना है कि चूंकि वीआईपी के लिए सीटें कम की जा रही हैं इसलिए CPI(ML) की सीटें भी बढ़नी नहीं चाहिए बल्कि उसे पिछली बार की तरह 19 सीटों पर ही टिके रहना चाहिए.’ हालांकि, यह प्रस्ताव CPI(ML) को नागवार गुजरा है, क्योंकि उनका कैडर बेस काफी मजबूत है और कई इलाकों में उनका प्रभाव है.
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