0

अमीर देशों के पुरुष क्यों गरीब देशों में खोज रहे जीवनसाथी? क्या है पासपोर्ट ब्रो कल्चर पर विवाद – passport bro community western passport foreign bride ntcpmj


आजकल सोशल मीडिया पर एक लहर है, फेमिनिज्म को कोसने की. पुरुष आरोप लगा रहे हैं कि महिलाएं बराबरी के फेर में महिला होना भूल चुकीं. यहां तक कि वे स्थाई रिश्ते से भाग रही हैं. पश्चिमी देशों में बराबरी का तूफान ज्यादा बड़ा है. ऐसे में बड़ी संख्या में पुरुष गरीब देशों की तरफ मुड़ रहे हैं ताकि वहां स्थाई पार्टनर खोज सकें. इस पूरे रिश्ते में उनका वेस्टर्न पासपोर्ट असल चीज है. यही वो चुंबक है, जिसके बूते वे महिलाओं से जुड़ रहे हैं. 

साल 2010 के आसपास की बात है, जब अमीर देशों के युवा पुरुष, खासकर यूरोप, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के लोग जीवनसाथी चुनना मुश्किल पाने लगे. डेटिंग वेबसाइट्स तो ढेर की ढेर थीं लेकिन ज्यादातर महिलाएं टिकाऊ रिश्ते से दूर रहना चाहती थीं. ऐसे में घर बसाने की कोशिश कर रहे पुरुषों ने एक तोड़ निकाला. जैसे मेडिकल टूरिज्म के लिए लोग दूसरे देश जाते हैं, जहां कम कीमत पर अच्छी सुविधा मिल सके, वैसे ही वे गरीब देशों का रुख करने लगे. वहां जाकर घूमते-फिरते वे स्थानीय लड़कियों से मिलते और अगर दोनों एक-दूसरे को पसंद कर लें तो शादी हो जाती. 

तुरंत ही कई कम्युनिटीज बन गईं, जो अपने जैसे लोगों को सलाह देने लगीं कि वे कहां जा सकते हैं. कई वेबसाइट्स हैं, जो बाकायदा लिस्ट करती हैं कि कौन से देश में क्या खूबी मिल सकेगी. 

passport bros (Photo- Unsplash)
लोअर इनकम देशों में अमेरिकी पासपोर्ट का चाव काफी है. (Photo- Unsplash)

किन देशों में बन रहा समुदाय

– अमेरिका में बहुत से मिडिल और अपर-मिडिल क्लास पुरुष मानते हैं कि शादी महंगी और कानूनी रूप से जोखिम भरी हो गई है. ऐसे में वे लॉयल साथी की तलाश में दूसरे देश जा रहे हैं. 
– कनाडा और ब्रिटेन में भी डेटिंग कल्चर और इकनॉमिक आजादी से पारंपरिक रिश्तों में बदलाव आया. यहां के पुरुष दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी यूरोप की ओर रुख करते हैं.
– जर्मनी और स्कैंडिनेवियाई देशों में करियर बनाने की वजह से उम्र बढ़ती जा रही है. शादी और परिवार का कंसेप्ट कमजोर पड़ चुका. यहां के पुरुष पूर्वी यूरोप जैसे यूक्रेन, रोमानिया में पार्टनर ढूंढते हैं.

क्या हैं डेस्टिनेशन

इसमें फिलीपींस, थाइलैंड,  कोलंबिया, वियतनाम, मेक्सिको, अर्जेंटिना, सर्बिया, पेरू, ताइवान से लेकर दक्षिण कोरिया और चीन तक शामिल हैं. 

हरेक देश के साथ प्लस-माइनस बताया जाता है. जैसे अर्जेंटिना में महिलाएं खूबसूरत और घर के काम में माहिर होंगी. लेकिन अंग्रेजी यहां उतनी कॉमन नहीं. तो अगर ट्रैवलर को स्पेनिश आए तो काम ज्यादा आसान हो जाएगा. 

युद्ध से जूझता यूक्रेन भी सूची में शामिल है. पासपोर्ट ब्रोज का दावा है कि यहां की महिलाएं काफी ट्रैडिशनल तो होती हैं, साथ ही उन्हें पश्चिम की जीवनशैली को अपनाने में भी कोई एतराज नहीं. चूंकि यहां युद्ध काफी लंबा खिंच चुका, लिहाजा बहुत सी युवा महिलाएं हैं, जो सुरक्षित देश जाना चाहेंगी. ऐसे में यूक्रेन भी टॉप ऑप्शन में है. 

passport bros (Photo- Pexels)
पासपोर्ट ब्रो कल्चर पर एंटी-फेमिनिस्ट होने का ठप्पा लग चुका. (Photo- Pexels)

वेस्टर्न पासपोर्ट इस समुदाय का सबसे बड़ा हथियार है. वे इसी के जरिए गरीब या युद्ध प्रभावित देशों की महिलाओं से जुड़ रहे हैं. 

फिर विवाद कहां है
आरोप है कि ये मूवमेंट एंटी-फेमिनिस्ट है. वेस्टर्न देशों के पुरुष ऐसी महिलाएं चाहते हैं जिनके अपने सपने न हों, जो उनके अनुसार चलें और जो वैसी आजादख्याल न हों, जैसी उनके यहां की महिलाएं हैं. यही वजह है कि वे गरीब देशों की तरफ जा रहे हैं, जहां की महिलाएं बाहर निकलना चाहती हैं. फेमिनिस्ट मूवमेंट के समर्थक इसे सेक्स टूरिज्म का कवर भी कह रहे हैं. 

पासपोर्ट ब्रो समुदाय की क्या है दलील
उनका कहना है कि उनके यहां महिलाएं शादी या लंबे रिश्ते के लिए राजी नहीं. वे करियर बनाने या दुनिया घूमने में व्यस्त हैं. ऐसे में घर बसाने की इच्छा रखने वाले पुरुष अपने लिए मनमुताबिक साथी खोज रहे हैं.  

शादी के लिए साथी की खोज में लोग कई एशियाई देश पहुंच रहे हैं, लेकिन भारत इस लिस्ट से बाहर है. इसके कई कारण हैं. भारत में महिलाएं तेजी से इकनॉमिक आजादी की तरफ जा रही हैं. ऐसे में वो अंतर नहीं मिल पाता, जिसकी तलाश में वेस्टनर्स पहुंच रहे हैं. हमारे यहां शादी, वीजा और रेसिडेंसी के नियम कई एशियाई देशों की तुलना में अधिक पेचीदा हैं. विदेशी नागरिकों को यहां लंबी कानूनी प्रोसेस और दस्तावेजों से गुजरना होता है. वहीं ये समुदाय आमतौर पर आसान, तेज रास्ता चाहते हैं. 

—- समाप्त —-