‘कांतारा चैप्टर 1’ का जादू सिर्फ पूरे देश के दर्शकों पर ही नहीं, बल्कि बॉक्स ऑफिस के भी सिर चढ़कर बोल रहा है. ऋषभ शेट्टी ने माइथोलॉजी और दंतकथा के साथ बड़े पर्दे को एक ऐसी धमाकेदार फिल्म दी है जिसके टिकट थिएटर्स में खूब बिक रहे हैं. गुरुवार को रिलीज हुई ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने 4 दिन में ही वर्ल्डवाइड 300 करोड़ से ज्यादा ग्रॉस कलेक्शन कर डाला. ये कलेक्शन अब इंडियन फिल्म बिजनेश की एक्साइटमेंट बढ़ा रहा है.
वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर इंडियन फिल्मों के ‘बड़ी फिल्म’ कहलाने की परिभाषा अब 1000 करोड़ के वर्ल्डवाइड कलेक्शन है. 2025 में अभी तक एक भी इंडियन फिल्म 1000 करोड़ के आंकड़े तक नहीं पहुंची है. विक्की कौशल की ‘छावा’ इस आंकड़े के काफी करीब, लगभग 808 करोड़ तक पहुंची थी.
ऐसे में ‘कांतारा चैप्टर 1’ की तगड़ी शुरुआत देखने के बाद, इससे बड़ी-बड़ी उम्मीदें की जाने लगी हैं. मगर ऋषभ शेट्टी की राह में उनकी ही लिखी कहानी शायद रोड़ा बन सकती है. कैसे? चलिए बताते हैं…
विदेशियों के लिए पहेली है देश की जड़ों से जुड़ी कहानी
देशभर के दर्शकों का दिल जीत रही ‘कांतारा चैप्टर 1’ की कहानी, भारतीय माइथोलॉजी और दक्षिण कर्नाटक की दंतकथाओं पर आधारित है. ये ऋषभ और उनकी टीम की राइटिंग का कमाल है कि ये फिल्म किसी एक मायथोलॉजिकल कहानी को स्क्रीन पर उतारने की कोशिश नहीं करती, बल्कि पौराणिक और दंतकथाओं से निकले किरदारों को प्रकृति के प्रतीकों की तरह पेश करती है.
मगर इस कहानी को कहने के लिए ‘कांतारा चैप्टर 1’ जिन प्रतीकों, किरदारों और विजुअल नैरेटिव का प्रयोग करती है वो भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़े हैं. जाहिर सी बात है कि इन प्रतीकों और तरीकों को ना समझने वालों, या इसमें दिलचस्पी ना रखने वालों को फिल्म शायद उतनी ना भाए. और यही बात ‘कांतारा चैप्टर 1’ के अमेरिका कलेक्शन में नजर आ रही है.
नॉर्थ अमेरिका (यूएस + कनाडा) के बॉक्स ऑफिस पर ऋषभ शेट्टी की फिल्म को काफी स्लो स्टार्ट मिला है. और ये फिल्म से लगी बड़ी उम्मीदों के लिए अच्छा इशारा नहीं है. बीते शुक्रवार से रविवार वाले वीकेंड में फिल्म को नॉर्थ अमेरिका में करीब 1.7 मिलियन डॉलर की ओपनिंग मिली है. अगर गुरुवार से जोड़ा जाए तो रविवार तक फिल्म ने वहां करीब 2.2 मिलियन डॉलर का ग्रॉस कलेक्शन किया है. इसे बहुत दमदार नहीं कहा जा सकता.
अमेरिका में भारतीय फिल्मों की बड़ी ओपनिंग कितनी होती है?
पठान, जवान और RRR इंडियन सिनेमा की उन फिल्मों में से हैं जिन्होंने वर्ल्डवाइड 1000 करोड़ का आंकड़ा पार किया था. इन सभी फिल्मों ने अमेरिका में, ओपनिंग वीकेंड में कम से कम 6 मिलियन डॉलर की कमाई की थी. यानी वहां से पहले वीकेंड में ही इन फिल्मों ने लगभग 50 करोड़ रुपये कमा लिए थे.
अमेरिका, भारतीय फिल्मों की बड़ी मार्किट है और अगर कोई फिल्म वहां चल जाती है तो उसका ओवरसीज कलेक्शन तगड़ा हो जाता है. जिन भारतीय फिल्मों ने वर्ल्डवाइड 1000 करोड़ या उससे ज्यादा कलेक्शन किया है, उनका ओवरसीज यानी विदेशी मार्किट से कलेक्शन कम से कम 200 करोड़ रुपये रहा है. इसमें शाहरुख की फिल्में ‘जवान’ और ‘पठान’ सबसे आगे हैं जिनका ओवरसीज ग्रॉस कलेक्शन करीब 400 करोड़ रुपये था. बाकी फिल्मों में ‘RRR’, ‘पुष्पा 2’ और ‘बाहुबली 2’ जैसे नाम हैं.
इंडियन फिल्मों की तगड़ी कमाई में अमेरिकन मार्किट का रोल बताने वाला एक और आंकड़ा है. 1000 करोड़ या उससे ज्यादा कमाने वाली हर इंडियन फिल्म के कलेक्शन में कम से कम 15 मिलियन डॉलर ग्रॉस कलेक्शन अमेरिका से आया है. यानी बदलते एक्सचेंज रेट के हिसाब से, ये आंकड़ा पिछले 5 सालों में 120 करोड़ से 130 करोड़ के आसपास रहा है. अमेरिका में ये फिल्में इसलिए अच्छी चलीं क्योंकि इनसे रिलेट करने के लिए भारतीय संस्कृति, मिथकों या लोककथाओं की समझ होना जरूरी नहीं था. इनकी विजुअल लैंग्वेज ऐसी नहीं थी जो भारतीय संस्कृति से कनेक्ट करने वालों को ही अपील करे.
अमेरिका से कम हुई कमाई तो चूके 1000 करोड़
‘स्त्री 2’ और ‘छावा’ वो बॉलीवुड फिल्में हैं जिन्होंने वर्ल्डवाइड 800 करोड़ ग्रॉस तो पार किया, मगर 1000 करोड़ नहीं कमा सकीं. क्यों? क्योंकि इन फिल्मों का ओवरसीज कलेक्शन कम था. जहां ‘स्त्री 2’ का ओवरसीज कलेक्शन 140 करोड़ से ज्यादा था, वहीं ‘छावा’ का करीब 90 करोड़. वजह ये है कि इन फिल्मों की कहानी या प्रेजेंटेशन भारतीय दर्शकों के लिए ज्यादा सूटेबल है. चाहे वो ‘स्त्री 2’ की कॉमेडी और ह्यूमर हो, या ‘छावा’ में छत्रपति संभाजी महाराज और मराठा साम्राज्य के प्रति गर्व की भावना.
इन दोनों फिल्मों की विदेशी कमाई इसलिए भी कम थी क्योंकि अमेरिका में इनकी कमाई कम थी. ‘स्त्री 2’ का वहां ओपनिंग वीकेंड ग्रॉस 2.5 मिलियन डॉलर था और ‘छावा’ का 1.7 मिलियन डॉलर. अब ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने वहां 2.2 मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया है, जो लगभग इन फिल्मों के ही आसपास है. यानी अमेरिका से इस फिल्म की कमाई कम है जो इसका ओवरसीज कलेक्शन कम करेगी और इससे 1000 करोड़ का आंकड़ा दूर होगा.
अमेरिका से तगड़ी कमाई के बिना भी संभव है 1000 करोड़
इस ट्रेंड तोड़ने वाला एक उदाहरण यश की ब्लॉकबस्टर ‘KGF 2’ का है, जिसे अमेरिका में 2.8 मिलियन डॉलर के ओपनिंग मिली थी. 1000 करोड़ कमाने वाली बाकी भारतीय फिल्मों के मुकाबले इस फिल्म का अमेरिका कलेक्शन काफी कम था. मगर बाकी ओवरसीज मार्केट्स में इसकी कमाई ठीकठाक थी और इसलिए कलेक्शन 200 करोड़ को पार कर गया था.
मगर ‘KGF 2’ को 1000 करोड़ तक ले जाने वाला फैक्टर पूरी तरह इंडियन कलेक्शन था. इसके 1215 करोड़ वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन में, 1000 करोड़ ग्रॉस तो सिर्फ भारत से ही आया था. ‘कांतारा चैप्टर 1’ का क्रेज बहुत तगड़ा है मगर इसे ‘KGF 2’ के लेवल का तो नहीं कहा जा सकता. इसलिए ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा चैप्टर 1’ भारत में क्रेज के भरोसे ‘स्त्री 2’ या ‘छावा’ की तरह 800 करोड़ तक भले पहुंच जाए. मगर अमेरिका में फिल्म का कंटेंट ना क्लिक कर पाना इसे 1000 करोड़ के लैंडमार्क से दूर कर रहा है.
दिवाली पर बड़ी फिल्मों के आने तक ‘कांतारा चैप्टर 1’ के पास तगड़ी कमाई करने का मौका है. अब देखना है कि तबतक ये फिल्म सिर्फ इंडियन दर्शकों के दम पर कितनी कमाई कर पाती है.
—- समाप्त —-