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माम्बा सांप का काटा दवा भी मांगता… दवा मिले तो भी ‘जहर’ फैल जाता है – mamba snakebite antivenom interplay toxin


माम्बा सांप का काटना अफ्रीका में मौत का पैगाम है. लेकिन वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली बात खोजी है – एंटीवेनम (विष-निवारक दवा) देने के बाद मरीज की हालत कभी-कभी और बिगड़ जाती है. कारण? विष में दो तरह के टॉक्सिन (विष तत्व) होते हैं. एंटीवेनम एक को तो ठीक करता है, लेकिन दूसरे को जगा देता है.

यह खोज 26 सितंबर को ‘टॉक्सिन्स’ जर्नल में छपी. इससे अफ्रीका में सालाना 30,000 से ज्यादा सांप काटने की मौतों को रोकने में मदद मिल सकती है.

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माम्बा सांप क्या है? दुनिया के सबसे घातक सांप

माम्बा सांप डेंड्रोएस्पिस जीनस के चार प्रजाति के होते हैं – ब्लैक मंबा, वेस्टर्न ग्रीन, जेम्सन और ईस्टर्न ग्रीन. ब्लैक माम्बा सबसे खतरनाक है, जिसके काटने मौत 100% तय है. दो बूंद विष से ही मौत हो सकती है. ये सांप सब-सहारा अफ्रीका (साहेलियन इलाके) में पाए जाते हैं. विष न्यूरोटॉक्सिन से भरा होता है, जो नर्व सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) पर हमला करता है. बिना इलाज एक घंटे में श्वास नली लकवाग्रस्त हो जाती है, दिल रुक जाता है. मरीज चल नहीं पाता, सांस नहीं ले पाता.

Mamba snakebite

विष के दो रूप: लकवा या ऐंठन – कौन सा ज्यादा खतरनाक?

माम्बा विष मांसपेशियों के नर्व रिसेप्टर्स (नर्व सिग्नल रिसीवर) को ‘हैक’ करता है. ब्रेन से सिग्नल मांसपेशियों तक नहीं पहुंचते. मॉलेक्यूलर बायोलॉजिस्ट ब्रायन फ्राई (यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड) कहते हैं कि मांसपेशियां सिकुड़ ही नहीं पातीं – इसे फ्लेसिड पैरालिसिस (लकवा) कहते हैं.

  • फ्लेसिड पैरालिसिस: मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं. वेस्टर्न ग्रीन, जेम्सन और ब्लैक माम्बा में यह मुख्य प्रभाव है. सांस लेना मुश्किल हो जाता है. 
  • स्पास्टिक पैरालिसिस: उलटा प्रभाव – नर्व सिग्नल्स ओवरलोड हो जाते हैं, मांसपेशियां ऐंठन (स्पास्म) से सिकुड़ जाती हैं. सांस नली बंद हो जाती है. पहले लगता था कि यह सिर्फ ईस्टर्न ग्रीन माम्बा में होता है.

फ्राई कहते हैं कि स्पास्टिक पैरालिसिस घातक है, लेकिन फ्लेसिड ज्यादा तीव्र होता है.

Mamba snakebite

एंटीवेनम का राज: इलाज से समस्या क्यों बढ़ी?

पुरानी सोच: अन्य तीन माम्बाओं में सिर्फ फ्लेसिड होता है. लेकिन फ्राई की टीम ने लैब एनिमल्स के न्यूरोमस्कुलर टिश्यू (नर्व-मसल ऊतक) पर टेस्ट किया. विष डालने पर अन्य माम्बाओं का प्रभाव न दिखा, लेकिन स्टिमुलेशन (उत्तेजना) पर मांसपेशियां सिकुड़ ही नहीं पाईं.

एंटीवेनम (अफ्रीका में उपलब्ध तीन ब्रांड्स) ने फ्लेसिड को अच्छे से ठीक किया. लेकिन तब स्पास्टिक पैरालिसिस उभर गया. एंटीवेनम ने पहले टॉक्सिन को निष्क्रिय किया, तो दूसरा टॉक्सिन (जो छिपा था) सक्रिय हो गया. एंटीवेनम स्पास्टिक के खिलाफ कमजोर साबित हुआ.

फ्राई कहते हैं कि हमेशा बैकग्राउंड में स्पास्टिक हो रहा था, लेकिन फ्लेसिड ने छिपा लिया.

Mamba snakebite

जहर में अंतर: केन्या vs साउथ अफ्रीका

ब्लैक माम्बा का विष जगह के अनुसार अलग-अलग होता है. केन्या और साउथ अफ्रीका के सांपों का विष टिश्यू पर अलग असर करता है. एंटीवेनम भी अलग तरीके से काम करता है. डेनमार्क के बायोटेक्नोलॉजिस्ट एंड्रियास हॉगार्ड लॉस्टेन-किल कहते हैं कि जहर का अंतर समझकर एंटीवेनम बनाना जरूरी, ताकि हर टॉक्सिन के खिलाफ काम करे.

इलाज में सुधार: भविष्य की उम्मीद

यह खोज एंटीवेनम को बेहतर बनाएगी. दोनों टॉक्सिन्स के खिलाफ मजबूत एंटीबॉडीज वाली दवा बनेगी. फ्राई अब ब्लैक माम्बा पर ज्यादा रिसर्च करेंगे – क्षेत्रवार एंटीवेनम की तुलना करेंगे. डॉक्टरों को डेटा मिलेगा, जो इलाज की रणनीति बनाएगा. यह अध्ययन इलाज को सुरक्षित बनाएगा.

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