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भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय पटल पर बेनकाब किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, पार्वथानेनी हरीश ने यूएनएससी में महिला शांति और सुरक्षा विषय पर  खुली बहस के दौरान भारत की स्पष्ट नीति को रेखांकित करते हुए कहा कि महिला, शांति और सुरक्षा के एजेंडे पर हमारा (भारत) अग्रणी रिकॉर्ड बेदाग और अक्षुण्ण है।

पी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर मजबूती से भारत का पक्ष रखते हुए कहा, महिला शांति सैनिकों को आगे बढ़ाने में भारत का नेतृत्व किरण बेदी जैसी हस्ती ने किया है। उन्होंने कहा, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पहली महिला अधिकारी डॉ. किरण बेदी को करीब 22 साल पहले वर्ष 2003 में पहली महिला पुलिस सलाहकार और संयुक्त राष्ट्र पुलिस प्रभाग की प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे भारत का नजरिया स्पष्ट होता है। 

क्या महिलाओं के बिना शांति स्थापना संभव है?

मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में महिलाओं की भूमिका के बारे में पार्वथानेनी हरीश ने कहा, ‘हमारा मानना है कि अब सवाल यह नहीं रह गया है कि महिलाएं शांति की स्थापना कर सकती हैं या नहीं। बल्कि, अधिक प्रासंगिक सवाल अब यह है कि क्या महिलाओं के बिना शांति स्थापना संभव है?’ उन्होंने कहा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महिलाएं लिंग आधारित हिंसा से निपटने में मदद करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि शांति प्रक्रिया समाज के सभी वर्गों की जरूरतों और दृष्टिकोणों को प्रतिबिंबित करे।

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भारत ने पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को भी उजागर किया

राजदूत हरीश विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा, महिला शांति सैनिक ‘शांति की दूत’ हैं। उन्होंने देश की नीतियों को स्पष्ट करने के साथ-साथ पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को भी उजागर किया। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत ने कहा, ‘दुर्भाग्यवश, हर साल हमें अपने देश के खिलाफ पाकिस्तान की भ्रामक आलोचना सुनने को मिलती है, खासकर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर। लालच के कारण उनकी नजर इस भारतीय क्षेत्र पर है।

54 साल पहले पाकिस्तान में चार लाख महिलाओं के साथ क्या हुआ?

पी हरीश ने पाकिस्तान की अशांति, हिंसा और आतंकवाद को भी दुनिया के सामने रखा। उन्होंने कहा, ‘जो देश जो अपने ही लोगों पर बमबारी करता है, व्यवस्थित नरसंहार करता है, वह केवल गुमराह करने और अतिशयोक्ति से दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश कर सकता है। भारतीय राजदूत ने कहा, ‘यह वही देश है जिसने वर्ष 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया था और उस देश की सेना ने 4,00,000 महिला नागरिकों के नरसंहार जैसे सामूहिक दुष्कर्म के व्यवस्थित अभियान को मंजूरी दी थी। भारत ने दो टूक कहा कि आज दुनिया पाकिस्तान के दुष्प्रचार को समझती है।