चुनाव आयोग के SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण पर जिस तरह बवाल हुआ, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त हद से ज्यादा सतर्क नजर आ रहे हैं. चुनाव तारीखों की घोषणा की पूर्व संध्या पर चुनाव आयोग की तरफ से जो जानकारियां दी गईं, साफ हो गया कि चुनाव आयोग किसी भी सूरत में राजनीतिक दलों को सवाल खड़ा करने का मौका नहीं देना चाहता है.
और इस बीच, चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. बिहार में 6 और 11 नवंबर को मतदान होंगे, और 14 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद नतीजे भी आ जाने की अपेक्षा है – और जिस तरह से चुनाव आयोग बिहार चुनाव प्रयासरत है, लगता है ईवीएम पर भी सवाल न उठने देने के इंतजाम किए जा रहे हैं.
चुनाव आयोग के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में ऑब्जर्वर IAS अफसर होंगे, और वे बिहार से बाहर के होंगे. पर्यवेक्षकों के नंबर भी ECI की वेबसाइट पर दिए जाएंगे. अगर किसी को कोई शिकायत हो तो सीधे ऑब्जर्वर्स को बताया जा सकेगा.
पहले से ही अलर्ट है चुनाव आयोग
प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का कहना था, चुनाव खत्म होने के बाद राजनीतिक पार्टियों और पत्रकारों को आंकड़ों की आवश्यकता होती है, और उसके लिए भी व्यवस्था कर दी गई है. ज्ञानेश कुमार ने बताया कि अब नए सिस्टम से चुनाव खत्म होने के कुछ दिनों के अंदर ही चुनाव से संबंधित सभी आंकड़े आयोग की वेबसाइट पर मिल जाएगी.
साथ ही, चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया में ऐसे एहतियाती उपाय किए हैं, जिनकी बदौलत उन विवादों को टाला जा सके, जिनके जरिए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाने लगते हैं – और अक्सर उनमें से एक EVM भी होता है.
1. बिहार विधानसभा चुनाव से चुनाव आयोग का नया एक नया ऐप लॉन्च कर रहा है – ईसीआई नेट (ECI Net). ये सिंगल विंडो ऐप है जिसे मदर ऑफ ऑल इलेक्शन ऐप्स बताया जा रहा है. ईसीआई नेट ऐप के जरिए चुनाव और मतदान से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं की रियल-टाइम निगरानी की जा सकेगी.
2. बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी बूथ पर 1200 से ज्यादा वोटर नहीं होंगे, ताकि सारी प्रक्रिया सही तरीके से चले. बिहार से शुरू हो रही ये व्यवस्था पूरे देश में लागू की जानी है.
3. हर पोलिंग स्टेशन पर सौ फीसदी वेबकास्टिंग की सुविधा मुहैया कराई जा रही है, ताकि सभी गतिविधियों की लाइव निगरानी की जा सके.
4. बिहार चुनाव से कई शुरुआत हो रही है, और उनमें से एक है बूथ लेवल एजेंट की ट्रेनिंग. चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार के सभी बूथ लेवल एजेंट की ट्रेनिंग दिल्ली में कराई गई गई.
5. लोगों को वोट देते वक्त उम्मीदवारों को पहचानने में आसानी के लिए सभी कैंडिटेट की तस्वीरें रंगीन दी जा रही हैं.
6. पोस्टल बैलट की गिनती EVM के दो राउंड के पहले कर करना होगा. चुनाव खत्म होने के बाद कितने लोगों ने वोट किया और कितने परसेंट रहे, ये जानने में अब सहूलियत होगी.
SIR को लेकर चुनाव आयोग विपक्ष के निशाने पर तो रहा ही, चंद्रबाबू नायडू जैसे एनडीए के सहयोगी ने भी टाइमिंग पर सवाल उठा दिए थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तो बिहार में वोटर अधिकार यात्रा पर ही निकल गए – और उसके बाद पूरे देश में वोट-चोरी अभियान चला रहे हैं.
लगभग हर चुनाव के बाद देखा गया है कि कोई न कोई ईवीएम पर सवाल उठा ही देता है – लगता है चुनाव आयोग बिहार में विपक्ष के बवाल से सबक लेते हुए हर वो एहतियाती इंतजाम करने की कोशिश कर रहा है, जिससे ऐसे सवालों और विवादों को टाला जा सके.
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