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बिहार में चालीस साल बाद दो चरण में चुनाव, जानें- चाचा vs भतीजे की लड़ाई में किसका क्या दांव पर – bihar election 2025 nitish vs tejashwi yadav battle 14 november counting ntc


अब से लेकर अगले 38 दिन पूरे देश की निगाह बिहार में रहने वाली है. वो बिहार जिसके लिए महात्मा गांधी ने कहा था कि चंपारण ने मुझे हिंदुस्तान से परिचित कराया है. ऐसे में सोमवार को बिहार के विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. इस ऐलान से साफ हो गया है कि 14 नवंबर को बिहार का फैसला हो जाएगा. ऐसे में गौर करने वाली बात ये भी है कि बिहार में चालीस साल बाद दो चरण में चुनाव होने जा रहा हैं.

गौर इस बात पर भी करना है कि बिहार का चुनावी नतीजा केवल एक राज्य के चुनाव का फैसला नहीं करेगा, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर, जीएसटी रिफॉर्म, वोट चोरी के विपक्ष के मुद्दे का भी नतीजा निकलेगा. लेकिन उससे पहले आज देखिए बिहार में जीत का फैक्टर क्या है? किसके पास क्या है बड़ा मौका…

बिहार चुनाव की 10 बड़ी बातें

अब आपको चुनाव आयोग की 10 बड़ी बातें बताते हैं. कुल 90 हजार 712 मतदाता केंद्र बनाए गए हैं. एक बूथ पर 1200 से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे. पोलिंग बूथों की 100% वेबकास्टिंग की जाएगी. EVM पर प्रत्याशियों की रंगीन फोटो होगी. मतदाता बूथ तक मोबाइल लेकर जा सकेगा. बूथ सेंटर से 100 मीटर की दूरी पर पोलिंग एजेंट बैठ सकेंगे. बैलट पेपर पर बड़े अक्षरों में सीरियल नंबर लिखा होगा. वोटर स्लिप में बड़े अक्षरों में बूथ संख्या लिखी होगी. फॉर्म 17c और EVM का डेटा न मिलने पर VVPAT गिनती अनिवार्य होगी. हर दो घंटे में रियल टाइम वोटर टर्नआउट ECINET पर अपडेट होगा.

विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर

2024 के लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में नतीजा अब तक तीन-दो रहा है. एनडीए ने महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली में जीत हासिल की. इंडिया गठबंधन ने जम्मू कश्मीर-झारखंड जीता. अब बिहार 14 नवंबर को सिर्फ एक राज्य का मुख्यमंत्री ही नहीं तय करने वाला है. बल्कि बहुतों की सियासी दांव का फैसला करेगा.

नीतीश कुमार- रिकॉर्ड 10वीं बार सीएम बनने का मौका है. 

नरेंद्र मोदी- वोट चोरी से लेकर विपक्ष के हर दांव को काटने और महाराष्ट्र जैसी स्थिति होने पर पहली बार बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने का मौका है. 

तेजस्वी यादव- 20 साल बाद खुद सत्ता में शीर्ष पर आने का मौका है. 

राहुल गांधी- एक जीत से वोट चोरी के अपने मुद्दे पर जनता की मुहर पाने का मौका है. 

प्रशांत किशोर- पता चलेगा कि कितने पानी में पीके की प़ॉलिटिक्स? वोट काटने वाले रहेंगे या फिर किंगमेकर बनेंगे? 

चिराग पासवान- बिहार में अपनी पार्टी की पैठ मजबूत करने का मौका 

मांझी, कुशवाहा, साहनी- खुद की पार्टी और सियासत को विस्तार देने का मौका.

ओवैसी- मुस्लिम वोट की 2020 वाली सियासत क्या दोहरा पाएंगे?

बिहार के चुनाव को केवल एक राज्य के इलेक्शन के चश्मे से कतई मत देखिएगा. क्योंकि इसी चुनाव में जनता तीन राष्ट्रीय मुद्दों का भी फैसला करेगी. क्योंकि वोट चोरी पर विपक्ष के कैंपेन के बाद ये पहला चुनाव है? ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये पहला चुनाव है और देश में जनता को जीएसटी रिफॉर्म से राहत देने के बाद भी ये पहला चुनाव है?

नीतीश की असली परीक्षा

6 और 11 नवंबर को अबकी बार जब 243 सीट पर मतदान होगा तो नतीजों के दौरान सबकी नजर नीतीश कुमार पर जरूर होगी. तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर सवाल करते आ रहे हैं और तब ये भी बिहार तय करेगा कि नीतीश कुमार की सत्ता की ताकत कितनी है? 

लालू परिवार की अंदरूनी जंग की परीक्षा

लालू परिवार के बीच छिड़े महाभारत का भी कितना नुकसान पाटलिपुत्र की लड़ाई में होगा ये भी इस बार पता चलने वाला है. जहां तेज प्रताप अपनी अलग पार्टी बनाकर उतरे हैं. बहन रोहिणी आचार्य भाई के सेनापति पर सवाल उठाती हैं. लेकिन बिहार के चुनाव में फैसला क्या इस बार महिला ही करेंगी? जहां पुरुष मतदाता 3 करोड़ 92 लाख, महिला मतदाता 3 करोड़ 49 लाख 8. जिसमें से एक करोड़ 21 लाख महिलाओं को नीतीश सरकार 10-10 हजार रुपए खाते में भेज चुकी है. जिसे विपक्ष की तरफ से 2500 रुपए महीना देने वाले दांव की बड़ी काट कहा जा रहा है.

इतने सारे फैक्टर के बीच अगले ग्यारह दिन सबसे अहम हैं, क्योंकि 17 अक्टूबर को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है और उससे पहले सीट बंटवारे का गुणा गणित साफ साफ होना जरूरी है.

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