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टैरिफ का खेल ट्रंप की सिर्फ ‘राजनीति’, एक्सपर्ट ने भारत को लेकर कह दी ये बड़ी बात! – Trump Tariffs no solution concerns over US jobs trade says expert tutc


अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा दुनिया के तमाम देशों पर लगाए गए टैरिफ को लेकर एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है. अब लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन आंद्रेस वेलास्को ने कहा कि ट्रंप द्वारा अन्य देशों से आयात पर लगाए गए टैरिफ किसी परेशानी का हल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ये देश में नौकरियों और व्यापार से जुड़ी चिंताओं का समाधान नहीं हो सकते. इसके साथ ही उन्होंने ये भी साफ किया कि अमेरिका में अगले प्रशासन तक भी टैरिफ को वापस लिए जाने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. वहीं भारत को लेकर उन्होंने कहा कि देश लगातार आगे बढ़ रहा है और दुनिया को इसके अच्छे प्रदर्शन की जरूरत है.

‘आर्थिक नहीं, इसके राजनीतिक कारण’ 
कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के दौरान बिजनेट टुडे के साथ बातचीत के दौरान स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डीन और चिली के पूर्व वित्त मंत्री आंद्रेस वेलास्को ने कहा कि व्यापार में लाभ और लागत विभिन्न देशों में अलग-अलग होता है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ट्रंप के टैरिफ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से लगाए गए हैं. ऐसे में अमेरिका में रोजगार पर व्यापार के प्रभाव को लेकर आपकी चाहे जितनी भी चिंताएं हों, US Tariff इसका समाधान नहीं हैं. 

वेलास्को के मुताबिक, टैफिर आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से लगाए गए हैं, तो ऐसे में ये अस्थिर, अप्रत्याशित हैं. यही नहीं अमेरिकी कानून और अंतरराष्ट्रीय कानून, दोनों के तहत अवैध हैं. इसलिए, भले ही किसी के पास अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव करने के कारण हों, लेकिन यह तरीका सही नहीं है. वेलास्को ने कहा कि यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को अभी तक समझ में नहीं आई है और चाहे वे कोई भी टैरिफ लगाएं, अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार नहीं बढ़ने वाला है. 

टैरिफ क्यों है चिंता की वजह? 
आंद्रेस वेलास्को ने अपने संबोधन में कहा कि, ‘ग्लोबल ट्रेड में अमेरिका की हिस्सेदारी सिर्फ 14% है और टैरिफ का अर्थ है कि उभरते और विकासशील देशों के साथ यूरोपीय यूनियन के बीच व्यापार और अधिक गहरा होगा. जो लोग कह रहे हैं कि वैश्विक व्यापार का युग समाप्त हो गया है, वे अतिशयोक्ति कर रहे हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि एक बार टैरिफ लागू हो जाने के बाद, उन्हें वापस लेना मुश्किल होता है. खासतौर पर अमेरिका के बारे में, कम से कम दो कारणों से बात सच साबित होती है. इसमें पहला टैरिफ राजस्व उत्पन्न करने में सहायक है, और ऐसे देश में जहां कर्ज जीडीपी के 100% से अधिक है, ये अतिरिक्त राजस्व अहम है. 

दूसरा कारण, इनके राजनीतिक निहितार्थ हैं, क्योंकि एक बार टैरिफ लागू हो जाने के बाद, आप उस टैरिफ से लाभ उठाते रहने के लिए एक निहित स्वार्थ बना लेते हैं. वेलास्को के मुताबिक, हालांकि इनमें से कई टैरिफ को आर्थिक आधार पर उचित ठहराना बहुत मुश्किल है, लेकिन अमेरिका में अगले प्रशासन के लिए इन्हें हटाना आसान नहीं होगा, और यही कारण है कि हमें चिंतित होना चाहिए.

‘दुनिया को भारत की जरूरत…’
भारत के ग्रोथ ट्रैक को लेकर आंद्रेस वेलास्को ने कहा कि विश्व को भारत के अच्छे प्रदर्शन की आवश्यकता है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जो स्वतंत्रता और सम्मान के मूल्यों को कायम रखता है. इसलिए, भारत विश्व मामलों में एक बहुत ही वैल्यूएबल खिलाड़ी है. भारत ने 90 के दशक की शुरुआत में हुए सुधारों से शुरुआत करके पहले ही बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और देश के पास इस पर आगे बढ़ने की बहुत गुंजाइश है.

उन्होंने आगे कहा कि भारत सर्विस सेक्टर में विशेष रूप से मजबूत स्थिति में है और आगे भी और मजबूत रह सकता है. इसके अलावा बैंकिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक, कई तरह की सेवाओं में भी ये आगे है. मैन्युफैक्चरिंग की तुलना में ये बहुत श्रम-प्रधान सेक्टर्स हैं. आंद्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लिए सतत विकास संभव है, लेकिन इसके लिए अतीत की तरह ही काम करने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि भविष्य में कुछ नया करने की जरूरत भी है. 

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