चुनाव आयोग आज शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करने जा रहा है. चुनाव आयोग की टीम ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अगुवाई में चुनाव आयोग की टीम ने हाल ही में बिहार का दौरा कर राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर चुनाव पर चर्चा की थी, अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारियों के संबंध में जानकारी ली थी.
राजनीतिक दलों ने सुझाव दिया है कि चुनाव छठ पूजा के बाद हों. इस पर JD(U) ने एक ही चरण में मतदान की मांग की, जबकि BJP और RJD ने दो चरणों में चुनाव कराने की पैरवी की है. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का संख्याबल सबसे अधिक है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नेताओं का काफी कुछ दांव पर लगा है. नीतीश कुमार के सामने चुनौती है एंटी-इंकंबेंसी को मात देकर अपने नेतृत्व को साबित करना, जबकि बीजेपी को अधिक सीटें जीतकर विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए वोट चोरी के आरोपों का सामना करना है. तेजस्वी यादव के लिए चुनौती है ‘जंगलराज’ के निशाने पर आए अपने शासन का जवाब देना, वहीं प्राशांत किशोर के लिए यह पहला पूर्ण विधानसभा चुनाव है और उन्हें फुल इलेक्शन में अपने रणनीतिक कौशल को साबित करना है.
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बिहार विधानसभा में इस समय एनडीए का संख्याबल 131 है. इसमें 80 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सबसे बड़ी पार्टी है. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल (यूनाइटेड) के 45, जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) 4 विधायक हैं. दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी नीतीश सरकार को है.
महागठबंधन का संख्याबल 111 है. आरजेडी 77 विधायकों के साथ विपक्षी महागठबंधन की सबसे बड़ी और बिहार विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस के 19, सीपीआई (एमएल) के 11, सीपीआई(एम) और सीपीआई के 2-2 विधायक हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. तब बीजेपी को 74, जेडीयू को 43 सीटों पर जीत मिली थी.
चुनाव से पहले बदले समीकरण
बिहार चुनाव से पहले कई नेताओं ने अपने दल बदले हैं. जेडीयू के परबत्ता (खगड़िया) विधायक संजीव कुमार ने हाल ही में विपक्षी आरजेडी का दामन थाम लिया था. संजीव कुमार भूमिहार समाज से आते हैं और उनके आरजेडी आने से तेजस्वी यादव को खगड़िया की अन्य सीटों पर भी सियासी नफा की उम्मीद है.
AIMIM के चार विधायक अब आरजेडी में
सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम ने मजबूत प्रदर्शन किया था. ओवैसी की पार्टी सीमांचल के इलाके से पांच सीटें जीतने में सफल रही थी. साल 2022 आते-आते पार्टी के चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे और एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान अकेले विधायक रह गए थे.
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RJD को इन विधायकों के आने से सीमांचल में मजबूती मिली है. AIMIM ने अब महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश की है ताकि ‘धर्मनिरपेक्ष’ वोट बंटने से रोका जा सके. ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने तेजस्वी यादव को पत्र लिखा है कि AIMIM छह सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है.
हालांकि, RJD ने एआईएमआईएम को बीजेपी की “बी टीम” बताते हुए तल्ख प्रतिक्रिया दी. आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि AIMIM के कदम हमेशा BJP की सफलता में सहायक रहे हैं. कुल मिलाकर, सीमांचल में राजनीतिक समीकरण और केंद्रीय वोट बैंक का खाका इस बार बदला नजर आ रहा है.
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