कोल्ड्रिफ (Coldrif) कफ सिरप पीने से शिशुओं और बच्चों की मौत का मामला बढ़ता जा रहा है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस सिरप को पीने से अब तक 19 बच्चों ने अपनी जान गंवा दी है. मासूमों के माता पिता मातम में हैं और कफ सिरप के चलते रोजाना ही नई मौतें सामने आ रही हैं.
दवा खाते ही बिगड़ी तबियत
इसी कड़ी में एमपी में बैतूल के कलमेश्वरा गांव के कैलाश यादव के बच्चे की मौत भी 8 सितम्बर को हुई थी. कैलाश अपने 3 साल 11 माह के बेटे कबीर की सर्दी खांसी होने पर छिंदवाड़ा के परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सोनी के यहां 24 अगस्त को इलाज के लिए ले गए थे. डाक्टर ने उसे सर्दी खांसी के कोल्ड्रिफ सिरप सहित अन्य दवाएं लिखी थी. इन दवाई के उपयोग के बाद बच्चे की तबीयत और बिगड़ गई. इसके बाद उसका तीन अस्पतालों में इलाज कराया गया लेकिन 8 सितम्बर को मौत हो गई.
चार अस्पतालों में कराया इलाज
आजतक ने कैलाश यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि बच्चे को सर्दी खांसी हुई थी. उसके इलाज के लिए डॉ प्रवीण सोनी के पास ले गए थे उसने सबसे पहले कोल्ड्रिफ सिरप लिखा था. बच्चे को लाने के कोल्ड्रिफ सिरप पिलाने के बाद बच्चे की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. दूसरे क्लिनिक में भेजा गया. दूसरे क्लिनिक वाले ने बताया कि बच्चे की किडनी धीरे धीरे खराब हो रही है. इसके बाद उसका इलाज चार अस्पतालों में कराया लेकिन हम बच्चे को बचा नहीं पाए . मेरे बच्चे की मौत सिर्फ कोल्ड्रिफ सिरप की वजह से हुई है.
‘जमीन गिरवी रख कर इलाज कराया लेकिन…’
कैलाश यादव की मांग है कि डाक्टर और कंपनी वाले के ऊपर कार्यवाही की जाए. मैंने बच्चे के इलाज के लिए जमीन गिरवी रखी थी सरकार हमको इसका मुआवजा दे. मैंने जमीन गिरवी रख कर चार लाख का कर्ज उठाया था और पचास हजार रुपए इधर- उधर से लिए थे. कुल मिलकर साढ़े चार लाख का खर्च आया है. मेरा अकेला बच्चा था. परिवार पर गहरा सदमा पहुंचा है. पहले भी बच्चे का इलाज प्रवीण सोनी के यहां कराया था लेकिन इस बार कोल्ड्रिफ सीरप पिलाने से मेरा बच्चा चला गया.
8 सितम्बर को हो गई मौत
कैलाश यादव ने जांच टीम को कोल्ड्रिफ सीरप की शीशी सौंपी जिसमे थोड़ी सी दवाई बची थी. इसके अलावा दो अन्य दवाओं की शीशी भी उन्होंने दी जिसको लैब भेजा जा रहा है है . कैलाश यादव ने जांच टीम को बताया कि 24 अगस्त 2025 को कबीर को परासिया के डॉ. सोनी को दिखाया गया. तबीयत बिगड़ने पर दोबारा डॉ. सोनी के पास ले जाया गया. उन्होंने बच्चे को डॉ. ठाकुर के पास भेजा. डॉ. ठाकुर ने बच्चे का चेकअप किया और छिंदवाड़ा के डॉ. नाहर के यहां रेफर कर दिया. फिर इसके बाद नागपुर और वहां से बैतूल के प्राइवेट अस्पताल ले गए. बच्चे को बैतूल से भोपाल रेफर कर दिया गया जहां 8 सितम्बर को उसकी मौत हो गई.
Input: Rajeev Bhatia
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