आजमगढ़ सदियों से ऋषियों की तपोभूमि रहा है. इसके सर्वाधिक पूजनीय स्थलों में दुर्वासा ऋषि आश्रम है, जो तमसा और मंजूषा नदियों के संगम पर स्थित है. यहां आज भी हर साल मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. अब यह आश्रम एक नए अध्याय के लिए तैयार है. उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री पर्यटन विकास योजना’ के तहत इसके विकास को मंजूरी दे दी है. इस परियोजना के लिए ₹1 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं.
उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि यह परियोजना पूर्वांचल को पर्यटन मानचित्र पर मजबूत करेगी और स्थानीय समुदायों के लिए अवसर पैदा करेगी. उन्होंने कहा, ‘दुर्वासा ऋषि आश्रम का विकास श्रद्धालुओं को सुविधा और आध्यात्मिकता का अनुभव देगा, साथ ही क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा.’ बता दें कि ऋषियों की प्राचीन तपोभूमिआजमगढ़ में दुर्वासा, दत्तात्रेय और चन्द्रमा ऋषि के आश्रम प्रमुख हैं.
दुर्वासा ऋषि ने यहां वर्षों तक तप किया
दुर्वासा आश्रम का विशेष महत्व है, जहां माना जाता है कि दुर्वासा ऋषि ने 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से आकर वर्षों तक तप किया था. सतयुग, त्रेता और द्वापर युग से यह स्थान भक्ति का केंद्र रहा है. हर कार्तिक पूर्णिमा पर तीन दिवसीय मेले में कई राज्यों से श्रद्धालु तमसा और मंजूषा नदियों के संगम में पवित्र स्नान के लिए यहां आते हैं. विकास रियोजना के तहत इस आश्रम का सौंदर्यीकरण होगा. प्रकाश की व्यवस्था होगी, स्वच्छता और पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और सूचना केंद्र स्थापित किया जाएगा.
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आजमगढ़ में तेजी से बढ़ रहा है पर्यटन
ये सुविधाएं तीर्थयात्रियों के लिए आश्रम को और आकर्षक बनाएंगी, साथ ही इसकी ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित रखेंगी. आजमगढ़ में पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है. 2024 में यहां 15.8 लाख से अधिक पर्यटक आए, और 2025 की पहली तिमाही में ही 3.25 लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंच चुके हैं. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं. जिले में स्थित चन्द्रमा मुनि आश्रम, दत्तात्रेय मंदिर, भवन नाथ मंदिर, अवंतिकापुरी धाम, नागा बाबा सरोवर, मेहनगर किला और निजामाबाद के मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं.
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश आज धार्मिक पर्यटन में अग्रणी है. 2022 की पर्यटन नीति के तहत हम आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का विकास कर रहे हैं. विश्व प्रसिद्ध स्थानों को मजबूत करने के साथ-साथ दुर्वासा आश्रम जैसे कम प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों को मुख्यधारा में लाया जा रहा है, ताकि राज्य का हर हिस्सा हमारी सांस्कृतिक पहचान और वैश्विक पर्यटन में योगदान दे.’
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