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मध्य प्रदेश: नौकरी बचाने के लिए चौथे बच्चे को जंगल में छोड़ा, शिक्षक दंपत्ति गिरफ्तार – teacher abandons fourth child over fear losing jobs Chhindwara opnm2


मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां सरकारी नौकरी बचाने के लिए एक शिक्षक दंपत्ति ने अपने ही नवजात बेटे को जंगल में छोड़ दिया. यह घटना अमरवाड़ा तहसील के नंदनवाड़ी-तहतोरी जंगल की है, जहां 24 सितंबर को जन्मे एक मासूम को उसके मां-बाप ने परित्याग कर दिया.

पुलिस उप-विभागीय अधिकारी कल्याणी बरकड़े ने बताया कि एक बाइक सवार युवक ने जंगल से बच्चे के रोने की आवाज सुनी. उसने तुरंत पुलिस को सूचना दी. पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और नवजात को सुरक्षित बाहर निकाला. उसे तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां फिलहाल उसका इलाज चल रहा है.

इसके बाद पुलिस ने नवजात बच्चे की पहचान और माता-पिता की तलाश के लिए जांच शुरू कर दी. पुलिस को अमरवाड़ा तहसील के सिधौली स्थित प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक दंपत्ति का नाम पता चला. आरोपी दंपत्ति की पहचान बबलू डंडोलिया (38) और उसकी पत्नी राजकुमारी डंडोलिया (28) के रूप में हुई.

पुलिस पूछताछ में दंपत्ति ने कबूल किया कि ये उनका चौथा बेटा था. उन्हें डर था कि इस बच्चे के चलते उनकी सरकारी नौकरी चली जाएगी. दरअसल, मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों के तहत यदि किसी सरकारी कर्मचारी का तीसरा बच्चा 26 जनवरी 2001 के बाद पैदा होता है, तो वह अपनी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता है. 

इसी नियम का खौफ दंपत्ति पर हावी हो गया. उन्होंने अपनी मासूम की जान दांव पर लगा दिया. बबलू और राजकुमारी को बुधवार को अदालत में पेश किया गया. हालांकि, अदालत से उन्हें बाद में ज़मानत मिल गई. इस मामले में शिक्षा विभाग भी हरकत में आ गया है. इस मामले की जांच खंड शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र वर्मा कर रहे हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने कहा कि दंपत्ति की नियुक्ति से जुड़े सभी रिकॉर्ड मंगाए गए हैं. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. यह घटना केवल कानून के डर और नौकरी के दबाव का मामला नहीं है, बल्कि उस क्रूर मानसिकता का गवाह है. एक सरकारी शिक्षक दंपत्ति बच्चे को जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया.

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