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तेजस्वी यादव ने जाति जनगणना का क्रेडिट लेकर राहुल गांधी को जवाब दिया है या चुनौती? – tejashwi yadav caste census credit vs rahul gandhi bihar election opnm1


जाति जनगणना अब पहले जैसा मुद्दा नहीं रहा. फिर भी, बिहार चुनाव में चर्चा कम नहीं होगी. जिस तरह 2023 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने जाति जनगणना को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, अब वो बात नहीं रही. जब तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जाति जनगणना के लिए मुहिम चला रहे थे, बीजेपी बचाव की मुद्रा में हुआ करती थी.

केंद्र की बीजेपी सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले के बाद अब राहुल गांधी या तेजस्वी यादव के पास बीजेपी को टार्गेट करने की कोई वजह नहीं बची है. लेकिन, चुनावों में तो श्रेय लेने की होड़ बनी ही रहेगी. और, श्रेय लेने के मामले में अब तो बीजेपी भी हिस्सेदार बनकर कैंपेन करेगी. 

2 अक्टूबर, 2025 को सोशल साइट X पर एक लंबी पोस्ट में तेजस्वी यादव ने बिहार में हुए कास्ट सेंसस का तो क्रेडिट लिया ही, केंद्र की बीजेपी सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले का भी श्रेय लेने की कोशिश की है – और महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के बीच टकराव का ये नया मसला भी हो सकता है.  

तेजस्वी यादव ने लिया जाति जनगणना का क्रेडिट

तेजस्वी यादव ने X पर लिखा है, 2 अक्टूबर 2023 के उसी विशेष दिन रिपोर्ट प्रकाशित कर हमने एलान कर दिया था कि अब समूचा देश जातीय जनगणना चाहता है, इसमें अब हम देर नहीं होने देंगे. और, कहा है, हमारे संघर्ष ने इस अड़ियल सरकार को झुका दिया, भाजपा और आरएसएस वाले लोग, जो दिन-रात जातीय जनगणना की खामियां बताते थे, उसके विरोध में बयान देते थे। उनसे ही हमने राजनीतिक और सामाजिक दबाव डाल पूरे देश में जातीय जनगणना करवाने की घोषणा करवा दी.

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता का कहना है, याद करते है 2 अक्टूबर का वो ऐतिहासिक दिन जब प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी के उपमुख्यमंत्री के तौर पर हमने दशकों पुराने अपने जातिगत जनगणना के संकल्प को बिहार में जातीय सर्वेक्षण करवा कर पूरा किया था, और रिपोर्ट सार्वजनिक की थी.

जाति जनगणना कराए जाने को लेकर बीजेपी की मंशा पर तेजस्वी यादव सवाल भी उठाते हैं, और कहते हैं कि जब तक आरक्षण का दायरा 50 फीसदी की सीमा पार नहीं कर लेता, वो लड़ाई जारी रखेंगे – अगर जातीय राजनीतिक को लेकर राहुल गांधी भाषणों पर ध्यान दें, तो देखते हैं कि राहुल गांधी भी ऐसी ही बातें करते आ रहे हैं. 

तेजस्वी यादव के बयान के बाद तो अब टकराव की भी नौबत आ चुकी है. बिहार की राजनीति में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच टकराव के पहले से ही कई मसले हैं, जाति जनगणना का श्रेय तो अलग से जुड़ रहा है. 

टकराव बढ़ने की बात इसलिए भी लगती है, क्योंकि राहुल गांधी बिहार दौरे में ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के कराए कास्ट सेंसस को फर्जी बता चुके हैं. 

क्या ये तेजस्वी यादव की प्रेशर पॉलिटिक्स है?

जाति जनगणना पर तेजस्वी यादव का बयान आने के बाद ये समझना जरूरी हो जाता है कि ये बात राहुल गांधी को जवाब के तौर पर कही गई है, या चैलेंज करने का ही एक और तरीका है – सवाल ये भी है कि क्या ये तेजस्वी यादव की प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा हो सकता है?

केंद्र की बीजेपी सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले के बाद राहुल गांधी ने भी सोशल साइट एक्स पर लिखा था, मैंने संसद में कहा था, मोदी जी को जातिगत जनगणना करवानी ही पड़ेगी. राहुल गांधी ने दावा किया था, शिक्षा और न्याय के लिए हम ये तीन काम करेंगे… एक, प्रभावी और पारदर्शी जाति जनगणना. दो, प्राइवेट शिक्षा संस्थानों में आरक्षण और तीन, SC-ST सब-प्लान सख्ती से लागू. राहुल गांधी अब जाति जनगणना की बात कम करते हैं, लेकिन सत्ता में आने पर आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा करने का वादा जरूर करते हैं. 

वोटर अधिकार यात्रा को लेकर यहां तक चर्चा होने लगी थी कि राहुल गांधी ने हाइजैक कर लिया है. वैसे भी पूरी यात्रा में तेजस्वी यादव राहुल गांधी के पीछे पीछे ही चलते नजर आ रहे थे. हां, बाइक रैली और रोड शो की कुछ तस्वीरों को अपवाद माना जा सकता है. 

तेजस्वी यादव के बिहार अधिकार यात्रा को भी वोटर अधिकार यात्रा में रह गई कमियों की भरपाई के तौर देखा गया. बताया भी गया कि वोटर अधिकार यात्रा में छूटी जगहों को कवर करने की कोशिश है. लेकिन, असल बात कुछ और है. तेजस्वी यादव उस कमी की भरपाई की कोशिश कर रहे हैं, जो राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा के दौरान महफिल से लूट ली थी. 

राहुल गांधी तो अब तक ये भी नहीं साफ किए कि वो तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री का चेहरा मानते हैं, जबकि तेजस्वी यादव तो राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाने तक की बात कर चुके हैं – जाति जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने अपनी तरफ से वर्चस्व की लड़ाई में नया संकेत दे दिया है, आगे राहुल गांधी की बारी है.

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