एक वक्त था जब वरुण धवन और डायरेक्टर ने मिलकर हमें ‘हम्पटी शर्मा की दुल्हनिया’ और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ जैसी फिल्में दी थीं. ये दोनों ही परफेक्ट पिक्चरें नहीं थीं, लेकिन मजेदार जरूर थीं. जब फिल्म ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ का इंतजार किया जा रहा था, तब उससे भी इन्हीं सब चीजों की उम्मीद लगाई जा रही थी. हालांकि ये फिल्म कुछ और ही निकली.
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