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मिशन शक्तिसैट: लड़कियों की सैटेलाइट से राष्ट्रपति प्रभावित, चंद्रमा पर उड़ान भरने की तैयारी – Mission ShaktiSAT Girls satellite impressed the President


भारत की पहली महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात हर किसी के लिए गर्व का विषय है. लेकिन अगर यह मुलाकात मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की गरीब और ग्रामीण लड़कियों की टीम से हो. जी हां, स्पेस किड्ज इंडिया की अगुआई में चल रही ‘टीम मिशन शक्तिसैट’ ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात की.

यह पूरी तरह लड़कियों द्वारा बनाई गई दुनिया का पहला सैटेलाइट मिशन है. इन लड़कियों ने राष्ट्रपति को अपनी प्रगति बताई, जो चंद्रमा पर सैटेलाइट भेजने का सपना देख रही हैं. 

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राष्ट्रपति भवन में मुलाकात

राष्ट्रपति भवन में हुई यह मुलाकात कोई साधारण बात नहीं थी. मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की प्रतिभावान लड़कियां टीम का हिस्सा थीं. उन्होंने राष्ट्रपति को बताया कि मिशन शक्तिसैट ने उन्हें आत्मविश्वास, हिम्मत और दुनिया से जुड़ाव का अहसास दिया है. राष्ट्रपति मुर्मू ने उनकी तारीफ की और कहा कि मिशन शक्तिसैट भारत की समावेशी शिक्षा और इनोवेशन की बड़ी मिसाल है. इन लड़कियों की हिम्मत और लगन न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया को प्रेरित करती है. खासकर जब मिशन की अगुआई एक महिला डॉ. श्रीमति केसन कर रही हैं.  

Mission ShatiSat Spacekidz

मिशन शक्तिसैट क्या है? 

मिशन शक्तिसैट स्पेस किड्ज इंडिया और एसकेआई स्टार फाउंडेशन का प्रोजेक्ट है. यह दुनिया का पहला ऐसा मिशन है, जो पूरी तरह युवा महिलाओं द्वारा सोचा, डिजाइन और चलाया जा रहा है. इसका लक्ष्य है 108 देशों के 12,000 छात्रों को जोड़ना. ये छात्र मिलकर चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यान डिजाइन, बनाएंगे और भेजेंगे.

यह सिर्फ तकनीक का काम नहीं, बल्कि वैश्विक एकता, विज्ञान की प्रगति और युवाओं की ताकत का प्रतीक है. डॉ. केसन कहती हैं कि यह मिशन लड़कियों को आगे लाकर दिखाता है कि अवसर मिले तो वे क्या-क्या कर सकती हैं. भारत के लिए यह खास है, क्योंकि मध्य प्रदेश की कई लड़कियां पहली पीढ़ी की लर्नर हैं. वे गांवों से आई हैं और अब ऑर्बिटल मैकेनिक्स, सैटेलाइट के पार्ट्स और कोडिंग सीख रही हैं.

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वैश्विक सहयोग: 108 देशों का परिवार

मिशन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ – दुनिया एक परिवार – के सिद्धांत पर चलता है. सिडनी में हुए आईएसी (इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस) में 12 ‘देवी’ (महिला दूत) मौजूद थीं. ये ऑस्ट्रेलिया, बोलीविया, नेपाल, पराग्वे, कोलंबिया आदि देशों से आईं. वहां मिशन पर रोचक बातें हुईं, जिससे वैश्विक साझेदारी मजबूत हुई. ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी, ऑस्ट्रेलिया साइंस एंड टेक मिनिस्ट्री, स्पेन, अर्जेंटीना, चिली, यूएई जैसी एजेंसियों ने भारी समर्थन दिया. यह भारत की स्पेस डिप्लोमेसी को मजबूत करता है.

मिशन की शुरुआत 

मिशन की सॉफ्ट लॉन्चिंग 16 जनवरी 2025 को हुई. 100 देशों के 370 छात्रों ने हिस्सा लिया. अब 108 देशों के करीब 7,000 छात्र सक्रिय हैं. पाठ्यक्रम में 21 मॉड्यूल हैं, जो फिजिक्स, मैथ्स, ऑर्बिटल मैकेनिक्स, सिस्टम इंजीनियरिंग और कम्युनिकेशन कवर करते हैं. यह यूएस, यूरोप और भारत के प्रोफेसरों ने बनाया है.

Mission ShatiSat Spacekidz

पाठ्यक्रम अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच और पुर्तगाली में है. यह हाई स्कूल छात्रों के लिए पहला वैश्विक प्रोग्राम है. जोहो लर्न प्लेटफॉर्म पर फ्री उपलब्ध है. दिसंबर 2025 तक मॉड्यूल पूरे होंगे. फिर हर देश की ‘देवी’ एक बेहतरीन छात्र चुनेंगी. फरवरी-मार्च 2026 में वे भारत आएंगी. 

दो हफ्ते का हैंड्स-ऑन प्रोग्राम होगा, जहां पेलोड (उपकरण) इंटीग्रेट करेंगी. दो पेलोड बनेंगे: एक लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) के लिए, जो इसरो से लॉन्च होगा. दूसरा चंद्रमा के लिए. जापान की आईस्पेस के साथ राइड-शेयर की बात चल रही है.

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बजट और संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य

मिशन का बजट करीब 100 करोड़ रुपये है. छात्रों पर कोई खर्च नहीं – न पाठ्यक्रम, न यात्रा, न रहना, न पेलोड. ‘1 डॉलर टू द मून’ कैंपेन से सबको शामिल होने का मौका मिलता है. यह संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) से जुड़ा है

  • एसडीजी 4: क्वालिटी एजुकेशन – फ्री शिक्षा.
  • एसडीजी 5: जेंडर इक्वालिटी – लड़कियों को ताकत.
  • एसडीजी 9: इनोवेशन – स्पेस टेक में हाथ.
  • एसडीजी 10: कम असमानता – 100 देशों को बराबरी.
  • एसडीजी 16: शांति – स्पेस डिप्लोमेसी.
  • एसडीजी 17: साझेदारी – यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्री और एजेंसी के साथ.

वर्ल्ड स्पेस वीक पर यह मिशन समावेशी, समान और टिकाऊ स्पेस फ्यूचर का संदेश देता है.

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