शिवसेना के लिए भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरह दशहरा बड़ा मौका लेकर आता है. दो टुकड़ों में शिवसेना के बंट जाने के बाद, हर साल दशहरे पर अब दो रैलियां होती हैं. उद्धव ठाकरे की अलग, और एकनाथ शिंदे की रैली अलग. दोनों पक्ष अपने को ओरिजिनल होने का दावा करते हैं. मतलब, दूसरा डुप्लीकेट है.
दोनों पक्ष आमने सामने होते हैं, और ऐसे, जैसे एक दूसरे के खून के प्यासे हों. एक दूसरे के खिलाफ निचले स्तर पर जाकर बुराइयां करते हैं. जरूरी नहीं कि नाम लेकर ही ऐसा हो, लेकिन दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाती. उद्धव ठाकरे बाघ की खाल में गधा की संज्ञा देते हैं, तो एकनाथ शिंदे उनके बारे में कहते हैं कि वो दिल्ली मुजरा करने जाते हैं. एकनाथ शिंदे का कहना है कि वो दिल्ली विकास के लिए जाते हैं, और बगैर नाम लिए उद्धव ठाकरे के लिए कहते हैं, वे 10 जनपथ में मुजरा करने जाते हैं.
एकनाथ शिंदे तो स्वाभाविक टार्गेट होते हैं, उद्धव ठाकरे के निशाने पर बीजेपी भी होती है. और, बिहार चुनाव को देखते हुए बीजेपी पर मुंबई से वैसा गोला दागते जो पटना तक प्रभाव दिखा सके. ठीक वैसे ही जैसे राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और तेजस्वी यादव बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हैं, उद्धव ठाकरे का अंदाज भी मिलता जुलता ही है. लेकिन, ऐसा क्यों होने लगा – आखिर देवेंद्र फडणवीस के साथ हुई उन लंबी मुलाकातों का क्या हुआ?
मुंबई की दशहरा रैली में बिहार चुनाव का जिक्र
हाल ही में एशिया कप देखने वालों को देशद्रोही बता चुके, उद्धव ठाकरे दशहरा रैली में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से लेकर बिहार में हुए SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण तक बीजेपी नेतृत्व को घेरते हैं. उद्धव ठाकरे कहते हैं, देश में अधिकारों के लिए या न्याय के लिए लड़ना पूरी तरह से अपराध और देशद्रोह बन गया है.
और, सीधे संघ नेतृत्व से बीजेपी को लेकर सवाल पूछते हैं, क्या आप आरएसएस के सौ साल के प्रयासों से पैदा हुए जहरीले फलों (भारतीय जनता पार्टी) से संतुष्ट हैं? फिर, बीजेपी को अमीबा जैसा बताते हैं. उद्धव ठाकरे का कहना है कि बीजेपी अमीबा की तरह है, जो सत्ता के लिए कहीं भी फैल जाती है.
शिवसेना – यूबीटी नेता का आरोप है कि नगर निगम चुनावों से पहले बीजेपी फिर से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रही है. अमीबा का उदाहरण देते हुए उद्धव ठाकरे का कहना है, जैसे अमीबा के शरीर में घुसते ही पेट में दर्द होता है, बीजेपी के समाज में प्रवेश करते ही शांति भंग होती है.
SIR के बहाने भी बीजेपी पर हमला बोल देते हैं. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कहते हैं, बीजेपी की लीडरशिप… केंद्र के पास बिहार में वोट खरीदने के लिए पैसा है, लेकिन बाढ़ से तबाह महाराष्ट्र के लिए उसके पास कोई धन नहीं है.
उद्धव ठाकरे के मुंह से ये सब फिर से सुनना थोड़ा अजीब लगता है, क्योंकि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की मुलाकातों को राज्य में नए राजनीतिक समीकरण के संकेत के तौर पर देखा जाने लगा था.
देवेंद्र फडणवीस फिर से निशाने पर क्यों आ गए?
दशहरा रैली में ही उद्धव ठाकरे एक सर्वे का जिक्र करते हैं, और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निकम्मा और नकारा बताने की कोशिश करते हैं. उद्धव ठाकरे का कहना है, कभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री टॉप 5 में आते थे, लेकिन आज देवेंद्र फडणवीस 10वें स्थान पर हैं. उद्धव ठाकरे के मुताबिक, सर्वे में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ बने, जबकि ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, एमके स्टालिन, पिनराई विजयन और कई नेता उनसे आगे हैं. और फिर अपनी राय भी जाहिर करते हैं, ये जनता की नाकामी नहीं, बल्कि मौजूदा नेतृत्व की असफलता है.
जुलाई, 2025 में, देवेंद्र फडणवीस से मिलने के बाद आदित्य ठाकरे ने जो बयान दिया था, मुलाकात और बातचीत काफी गंभीर लग रही थी, लेकिन अब तो लगता है सब हवा हवाई ही था. आदित्य ठाकरे ने भी तब किसी नेता का नाम नहीं लिया था, लेकिन बड़े ही आसान तरीके से समझा दिया था कि वो एकनाथ शिंदे की ही बात कर रहे हैं. आदित्य ठाकरे का कहना था, ‘हम मुलाकात की खबर सुन रहे हैं… अब खबर देखने के बाद एक व्यक्ति अपने गांव जाएगा… जो चल रहा है उसे चलने दें.’
आदित्य ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की वो दूसरी मुलाकात थी, जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल देखी जा रही थी. चर्चा ये भी थी कि उद्धव ठाकरे का MVA से मोहभंग होने लगा है.
देवेंद्र फडणवीस से, उससे पहले उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे साथ में मिले थे. महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति के कक्ष में. मुलाकातों का सिलसिला देवेंद्र फडणवीस के उद्धव ठाकरे को सरकार में शामिल होने के संभावित ऑफर के बाद शुरू हुआ था. लेकिन, अब तो लगता है बातचीत फेल हो चुकी है, और मुलाकातों का कोई मतलब नहीं रह गया – पहले की ही तरह एकनाथ शिंदे और बीजेपी नेता फिर से उद्धव ठाकरे के निशाने पर आ चुके हैं.
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